17-01-1965     मधुबन आबू     रात्रि मुरली    साकार बाबा     ओम् शांति     मधुबन
 


गुड इवनिंग यह 17 जनवरी का रात्रि क्लास है
वह लक्ष्मी का आवाहन करते थे तो उनके हीरा के शरीर में आते थे जो हम लोग बैठ कर के ये तिलक विलक लगाते थे। कभी दरबार भी देखी थी। आई थी जब, तब यह साक्षात्कार का वगैरह जास्ती होगा। तो रहते ही नहीं है। मैंने.. जैसे ये दिलवाड़ा मंदिर है तो अभी प्रैक्टिकल में है यह, जो पार्ट बजाए रही है, ठीक है न। अभी ये तो उनसे मिलेंगे भी नहीं। ना वो लोग कोई.. वो चित्र उनके पास हो सकते हैं कोई भी। साक्षात्कार किया देखो कितना निश्चय होंगा। बहुत ही वो ध्यान में जाकर के निश्चय करते थे और पार्ट बजाते बड़ा भारी भारी। अभी देखो ऐसे भी नहीं है यहाँ। तो कोई भी ऐसे नहीं कह सकेंगे, यह मंदिर में जाकर के...ये कैसे कैसे.. ये मंदिर क्यों बने? इन्होंने क्या किया था पास्ट में, जो भक्ति मार्ग मे इनका चित्र बने। इस समय तुम्हारे अलावा और तो बेचारे कुछ भी नहीं जानते. जरा भी नहीं जानते। बनाए हैं यह शास्त्र यह भी एक वांडर है, बनने तो हैँ फिर भी, और ऐसे ही बनेंगे कुछ ना कुछ गलती है, जो कुछ ना कुछ गाया जाता है जो ब्रह्मा द्वारा जो भी सार है, बताते हैं। तो अभी सार देखो उनमें कोई सार नहीं है शास्त्रों में, तो सार बैठ करके बताते हैं खुद, के वो उनसे कोई को फायदा कुछ नहीं हो सकते है, वो बैठ करके बाप समझाते हैं बच्चो को। तो ये सभी कर्म कांड के शास्त्र होने कारण ये भक्ति मार्ग के लिए रखे हुए हैं। और भक्ति मार्ग में भी कितनी अच्छी तरह से, इस समय में तो बहुत ही भाव से पढ़ते हैं। नहीं तो कितना बड़े बड़े का सबका ये है भाव इनमे.. महाभारत में रामायण में देखो महाराजा जैसा का कितना भाव है इस रामायण में तो अपना भी तो भाव तो था न। जाते थे लंका लूटने जाते थे पढ़ते थे, सुनते थे रूचि से बहुत। तो अब जो बाप ने सच क्या है, इन शास्त्रों में क्या रखा है, जो पढ़ते पढ़ते पढ़ते पढ़ते उससे किसी को कुछ फायदा तो होता नहीं है। तो बाप समझाते हैं तो नयों को बड़ा मुश्किल बुद्धि में बैठे। जब तलक अच्छी तरह से कोई को न समझाया जाए। उस समय नजदीक आएँगे, क्योंकि पढ़ते तो सभी थे न, गीता भी बाबा पढ़ते थे जैसे। रामायण, महाभारत, भागवत वगेरह सुनते तो थे न सभी। जैसे वो लोग अभी सुनते हैं। ये सभी जो कर्म काण्ड भक्ति के हैं उनको तो फिर छोड़ना ही पड़े भक्ति, जबकि ज्ञान जिंदाबाद होते हैं और वो मुर्दाबाद होते हैं, बरोबर विनाश हो जाएँगे, भक्ति विनास को पाएंगी और फिर भक्ति नहीं होंगी। विनाश का अर्थ ही हो जाता है की फिर भक्ति 5000 वर्ष के बाद फिर भक्ति होंगी। मनुष्य मरते है तो ऐसे नहीं कहेंगे 5000 वर्ष के बाद, फिर तो कहेंगे दूसरा जन्म लेंगे। और ये तो शास्त्र ही सभी, उनके लिए ये समझाया जाता है की शास्त्र फिर न होंगे। कर कर के फिर भी निकलेंगे फिर आकर के बाप को कहे की मैं फिर ये जो शास्त्र हैं इनका सार सुनाऊंगा। मनुष्य ड्रामा का सुनकर के, जब ये बातें सुनते हैं तो मूंझते हैं बहुत, ऐसे कैसे हो सकता है विनाश होने के बाद क्या होंगा, वो ऐसे ही फिर बनकर तैयार हो जाएँगे? ड्रामा में कई कई मनुष्य मूंझते भी बहुत हैं। ज्ञान लेना बंद कर देते हैं। कितना प्यार रहता है इस मुरली से टेप से, टेप में कितना प्यार है, जो मुरली बंद कर देते हैं, पर्सनल टेप में सुनते हैं फिर तूफ़ान लगता है इनको फिर टेप से भी सुनना बंद कर देते हैं। स्कूल बंद कर देते हैं तो समझते हो स्कूल बंद कर दिया माना फिर पढने का नहीं है, ख़तम हुआ जैसे। कर कर के पिछड़ी में ऐसे ऐसे फिर आते हैं, परन्तु देरी भी हो जाते हैं फिर ठोकर भी लग जाती है। जितना जास्ती जो जमा होते हैं उतना फिर नाश भी हों जाते हैं वो। जो पॉइंट्स ये लिखी जाती हैं जैसे बाबा ने प्रश्नावली लिखी, तो इस समय तक फिर कोई ने ऐसे नहीं समाचार लिखा है की बाबा इस प्रश्नावली से जब कोई आते हैं जैसे ये भराते हैं न तो ये इन्ही के काम में आने वाले हैं। ये रखे तो हैं टेबल पे या नहीं? अभी तो बाहर भी रखे हुए हैं पर टेबल पर लिखे हुए रखे हैं कुछ? नहीं? ये रख देना चाहिए। क्या... परन्तु माता भी कहते उनको पिता भी कहते उनके लिए भी पिता कहते है तो कुछ समझते हैं? देखो अच्छी तरह से उनके रंग समझ सकते हैं वहन उनको फिर समझाना अच्छा रहता है। उनसे भी जो गीता के वर्संस में भी लिखा हुआ है उसमे भी ये प्रश्नावली सर्विसेबल है जैसे। वो कहां तक ये कोई को सुनाते हैं, इस बीच में कोई ऐसा आए नहीं है कोई पूछा है तुमने किसी से? एक भाई –हाँ बाबा एक तो सन्यासी आया था एक दफा उससे पूछा था जो, जिसने कहा था की हमको मालूम नहीं है।
बाबा- मालूम ही नहीं है बोला...?
भाई – हा बाबा कहा.......
बाबा- अरे परमपिता परमात्मा से आपका क्या सम्बन्ध है बोला मालूम ही नहीं है?
भाई – हाँ नहीं, तो वो सन्यासी था न वो ब्रह्म को मानते थे तो हमने कहा देखो साधू जी हमारे कहते हैं परमपिता परमात्मा हमारे पिता हैं तो बोला ठीक है, तो उसके लिए उसने दिखाया की शिवपुरी में रहता होगा शिव।
बाबा - होंगा, बाप वहां रहता होंगा तो जो बच्चे हैं जो तुम कहते हो मेरा बाप वहां रहता है तो तुम भी वहाँ रहने वाले होंगे, पिता के पास जाने चाहते हो?
भाई - ..........
बाबा – पूछते हो तो मालूम पड़े की ये लोग क्या समझते हैं, इन सब से पूंछो उनकी बुद्धि में बैठते हैं या नहीं तो यह लिखना चाहिए बाबा इनको, जो इन्वेंशन निकलते हैं उनको लिखना तो चाहिए न पर ऐसी बुद्धि ही नहीं है बच्चो में जो फिर क्या हुआ कभी प्रश्न पूंछा दो पांच सात से, क्या इसका नतीजा निकला फिर वो देखो लिखते ही नहीं है। मीठे मीठे ज्ञान सितारे बच्चो प्रित मात पिता बाप दादा का याद प्यार और गुड नाइट।