03-06-1965     मधुबन आबू     रात्रि मुरली    साकार बाबा     ओम् शांति     मधुबन
 


हेलो, गुड इवनिंग, यह तीन जून का रात्रि क्लास है।

कविता :-
बच्चों धारण कर लो, मीठे गीता ज्ञान को............

यह तो ठीक बात समझाते हैं कि जिसको गॉड कहा जाता है, हम सब उनके बच्चे तो जरूर हैं । इस हिसाब से हम सब भाई तो जरूर ठहरे और जबकि जो ब्रह्मा है, जिसको आदि देव कहा जाता है, पता नही उसको पारसी क्या कहते हैं । (किसी ने कहा-दादा होरबोस) । दादा होरबोस । ठीक है ना । अच्छा, तो फिर उनकी संतान है । गोया हम दादा होरबोस की संतान भाई-बहन ठहरे और शिव के हम भाई-भाई ठहरे । यह इनको पक्का कराय दो । इस हिसाब से, जो शिव बाबा है, जो हेविनली गॉड फादर हेविन स्थापन करते हैं, इसको आप पारसी में क्या कहते हैं? (किसी ने कहा-बहिश्त) ।.. जो बहिश्त स्थापन करते हैं । बहिश्त माना नई दुनिया । तो जरूर हम नई दुनिया के मालिक होने चाहिए । अभी ये तो पुरानी दुनिया है, तो जरूर नई दुनिया के मालिक थे । अभी पुरानी दुनिया हो गई इसलिए नई नहीं हैं । अभी फिर नई दुनिया के मालिक बनेंगे । ये बातें समझाने से और यह वहाँ बैठकर समझाएंगे तो वो समझेंगे इनको बहुत अच्छी नॉलेज मिलती है । इसमें फिर कोई एतराज नहीं उठाएगा । और ये भी कहेंगे, हम उनको याद करते हैं जो बहिश्त स्थापन करते हैं और वो बाप से, गॉड फादर द्वारा करते हैं । हम अभी उनसे वर्सा ले रहे हैं । यह पुरानी दुनिया है, नई दुनिया में आया हुआ है, उनसे हम वर्सा लेते हैं । शिवबाबा के तो सभी बच्चे हैं सो ब्रदर्स हैं और जब ब्रह्मा के हैं तो ब्रदर्स एण्ड सिस्टर्स हैं । हम ब्रदर्स एण्ड सिस्टर्स को बाप से वर्सा बिल्कुल मिलना है । इनहेरिटेन्स जरूर मिलना चाहिए । फादर को और बहिश्त को याद करने से हमको बहिश्त जरूर मिलेगा और बहिश्त में जाने के लिए पवित्रता जरूर चाहिए । पवित्र भी जरूर रहना चाहिए । आपके धर्म मे वो शिक्षा तो मिलती होगी ना, जो असल है । पवित्रता को तो मानते होंगे ना । (किसी ने कहा- हाँ जी) तो यह बच्ची अगर कहे कि हम तो पवित्र ही रहेंगे, हम अपवित्र कभी नहीं बनेंगे, हम विषियस कभी नहीं बनेंगे । विषियस कोई बहिश्त मे नही रह सकते हैं । उसको क्या कहा जाता हैं? दोजख । दोजख में तो हमको रहना ही नहीं है । यह दोजख है । अभी दोजख से हमको बहिश्त में जाना है, तो मैं बहिश्त रचने वाले को याद करूँगी या इनको याद करूँगी? तो ऐसे-ऐसे इस बच्ची को पक्का करने से, यह आपका नाम बहुत बाला करेगी कि ये बच्चों को बहुत अच्छी शिक्षा मिलती है और कभी भी कोई भी अपवित्र रहेगा, विषियस बनेगा, कभी बहिश्त में जा नहीं सकता है । ऐसी बच्ची, फिर इनका कोई भाई भी ऐसा हो, जो चले, क्योंकि संग दोष में... । हमने सुना है कि ये माँस भी खाते हैं । खाते हैं? (किसी ने कहा- मीट), क्योंकि संग दोष में मेरा कोई दोस्त होटल में ले गया था, जा करके खाया । तो ऐसे बहिश्त में यह बात तो अच्छी है ना और बरोबर बहिश्त की स्थापना हो रही है, क्योंकि दोजख का विनाश सामने खडा है । देखो, दोजख के आदमी खुद ही तो अपना विनाश करते हैं ना । एक दो को आपे ही विनाश करते हैं । वो उनके ऊपर बॉम्ब फेकेंगे, वो उनके ऊपर बॉम्ब फेकेंगे । देखो, बोमब्स भी कैसे बनाए हैं । बोलते हैं कि हम एक बॉम्ब से सारी अमेरिका को खतम कर सकते हैं, वो कहते हैं कि हम एक बॉम्ब से रशिया को खतम कर सकते हैं । तो ये दोजखी आदमी, डेविल्स ठहरे ना । आगे जब लड़ाई लगी थी तो हिटलर को डेविल कहते थे । एक दो को ऐसे कहते थे । वो उनको डेविल कहते थे, वो उनको डेविल कहते थे ।...... .क्योंकि सबके लिए है ना । बाप को तो सबको याद करने का है । इनकॉरपोरियल बाप के लिए ही कहा जाता है । वही कहते हैं कि मुझे याद करो तो मेरे पास चले आएँगे और याद करने से ही तुम प्योर बनेंगे यानी तुम्हारी आत्मा पवित्र बनेगी । और कोई उपाय है नहीं । अभी पाप अनेक प्रकार के होते हैं । कोई पाप ऐसे होते हैं, किसको पता भी नहीं पडता है, जैसे सन्यासियों को पता नही पड़ता है कि हम पाप करते हैं । सबको कहना कि सर्वव्यापी है या अहम् शिव है- यह बड़ा पाप करते है । यानी शिव की महिमा तो बड़ी लम्बी-चौड़ी है- ज्ञान का सागर, सुख का सागर, पतित-पावन । तो वो एक ही है ना । और फिर गीता में भी है कि साधु जिनका नाम है, उनका भी उद्धार करने मैं आता हूँ । तो फिर वो गुरु कैसे ठहरे? यह सहज है । इस समय मे जो-जो भी इस देवता धर्म वाले हैं उनकी बुद्धि का ताला भी जैसे कि लूज होता है । जब सुनते हैं तो उनको बहुत अच्छा लगता है । नॉलेज कोई दे भी नहीं सके । राजयोग की नॉलेज सिवाय बाप के कोई दे ही नहीं सकता है । ब्रह्मा विष्णु शंकर तो सुक्ष्मवतन मे हैं । अच्छा, अभी यहाँ तो सभी पतित हैं ना । यहाँ तो ऐसा देने वाले कोई हैं नहीं, तमोप्रधान हैं । इस राजयोग की शिक्षा सिवाय बाप के तो कोई दे ही नहीं सके । भगवानुवाच । खाली एकज भूल । इस भूल ने ही बहुत भारी नुकसान कर दिया है- गीता को खण्डन करने से । जब एक चीज खण्डन होती है, तो फिर उनकी जो क्रिएशन होती है उसमें भी खण्डन । यह बाप तो सिद्ध करके देते हैं । कैसे सिद्ध? बरोबर खण्डन हैं ना । जज योर सेल्फ । गीता खण्डन हुई तो उस भागवत में कृष्ण का चरित्र भी खण्डन हो गया । शिव के चरित्र तो हैं नहीं । कृष्ण के चरित्र दिखलाते हैं, वो भी खण्डन हो गया, क्योंकि कृष्ण गीता का भगवान है ही नहीं । अच्छा, फिर रामायण लगाय दिया । अभी वो तो कुछ है नही । बाप तो कहते हैं कि मैं ब्राह्मण धर्म स्थापन करता हूँ । ब्राह्मणों को फिर देवता बनाता हूँ । देवता धर्म भी स्थापन होता है और क्षत्रिय धर्म जो चन्द्रवंशी हैं, उसकी भी स्थापना होती है । पीछे कोई भी स्थापन करने वाला, कोई भी मैसेंजर या धर्म स्थापक वहाँ से आता ही नहीं है । सतयुग और त्रेता मे कोई धर्म स्थापक का नाम है नहीं, न कोई दूसरे. .शास्त्र का नाम है । बस, गीता ही एक है । सतयुग और त्रेता में यह एक ही शास्त्र गाया जाता है । पीछे आते हैं- इस्लामी धर्म शास्त्र, बौद्धी धर्म शास्त्र, क्रिश्चियन धर्म शास्त्र, पीछे छोटे-छोटे, जैसे- मुसलमान का यह कुरान । वो जो इब्राहिम है, ये जो काले लोग वहाँ हैं.... । देखो, अफ्रीका कितनी बड़ी, लम्बी-चौडी है! तो वो इब्राहिम का । ये मुहम्मद को तो शायद 500(1400) वर्ष हुआ होगा । (किसी ने कहा- म्।14-वी सदी ।) बिरादरियॉ पीछे आई हुई हैं । (किसी ने कहा-इस कारण इस्लामी धर्म वाले बहुत कम मिलते हैं, मुस्लिम धर्म वाले ज्यादा मिलते हैं ।) यह है ही रिलीजन का झाड़ । वैराइटी रिलीजन का झाड़ है । वो जड़ बीज है । मनुष्य को नॉलेज है कि बीज से झाड़ कैसे पैदा होता है । अभी यह भी उल्टा झाड़ है । वो बीज नीचे होते हैं, झाड़ ऊपर होते हैं । यह बीज ऊपर में है । ओ फादर! देखो, चिल्ड्रेन नीचे हैं ना । तो इसको कहा जाता है- उल्टा झाड़ । तो क्रियेटर को याद किया जाता है । अभी हम क्रियेटर को कह देवे कि वो सर्वव्यापी है, तो अहम् शिव यानी अहम् क्रियेटर- यह कितनी मूर्खता है । इसको कहा ही जाता है- उल्टा झाड़, कल्पवृक्ष । ... झाड़ नीचे । हो गया ना । दूसरे जो भी सभी जंगल या बगीचे वगैरह हैं उनका बीज नीचे है । यह मनुष्य सृष्टि का बीज ऊपर, क्योंकि याद करते हैं- ओ गॉड फादर माना क्रियेटर । वो बेहद का क्रियेटर है । बच्चे जानते हैं कि बेहद का क्रियेटर क्या क्रियेट करेगा । हेविन या हेल? हेविन क्रियेट करेगा ना । फादर है, जो याद करते रहते हैं । तो हेल में हैं तब याद करते हैं । अच्छा, जब हेविन में जाते हैं तो याद करने की दरकार नही । यह भी यही गाते हैं ना कि दुःख में सिमरन बाप के सब बच्चे करें, सुख में कोई भी न करे, क्योंकि बाप ने आ करके सबको शांति और सुख दे दिया । अच्छा, वन्दे मातरम्, क्योंकि माताओं को गुरु पद पर ले आते हैं, क्योंकि माताओं को तो नीचे कर दिया है ना । तो बाप आ करके माताओं को ऊँचा बनाते हैं । इसलिए माताओं की महिमा भी... । देखो, जगदम्बा में कितने मेले लगते हैं । बहुत मेले लगते हैं । यहाँ अम्बा के मंदिर में बहुत आते हैं और बहुत मेले लगते हैं । ब्रह्मा का कोई मेला लगता ही नहीं है । अगर थोडा मेला लगने का है भी, तो पुष्कर मे । (किसी ने कहा- अजमेर में लगता है बाबा) । हाँ, पुष्कर । वहाँ थोड़ा मेला लगता है, उसमें भी बहुत करके ये ब्राह्मण । फिमेल इतनी नहीं, ब्राह्मण । और मम्मा को तो...... । ब्राह्मण ठहरा ना । ब्राह्मण मेला लगाते हैं, क्योंकि वो ब्रह्मा ब्राह्मण है । अभी उनको यह मालूम नहीं है कि जगदम्बा सरस्वती, जो उनकी बच्ची है, वो ब्राह्मणी है ।..... .देखो, लक्ष्मी को बुलाते हैं, तो चार भुजाओं वाली महालक्ष्मी को बुलाते हैं । गोया दो उनकीं, दो इनकी, तो दोनों की पूजा करते हैं, परन्तु वो इनको मालूम नहीं पडता है कि हम दो की पूजा करते हैं । वो समझते है कि हम सिर्फ महालक्ष्मी की पूजा करते हैं । अभी कोई एक महालक्ष्मी को चार भुजाएँ तो होती नही हैं । दो भुजाएँ उनकीं, दो भुजाएँ इनकी, गिनती करते हैं ना । लक्ष्मी का जो चित्र है, उनको दो मुँह हैं, चार भुजाएँ हैं और बनाते एक मुँह की हैं और चार भुजाएँ दे देते हैं, यह तो रोंग हो जाता है । इसलिए हर एक जो करते हैं, यह अनराइटियस रौंग । बाप आ करके राइटियस बात समझाते हैं, राइटियस बनाते है । नहीं तो सब मनुष्य अनराइटियस हैं । उनको अनराइटियस क्यों कहा जाता है? क्योंकि ये राइट नहीं हैं, जो बाप को सर्वव्यापी मानते हैं, इसलिए सब अनराइटियस हैं । तो इस समय की जो भी वर्ल्ड है, मनुष्य को कहेंगे ना, ये सब अनराइटियस हैं, इसलिए दुःखी हैं । सब इररिलीजियस हैं, क्योंकि जो रिलीजन स्थापन कराने वाला है, वो सब मेसेंजर को भेज देते हैं, उनको सर्वव्यापी कर देते हैं, तो अनराइटियस । हर एक बात में अनराइटियस और फिर बहिश्त में सब राइटियस । सब कहते हैं कि हम शिव की संतान तो हैं ही, सब ब्रदर्स हैं ही, फिर ब्रह्मा की सन्तान होने से ब्रदर्स एण्ड सिस्टर्स बन जाते हैं । तो अभी इस समय में संगमयुग में तुम जो अपन को ब्राह्मण और ब्राह्मणी समझने वाले हो, वो तो सभी भाई-बहन हो गए । दुनिया नहीं जानती है, इसलिए अपन को भाई-बहन कह नहीं सकते हैं और वो हँसी उडाते हैं, क्योंकि भाई-बहन पन की ये सब बाते कोई भी शास्त्र, गीता में लिखी नहीं हैं । यह तो कभी सुना भी नहीं है कि कोई स्त्री और पुरुष आपस में बहन और भाई कह देवें, परन्तु यह तो युक्ति है । ब्रह्माकुमार और कुमारी ये तो भाई-बहन हो गए । यह क्यों? भाई-बहन होकर न रहेगे तो फिर विकार में चले जाएंगे । इसलिए एक भाई-बहन होकर आपस में वो करना, वो तो बडा भारी क्रिमिनल एसाल्ट हो जावे । बाप भी कहते हैं जब निश्चय करते हो कि हम सचमुच ब्रह्माकुमार-कुमारी हैं और शिवबाबा के पौत्र हैं तो फिर तुम लोग आपस में विकार मे जा नही सकेंगे। अगर विकार में गया तो तुम्हारे लिए बड़ी सजा है, बहुत कड़ी सजा है, क्योंकि भाई-बहन आपस में क्रिमिनल एसाल्ट गिना जाता है । अच्छा बच्ची, बाजा बजाओ । (म्युजिक बजा) योगेश्वर । ईश्वर योग सिखलाने वाला । जो योग सीखते हैं, उनको योगी कहा जाता है । बाप को योगी नहीं कहा जाता है । योग सिखलाने वाला माना योगेश्वर । गीता में कृष्ण को योग सिखलाने वाला समझ उनको भी ऐसे ही कहते हैं- योगेश्वर, जो रॉग है । उनको कभी योगेश्वर नहीं कहा जा सकता है और बाप को योगेश्वर कहा जाता है, योगी नहीं । मीठे-मीठे सिकीलधे ज्ञान सितारों प्रति मात-पिता, बापदादा का नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार यादप्यार और गुडनाइट । जो पुरुषार्थ अच्छा करते हैं उनको यादप्यार अच्छा मिलता है । जो कम करते हैं उनको यादप्यार कम मिलेगा । ऐसा होता है ना, क्योंकि जो सपूत, आज्ञाकारी बच्चे होते हैं, वो मीठे लगते हैं और कोई फिर जवाब दे देते हैं.. .करते हैं, तो इतना प्यार नहीं रहता है । बाप भी ऐसे ही है । जो-जो जास्ती पुरुषार्थी हैं, बहुत अच्छी तरह से सर्विस भी करते हैं, औरों को रास्ता भी दिखलाते हैं, वो अच्छा याद पड़ते हैं