ब्राह्मण सो फरिश्ता सो देवता।


ओम शांति।

एक सेकंड में स्थित हो जाएं अपने ब्राह्मण स्वरूप में... मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप चमकता सितारा.. स्थित हूं अपने संगमयुगी ब्राह्मण स्वरूप में... संपूर्ण पवित्र.. सर्व शक्तियों से संपन्न... ब्राह्मण अर्थात मायाजीत... सर्वशक्ति संपन्न बनना ही मायाजीत बनना है! ब्राह्मण अर्थात स्वराज्य अधिकारी.... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्म इंद्रियों की मालिक... संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण स्वरूप.... ब्राह्मण अर्थात विजयी.... सर्व शक्तियां अर्थात सर्व शस्त्रों से संपन्न.... ब्राह्मण स्वरूप अर्थात सदा ताज, तख्त और तिलकधारी... विश्व कल्याण की जिम्मेदारी के ताजधारी... सदा स्वत: स्मृति के तिलकधारी... और सदा बाप के दिलतख्त नशीन... ब्राह्मण अर्थात सदा अलौकिक मौज के जीवन में रहने वाले... सदा रूहानी सीरत और सूरत वाले.... मैं ब्राह्मण सदा मौज में रहने वाला, संपूर्ण पवित्र स्वराज्य अधिकारी.... सर्वशक्ति संपन्न मायाजीत....

अभी अनुभव करेंगे एक सेकंड में मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में.... फरिश्ता अर्थात डबल लाइट, सदा हल्का.... सारे दिन में स्वभाव संस्कार, संबंध संपर्क में लाइट... फरिश्ता अर्थात जिसका पुरानी देह और दुनिया से कोई रिश्ता नहीं.... फरिश्ता का यथार्थ स्वरूप है देह और देह के संबंध से और देह अभिमान से न्यारा.... फरिश्ते सदा उड़ते रहते हैं.... और परमात्मा का मैसेज देते रहते हैं... मैं फरिश्ता इस संसार में परमात्मा का भेजा हुआ एक एंजेल हूं... एक अवतरित फरिश्ता हूं... सारे संसार को मुझे परमात्मा का मैसेज देना है.... उनके अवतरण का संदेश देना है... मुझ फरिश्ता को इस संसार की किसी आत्मा से कुछ नहीं चाहिए... मुझे सिर्फ देना है... मुझ फरिश्ता से इस संसार को सदैव पवित्रता, ज्ञान, गुणों और शक्तियों के वाइब्रेशन सदैव मिलते रहते हैं.... मैं सदैव हल्का और उड़ता रहता हूं.... फरिश्ता आया और संदेश दिया और उड़ा....

अभी 1 सेकंड में मैं आत्मा स्थित हूं अपने देवता स्वरूप में... फील करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने देवता स्वरूप में... अनुभव करेंगे देवता रूपी ड्रेस.. सिर पर डबल ताज- एक प्योरिटी का और एक रत्नों जड़ित हीरों का ताज... कंचन काया... संपूर्ण सतोप्रधान... 16 कला संपन्न... देवता अर्थात दिव्य गुणों से सजे सजाए... सर्व गुणों से मैं संपन्न हूं... देवता अर्थात देने वाला... मैं सदा देता हूं... देने का संस्कार मुझ आत्मा का ओरिजिनल संस्कार है... अनुभव करेंगे अपने देवता स्वरूप को... संपूर्ण एकाग्र... फील करेंगे स्वर्ग का आनंद... पंछियों की आवाज... एक नैचुरल संगीत... मैं एक सतयुगी दिव्य आत्मा हूं.... सतयुग में मैं प्रिंस हूं.... अनुभव करेंगे चारों तरफ सोने के महल... महलों के आंगन में खड़े पुष्पक विमान.... अनुभव करेंगे पुष्पक विमान की सैर.... सेकंड में बटन दबाया और उड़ चलें.... मैं सतयुगी दिव्य आत्मा हूं.....

ओम शांति।