29-10-1965     मधुबन आबू     रात्रि मुरली    साकार बाबा     ओम् शांति     मधुबन
 


हेलो गुड इवनिंग ये 29 अक्टूबर का रात्रि क्लास है

अभी हम ऐसे कर्म करते हैं, बाबा हमको सिखलाते हैं, जो फिर जन्म-जन्मातर हम कभी दुःखी नहीं होंगे । ये समझते हो ! .. बाप मिला, जिसके लिए मनुष्य भक्तिमार्ग में आधाकल्प ही धक्का खाते रहते हैं । किसलिए? भगवान को मिलने के लिए । भगवान तो आ करके कहते हैं मैं तो आपे ही आता हूँ जब पतितों को पावन करना होता है वा नर्कवासी को स्वर्गवासी बनाना होता है । तो इस समय में जब ये मालूम पड़ता है तो अंदर मे अच्छी कहक आती है कि हम कैसे छी-छी बन गए थे! अभी बाबा द्वारा कितने अच्छे बनते हैं! कितने कगाल दुखी झूठे गंदे ये वैश्यालय में जैसे क्या हो गए थे! अभी बाप आ करके हमको शिवालय का मालिक बनाते हैं, विश्व का मालिक बनाते हैं । तो खुशी होनी चाहिए ना । अभी मत जो नही समझते होंगे उनको इतनी खुशी नहीं होगी । नहीं तो इसमे खुशी बहुत होती है जिनको ये निश्चय होता है कि अभी हमारा 84 जन्म पूरा हुआ है, अभी बाबा से फिर से हम अपना वर्सा लेते हैं । जिनको निश्चय नहीं होता है उनको इतनी खुशी चढ़ने की है नहीं; क्योंकि गाया भी हुआ है ना- निश्चय बुद्धि विजयन्ति संशयबुद्धि विनश्यन्ति । तो निश्चय जब होता है कि बाप मिला तो ये तो पता है, पक्का हुआ कि स्वर्ग का मालिक बनेंगे और इस समय में ये जो नर्कवासी हैं, सब खतम हो जाएंगे । नर्कवासी देखो कितने हैं! करोडों हैं । दस बरस के अंदर दुनिया में ये सब इतने जो करोड़ो मनुष्य हैं वो सभी खतम हो जाएंगे । वो होना है जरूर; क्योंकि भारत में जब इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य था तो. बहुत थोड़े थे अर्थात् सतयुग में बहुत थोडे थे । कलहयुग में बहुत । देखो, वही सामने चक्र में देखेंगे तो अभी कलहयुग है तो 500 करोड़ आदमी हैं । सतयुग है, थोडे आदमी हैं । ये तो समझना चाहिए ना कि अभी बरोबर मौत है और जबकि मौत है, विनाश होने का है तो बाप आते हैं । बाप आ करके सुख का अविनाशी वर्सा देते हैं। अभी बाबा के आगे कई थोडा- थोडा समझते हैं, जब घर जाएंगे, जो थोडा- थोडा वो भूल जाएंगे । अगर रोज आ करके सुनते रहेंगे तो ठहर सकेंगे । अगर न सुनते रहेंगे तो ये भी भूल जाएंगे और वो नशा भी गुम हो जाएगा थोड़ा-बहुत । तो उसका भी नतीजा क्या होगा कि स्वर्ग मे जाएंगे; परन्तु जाकर बहुत कम पद पाएंगे । देखो, अभी जैसे यह वर्शियर बैठा है । अभी सुनते रहते हैं । इनको अच्छा भी लगता है, कही मूंझता भी है । तो इतना खुशी का पारा नहीं चढ़ता है । पता नहीं वो आकर सुनेंगे, न सुनेंगे । तो फिर उनका नतीजा क्या होगा! यहाँ तो फिर भी वर्शियर है, पद कुछ अच्छा है । इन शबरी से, गरीबों से तो अच्छा पद है ना । फिर अगर नहीं सुनेंगे, नहीं पढेंगे तो क्या होगा? जो-जो सुनने वाले हैं उनका बहुत ऊँचा पद हो जाएगा, ये नीचे हो जाएँगे और फिर नीचे भी जन्म-जन्मांतर हो जाएँगे । ये जो गरीब माताएँ हैं, जिनका निश्चय है और फिर सुनती रहेंगी, वो बहुत ऊंचा पद पा लेंगी और सुन करके फिर याद करती रहेंगी । मूल बात है याद में । तो इतना फर्क बाबा बताय देंगे । बाबा से कभी कोई पूंछते हैं- बाबा, इस समय में चलो कोई ऐसा इत्फाक हो जावे, मेरा शरीर विनाश हो जाएगा तो भला किस पद को पाएँगे? बाबा बताय देंगे । तो ऐसे हल्के पद को या ... पद को या फलाने पद को बताय देंगे; क्योंकि मौत का तो आजकल कोई ठिकाना ही नहीं है । जितना बिल्कुल ही जल्दी-जल्दी मौत यहाँ है उतना वहाँ मौत होता ही नहीं है जैसे । वहाँ कोई शरीर भी छोड़ते हैं तो उसको मौत नहीं कहा जाता है । कायदा नहीं है । कोई शरीर आपे ही ऐसे ही छूट नहीं जाता है, शरीर को आपे ही छोड़ना पड़ता है अपनी मर्जी से- अभी हम बुड्‌ढा हुआ है, शरीर बुड्‌ढा हो गया, अभी क्यों न छोटा बच्चा बनें! तो बस शरीर छूट जाएगा जब उनका टाइम होगा, फिर छोटा बच्चा बन जाएगा । छोटा बच्चा तो अच्छा लगता है ना । देखो, गोद में सम्भाला जाता है, बहुत मुम्मन किया जाता है । छोटे बच्चे को बहुत प्यार किया जाता है । बुड्‌ढे को इतना प्यार नहीं जाता है । .. .उनको कौन प्यार करेगा! इसलिए बुड्‌ढा जब होता है तो बोलता है- नहीं, अभी मैं प्यार योग्य बच्चा बनता हूँ । वहाँ ऐसे मृत्यु होती है, उसको फिर मृत्यु नहीं कहा जाता है, परन्तु जब इन बातों को सुनते रहो, खुशी में चढ़ते रहें और न इनको सुनेंगे तो न खुशी में चलेंगे । अच्छा, सभी बच्चों की तबीयत ठीक है? कही मूँझते हो तो बाबा से पूंछते रहें । वहाँ से भी चिट्‌ठी लिख करके पूंछते रहें । ... ये जो सीटी है ना, देखो सीढ़ी तो सहज है ना कि हमने अभी 84 जन्म पूरा किया है । अभी मौत सामने है । अभी घर जाना है । तो घर को याद करना बाप को याद करना, बाप को याद करना घर को याद करना है । बाबा तो सदैव घर में रहता है ना । तो ये सीढ़ी भी सबके पास जल्दी आ जाएगी । बाबा ने बहुत जल्दी लिखा है कि इनसे थोडी छोटी होगी । सीढ़ी छप रही है । बाबा ने भेज दिया कि जल्दी छपाओ इन सबको भेजो । तो सीढ़ी भी घर में रखी होगी तो समझेंगे कि हम तो अभी ऊंचे जाएँगे । 84 पूरा हुआ है, अभी फिर बाबा से वर्सा ले रहे हैं । देखो है ना, रात्रि क्लास वो बाबा खड़ा है ना, लक्ष्मी-नारायण बाजू में खड़ा है । देखने मे आता है? (किसी ने कहा- जी) शिवबाबा लक्ष्मी-नारायण । तो ये बाबा जब भारत में आते है तो आ करके वैकुण्ठ की बादशाही देते हैं और 5000 वर्ष पहले इस लक्ष्मी-नारायण की बादशाही थी । पीछे देखो, सीढ़ी उतरते हैं, ऊपर से फिर यहाँ आ जाते है । वहाँ दिखलाया भी जाता है कि सतयुग में इतने मनुष्य होते है । इन बच्चों को तो सारा दिन इन चित्रों के ऊपर ही घुमाना चाहिए तो ये समझ जाएँ । जल्दी इन बच्चों को इतना बड़ा ये किताब भी मिल जाएगा जिसमें ये सभी चित्र होंगे । पीछे बच्चे रोज बैठ करके देखेंगे, उनको अच्छी तरह से समझेंगे । आज एक बच्चा यहाँ बैठा था, चित्रों पर क्या लिखता था कि चिट्‌ठी लिखता था, क्या करता था! कौन था? (किसी ने कहा-अष्णु । 63 जन्म विकार में जाने के बाद दुःखी होते आए है, दुःखी होते आए है, दुःखी होते आए हैं । अभी तो महादुःख का वो गिरेगा । ये बहुत दुःख का समय आता है अभी । अभी तो ये कहते हैं बरसात नहीं हुई है; परन्तु इतनी बरसात होगी जो सब खतम हो जाएँगे ।.. ..ये सभी शहर के शहर खतम हो जाएँगे, इतनी पड़ेगी । फिर उनके साथ वो पत्थर इतने- इतने पड़ेंगे । ये होने वाला है, सब कुछ खतम होने का है । इसलिए बाप कहते हैं कि ये जो दुनिया है इसको देखते हुए नहीं देखो । अपनी नई दुनिया को याद करो । नए घर को याद करो; क्योंकि बाप नया घर तैयार करा रहे हैं । तुम सबको भी तैयार करा रहे हैं । पवित्र बनो, नहीं तो सजा भी खाकर जाएँगे नए घर मे जरूर । गरीब होंगे तो भी सुखी होंगे, साहूकार होंगे तो भी सुखी होंगे । फर्क जरूर रहेगा । फर्क जरूर रहता है । दुनिया में फर्क हर एक में रहता ही है । कोई गरीब, कोई साहूकार, कोई ऊँच, कोई नीच। वो वही रहता ही है । दुनिया में ये कायदा है; परन्तु ये है दुःख की दुनिया और अभी सुख की दुनिया स्थापन हो रही है । बाकी थोड़ा टाइम । बाकी ऐसे मत समझो कि अभी पटना में डुक्ल्ह(दुकाल) पड़ेगा, बहुत गरीब दुःखी होंगे । गवर्मेन्ट उनको बहुत् देगी, फिर आधा पेट भी खाएँगे । ऐसे कुछ न कुछ खाएँगे । फिर कई बहुत दूर होंगे, न पहुँच सकेंगे तो भूख में मर भी जाएँगे । ऐसे जब भी टुकड़ होते हैं तभी लाखों-करोड़ों मर जाते हैं । ऐसे भारत में बहुत दफा हुए हैं । करोड़ों मर जाते हैं, दूर-दूर पहुँचा नहीं सकते हैं और ये होने का है, क्योंकि सरकार नहीं पहुँचा सकेगी । अभी लड़ाई शुरू हो जाएगी तो वहाँ से अन्न आ नहीं सकेगा । फिर खिलाएँगे कहाँ से? ये जो अभी कहते रहते है कि हम ये करेंगे, ये करेंगे, विलायत से बीज मॅगाया वो भोकेंगे हम बहुत करेंगे, हम ये करेंगे, ये करेंगे, करेंगे कुछ नहीं । इनका प्लान सब मिट्‌टी मे मिल जाएगा और बाबा का प्लान ही विजय पहनेगा, ये तुम बच्चों का । अच्छा, चलो बच्ची । (म्युजिक बजा) अभी घर चलते हो ना बच्चे । नाटक जब पूरा होता है तो घर जाना होता है । जो चैतन्य नाटक होते है यहाँ भी... । ये बिचारे.. .वालों ने तो नाटक भी नहीं देखेंगे होंगे शायद । ये तो बिचारे कुछ देखते ही नहीं हैं । (किसी ने कहा-उधर रामायण का बहुत नाटक आता है) । हाँ, फिर भी वो नाटक देखे तो हैं ना कुछ। वो जो नाटक होते हैं, नाटक करके, ये लिबास. उतार करके घर जाते हैं तो वहाँ अपने कपड़े, .. । घर तो बच्चों का वहाँ है जहाँ कपड़े नहीं हैं, शरीर नहीं है। तुम बच्चों ने तो 84 जन्म का इस सारे नाटक मे पार्ट बजाया । अभी 84 का पार्ट .. नाटक पूरा होता है । नाटक जब पूरा होता है तो सभी घर जाते है ना । तो ये नाटक होता है, तो जो 500 करोड़ आत्माएँ वहाँ से आईं और ये शरीर धारण कर पार्ट बजाया, अभी शरीर छोड़ करके फिर सब वापस घर चले जाऐगे । तो अभी बाप आते ही है घर ले जाने के लिए । पुकारते ही है इसीलिए, दुःखी होते है । बाबा, ये रावण का राज्य है, इसमें पाँच विकार, इनसे हम बहुत दुःखी हो गए हैं । हमको घर ले चलो । फिर घर जब जाते है तो फिर आना तो जरूर है । तो जब घर जाते आते है तो फिर दुःख होता ही नहीं है; क्योंकि पहले सुख, पीछे दुःख । बाबा ने समझाया है ना कि जो भी मनुष्य यहाँ आते हैं, पहले सतोप्रधान सतो रजो तमो । एक भी जन्म वाला होगा, दो जन्म वाला भी होगा, पिछाड़ी में आता होगा वो भी ऐसे ही- थोडा सुख, थोडा दुःख । तुम बच्चो को बहुत सुख, अभी बहुत दुःख । भारत में ये जो लड़ाई होती है ना, ये बहुत खराब लडाई है । इसलिए यहाँ कहा जाता है कि रक्त की नदी बहने के बाद घी की नदी बहेगी । तो रक्त की नदी, ये मारामारी यहाँ है, क्योकि हिन्दू और मुसलमान ये बहुत पुराने दुश्मन हैं । जब ये आपस में लडेंगे तो वहाँ सब हिन्दू मर जाएँगे, यहाँ सब मुसलमान मर जाएँगे, बाकी भी जो होंगे, सब मर-झर करके बाकी जा करके ये भारत के थोड़े मनुष्य बचेंगे । मीठे-मीठे, सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता, बापदादा का यादप्यार और गुडनाइट ।