08-09-1965     मधुबन आबू     रात्रि मुरली    साकार बाबा     ओम् शांति     मधुबन
 


हेलो गुड इवनिंग ये सात सेप्टेम्बर का रात्री क्लास है

पैसे, कोई जेवर वगैरह बैंक में रखा जाता है ना सेफ्टी के लिए । जो ब्राह्मण है वो जेसे कि सेफ्टी में है । किसके बैंक में पड़े हुए हैं? शिवबाबा के बैंक में । तुम बहुत सेफ है । तुम कहेंगे- वाह! सेफ क्या! ये सब तो मरने वाले हैं । तो बाबा कहते हैं तुम थोड़े ही मरने वाले हैं । तुम तो अमर बनते हो ना । समझा ना । बाबा के सेफ मे पास रह करके तुम अमर बनते हो । तुम्हारे लिए कोई नहीं कहेंगे कि ये मरे । हम लोग अभी मृत्युलोक से जाते हैं ना । तो इसलिए हम काल के ऊपर भी विजय पहन रहे हैं । तो जितने हम सेफ हैं इतना इस दुनिया में उस सेफ्टी को कोई जानते भी नहीं हैं । हाँ, इतना जरूर है कि सेफ तो बन गए । शिवबाबा के बन गए, सेफ तो बन गए । बाकी है वहाँ ऊँचा पद पाने का थोडा पुरुषार्थ । नहीं तो सेफ तो हो गए बिल्कुल ही । अमरलोक के जैसे मालिक बन गए और तुमको यहाँ... । मनुष्यों को तो फिकर होगा, जिनके पास यहाँ-वहाँ, कहाँ न कहाँ हजारों लाखों करोडों रुपये हैं । अभी वो तो बिचारे नहीं जानते हैं कि हमारे इन करोड़ों का क्या होने वाला है । इतने साहूकार हैं, पदमपति भी हैं । पदम में कितने करोड़ होते हैं तुमको मालूम है? सौ करोड़ । तो जितनी जिसके पास धन दौलत माया जमीन उसको वो याद जरूर रहती हैं, उसका नशा रहता है और जिनके पास अभी कुछ नहीं है उनके पास फिर जैसे कि सब कुछ है । वो उस फुरने में ही रहते हैं कि बचा कर जमा करने के, फलाना करके,. देखो, कितने करोड़ों रुपये हैं तो जास्ती उनको इन्तजारी रहती है यहाँ पैसा दिया है पता नहीं क्या होगा! आगे चलकर, जब जास्ती जोर से लडाई लगेगी तो पीछे सब बिचारे फां होगे कि गया सब कुछ । कुछ है नहीं । देह भी हमारी नहीं है । वो भी हमने दे दिया बाबा को, उसके बदले में हमने बाबा से सौदा कर लिया । ये सब कुछ दे करके हमने बाबा से सौदा कर लिया । कब के लिए? दूसरे जन्म के लिए । बस, कोई जास्ती दूर नहीं है । इसमें कोई सौ, दो सौ बरस नहीं लगाना है, दूसरे जन्म में । तो हमने सौदा किया है बाबा से कि दूसरे जन्म... । ऐसे भी सौदा किया जाता है, दान-पुण्य किया जाता है दूसरे जन्म के लिए । परन्तु कहाँ जन्म है..? फिर अमरलोक में है । तुमने बाबा से बहुत अच्छा सौदा किया है । बाबा से सौदा किया है कि हम आपको देह सहित ये सब कुछ देते हैं और हम आपसे वहाँ सब कुछ ले लेंगे । तो हम जैसे एकदम सेफ हो गए ना । हमने बाबा को दे दिया । बाबा की तिजोरी में देह सहित सब कुछ पड़ गया । यहाँ बाकी जो शरीर निर्वाह के लिए, तो यहाँ बाप के पास बहुत ही मिल सकता है । तो बाकी थोड़ा समय तो है ही, कोई जास्ती समय तो है नहीं । तुम बच्चों को तो बहुत ही खुशी होनी चाहिए । इसलिए बाबा समझाते है ना कि अतीन्द्रिय सुख पूंछना हो तो गोप-गोपियों से पूंछो । ये भागवत में लिखा हुआ है ना । सतयुग में कोई से पूंछने की दरकार है क्या! वो तो है ही स्वर्ग । वहाँ तो पूंछने की दरकार ही नहीं रहती है । तो देखो, इस समय मे संगमयुग वाले गोप-गोपियों से अतीन्द्रिय सुख पूंछो, क्योंकि इस समय में सबके पास दुःख है । सतयुग में सबके पास सुख है । तो संगम पर कहा जाता है कि गोप-गापियो से पूंछो, उनके सुख की बातें पूंछो । तो देखो, तुम्हारे से कोई पूँछते है तो बोलें- वाह! हम तो अभी ईश्वर की औलाद बने है और उनसे स्वर्ग का वर्सा ले रहे हैं । हमारी सभी कामनाएँ पूरी हो रही हैं सुख के लिए । तो तुम सबसे सौभाग्यशाली ठहरे ना । है पुरुषार्थ के ऊपर । कितना भी हो सके, कोई भी विकर्म हाथ से न हो, क्योंकि पाप तो बहुत किया ना । अभी बाबा कहते हैं कि जैसे तुम कहती हो कि बाबा, हम विख नहीं पिएँगी तैसे ये भी प्रतिज्ञा कर लो कि बाबा, हम कोई भी पाप का काम नहीं करेंगी । जरा भी पाप का काम नहीं । हमारा दिल जहॉ खाती होगी ये पाप का काम है, वो मैं कभी नहीं करूँगी । नहीं तो क्या होता है, वो पाप का काम सौगुणा बन जाता है । अभी दिल की बात है ना, क्योंकि दिल तो सबकी होती है, जब बूढ़ी मरने का समय होता है । अभी भी देखो बाबा बहुतों से अपनी जीवन कहानी पूँछते हैं । तो जो भी जीवन में पाप किया वो बाबा को बताय देते हैं और फिर कहते हैं कि हमारा बन करके फिर अगर करेंगे, एक पाप करेंगे तो सौगुणा हो जाएगा, इसलिए पाप न करना । दिल रूपी दर्पण में जाँच करना, क्योंकि दिल रूपी दर्पण में जाँच होती है ना कि हमने सारी जीवन में कहाँ तक पाप किया है । तो वो पाप तो सबसे होता ही है । सबसे बड़ा पाप तो हुआ ही काम का पाप । अभी वो इस जीवन में तो किया जब तलक अज्ञान है । फिर इस जीवन में आ करके ब्राह्मण बन करके फिर अगर कोई किया तो सौगुणा दण्ड । वो तो हो गया । वो तो एक - दो के ऊपर पाप चढ़ते- चढ़ते बहुत हो गए हैं, क्योंकि वो पतित हो गए हैं ना । पतित होते ही हैं विकार के पाप से । तो जब से बाप से प्रतिज्ञा की जाती है- हम कोई भी पाप नहीं करेंगे । क्रोध करना, किसको मारना वो भी तो पाप । फिर पाप तो खाते हैं कुछ भी करते है तो । तो अपनी दिल रूपी दर्पण से जाँच करनी चाहिए कि हमने कहाँ तक पाप किया है । इस जन्म की याद पड़ेगी । जन्म-जन्मान्तर के लिए तो बाप ने बता ही दिया है कि पाप होते ही आए हैं । ये जो भी मनुष्य मात्र हैं वो उतरते ही रहते हैं । जबकि हम देवताएँ ही उतरते आते हैं, 14 से 12 कला, 12 से... । कुछ भी अच्छा काम भी करते हैं, परन्तु उतरते जरूर है । ये तो बच्चों ने अच्छी तरह से समझ लिया है कि अभी हमारी चढ़ती कला है और 16 कला सम्पूर्ण बाप से ही बनेंगे । कैसे? याद । श्रेष्टाचारी सृष्टि तो सतयुग को ही कहेंगे । भ्रष्टाचारी तो यहाँ है । भ्रष्टाचार का बाबा ने समझाया ना- है ही पतित । रहते तो हो गृहस्थ व्यवहार में, और भी आसपास में सब भ्रष्टाचारी रहते हैं, परन्तु वो तुम जानते हो, ये बुद्धि में है कि ये सब भ्रष्टाचारी हैं, ये खतम ही हो जाने वाले हैं । बाकी जो कुछ थोड़ा समय रहे हुए हैं वो तो भ्रष्टाचारी दुनिया में रहेंगे ही । जितना जास्ती याद करते हैं समझते हैं ये तो सभी खलास ही हो जाने वाले है । तो अपन को बचाते रहना चाहिए । माया पाप कराएगी, परन्तु फिर आ करके बता देना चाहिए । पाप करके अगर कोई ने पतित-पावन को न बताया तो पाप किया तो पतित हुआ ना । तो पतित-पावन कहते हैं अगर तुम पाप करके कुछ पतित हुए तो मेरे को बताय दो । अभी इस समय में जो तुमको सौगुणा दण्ड पड़ता था, अरे उससे तो मिट जाएँगे ना । पाप का तो तुमको योग में खलास करना है । इस समय में तुम कोई भी पाप न करना । अपनी जाँच करते रहना । नहीं तो... ये दिल डुलायमान होगी । अंदर तो खाएगा ना कि हमने ये किया, हमने ये किया, हम ये कर रही है । बहुत पाप कर भी तो रहे है ना, ऐसे थोड़े ही है कि कोई-कोई नहीं होता है । नहीं, हो जाते हैं । तो कोई भी पाप करे तो आकर बता देना मेरे से ये पाप हो गया । तो छूट जाएगा और फिर मल्टीप्लीकेशन से भी छूट जाएगा । इससे तुम्हारा मर्तबा ऊँचा होगा । मर्तबा ऊँचा करने का सब कुछ करना चाहिए । भले बच्चे भी होते हैं । बाबा जानते हैं कि बहुत बच्चे पाप करते हैं । उनकी दिल उनको खाती है, परन्तु कर ही क्या सकते हैं! वो तो कर लिया, उसमें पछताने से नहीं. .. फिर भी जितना हो सके एक तो सुनाना, दूसरे, बाप को याद रखना । जितना कोई पाप छिपाते हैं, छी-छी काम करते हैं, उसका अंदर उनको खाता रहता है कि वो सर्विस तो नहीं, परन्तु और ही अपनी डिससर्विस कर रहे हैं, क्योंकि हर एक को अपनी सर्विस करनी है ना । तो अगर पूरी तरह से अपनी सर्विस न करेंगे, सम्पूर्ण पुण्यात्मा न बनावेंगी तो जैसे कि अपना घाटा करती है और के घाटा कल्प-कल्पांतर का हो जाएगा । ये पिछाड़ी को बहुत पछताएँगे क्योंकि पिछाड़ी में साक्षात्कार बहुत हो जाएगा, सब- पढ़ाई का, अंदर का । अच्छा, .. .यहाँ आ करके हूबहू इसको देखने से ये चित्र देखते हैं । जैसे किताब में घोड़ा देखने में आता है तो छोटा देखेंगे, बड़ा तो नहीं देखने में आएगा । अच्छा, ये भी चित्र छोटा है, परन्तु तुमको सारी दुनिया कितनी बड़ी देखने में आएगी । वो बाबा ऊपर में रहते है । वो रहने का निवास स्थान है । ये सूक्ष्मवतन है । वो मूलवतन है जहाँ हम रहते हैं । ये देखो चक्कर है । दो दुनियाएँ खड़ी हैं । आधाकल्प में हम जो देवी-देवताऐ हैं, सुन्दर रहते हैं, आधाकल्प में चिता पर चढ़ने से हम श्याम हो जाते हैं । देखो, श्याम और सुन्दर । कलहयुग श्याम, काला, वो सतयुग सुन्दर, गोरा । तो वहाँ जा करके रोज बुद्धि में धारण कर अपने से आप बात करते रहें तो उनकी दूसरे से बात करने की हेर पड़ जाएगी । क्या सुना? जो-जो जिन-जिन का... । तो अच्छी तरह से नशा चढ़ा रहेगा, क्योंकि बुद्धि में सारा चक्कर उनको याद होगा, तीनों लोक उनको याद होगा और तीनों लोकों का ज्ञान भी सेकेण्ड में आ जाता है- वो निराकारी दुनिया, आकारी दुनिया, यह साकारी दुनिया, इसमें 84 जन्म लेना पड़ता है । कितना सहज है, इसलिए ये चित्र बड़ा अच्छा है । हाथ में शंख है बजाने का । सिक्ख लोग कहें, तो ये भी शंख बजाते है । अभी शंख बजाने का तो वो अर्थ नहीं है कि शंख वो बैठ करके उठकर बजाना, क्योंकि यहाँ शंख देखा है ना तो वो लोग भी शंख बजाते हैं । अभी यहाँ कोई शंख की थोड़े ही बात है । ये ज्ञान की मुरली है ना । न काठ की मुरली, न ये शंख बजाना । ये कोई इसी के लिए तो नहीं है ना ।. ... नगाड़े बजाते है, उसके बाद. ये जरूर कहते हैं सर्व का भला...... । जैसे कि विजय का बजता है शंख और नगाड़ा खुशी का ।. ..खुशी के बजाते हैं, कोई गम के बजाते हैं । मुसलमान जब बजाते हैं.. मे तब वो गम के बजाते है । (म्युजिक बजा) मीठे-मीठे, सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता, बापदादा का यादप्यार और गुडनाइट ।