रोज़ सवेरे उठते ही यह 6 बातों का समर्पण करें।


ओम शांति।

परमात्मा कहते हैं जितना समर्पण उतना संपूर्ण। हम जितना जितना मन बुद्धि से परमात्मा को समर्पण होते जाएंगे, उतना ही हमारा योग शक्तिशाली होता जाएगा। हमारे संकल्प स्वत: ही पॉजिटिव रहेंगे। हमारी विल पावर बढ़ेगी। हम तन, मन और धन से भरपूर बनेंगे। हर परिस्थिति में, जीवन के हर क्षेत्र में हम शक्तिशाली बने रहेंगे, हमें सहज सफलता प्राप्त होगी। तो सुबह उठते ही, हमें यह 6 बातों का समर्पण करना है। सबसे पहले उठते ही हम आज के दिन के लिए परमात्मा का शुक्रिया करेंगे। उन्हें दिल से मुस्कुरा के गुड मॉर्निंग कहेंगे। अव्यक्त मुरली- 29 जून, 1970 में हमें बाबा ने समर्पण की गहराई बताई है, समर्पण का विशाल रूप बताया है। तो हमें 6 बातों का समर्पण करना है- समय, संकल्प, संपत्ति, अपने सर्व संबंध, कर्म और देह। जितना ही हम इन्हीं बातों का समर्पण करते जाएंगे- उतना ही हमारा मन हल्का होता जाएगा। हमारे संकल्पों की स्पीड कम होती जाएगी। हमें निरंतर परमात्म साथ का अनुभव होगा। हम शक्तिशाली, निश्चिंत और सुरक्षित अनुभव करेंगे। तो यह 6 बातों का समर्पण एक मेडिटेशन के रूप में ,चलिए शुरू करते हैं।

अनुभव करेंगे मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट- अपने मस्तक के बीच में, एक चमकता सितारा... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मेरे सर्व संकल्प शांत हैं.. मेरा स्वभाव शांत है.. मेरा शरीर पूरी तरह से रिलैक्स्ड है.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा संपूर्ण शांत हो चुकी हूं.. सामने हम visualise करेंगे परमात्मा शिवबाबा, एक पॉइंट ऑफ लाइट... ज्योति स्वरूप... परमात्मा ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान हैं... हम उनकी संतान, हम एक शिवशक्ति हैं... बहुत शक्तिशाली हैं... उन्हें निहारते रहें ,उनसे बातें करते रहें... आज के दिन के लिए हम आपका शुक्रिया करते हैं, गुड मॉर्निंग करते हैं... और पहला समर्पण हम करेंगे- समय.. बाबा मेरे जीवन का पूरा समय हम आपको समर्पण करते हैं... हर समय मुझे स्मृति रहेगी कि मैं परमात्मा की संतान, एक शिवशक्ति हूं, सर्वशक्तिवान हूं... समर्पण कर दें अपने पूरे समय को.. हमारे पूरे जीवन का समय आपका है...

दूसरा समर्पण हम करेंगे - संकल्पों का समर्पण... बाबा मेरे सर्व संकल्प आपको समर्पण हैं.. मेरा हर संकल्प श्रेष्ठ है... आपके श्रीमत के अनुसार है... मेरा कोई संकल्प नहीं... संपूर्ण संकल्पों को समर्पण कर दें... कोई संकल्प नहीं.... मैं पूरी तरह से निर्संकल्प हूं... निश्चिंत हूं... बोझ मुक्त बन चुकी हूं... मेरे सर्व संकल्प परमात्मा शिवबाबा को अर्पण है...
अभी तीसरा समर्पण हम करेंगे - संपत्ति का समर्पण.. मन बुद्धि से हम सारी संपत्ति, जो भी धन है परमात्मा को समर्पण करते हैं... आज से यह संपत्ति, धन, प्रॉपर्टी आपकी है... मैं इसे संभालने वाली एक ट्रस्टी हूं... यह धन पवित्र धन है... इस धन से जो भी होगा श्रेष्ठ होगा... हमारे घर की भंडारी और भंडारे सब परमात्मा के हैं, और सदा भरपूर हैं...
चौथा समर्पण हम करेंगे - अपने सर्व संबंधों का समर्पण... बाबा मेरे सारे संबंध, रिलेशनशिप हम आपको समर्पण करते हैं... यह सभी संबंध परमात्मा को समर्पण करने से, यह सभी संबंध अच्छे हो जाएंगे... इन संबंधों के प्रति मेरी शुभ भावना है.. मेरी श्रेष्ठ कामना है कि सबका भला हो... मेरा सभी के साथ प्यार है... सभी बहुत अच्छे हैं... सभी मुझे दिल से बहुत प्यार करते हैं... मुझे दिल से दुआएं देते हैं...

पांचवा समर्पण हम करेंगे - अपने कर्मों का समर्पण... फील करेंगे ,जो भी कर्म हम करते हैं, वह चाहे साधारण घर का कार्य हो, या कोई जॉब हो, या कोई बिजनेस हो हम पूरा कर्म परमात्मा को समर्पण करते हैं... यह कर्म परमात्मा की सेवा है.. मैं निरंतर योगी, निरंतर सेवाधारी हूं... मेरा हर कर्म आपके लिए है..मेरा हर कर्म श्रेष्ठ है.. मैं हर कर्म में विजयी हूं... हर कर्म में सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है...

अभी छठा समर्पण हम करेंगे- अपने शरीर का समर्पण... इस देह का समर्पण... बाबा यह शरीर आपका है, आप इसे जैसे चाहे यूज़ कर सकते हैं... परमात्मा शिवबाबा को शरीर समर्पण करने से हम बहुत ही हल्का महसूस करेंगे, संपूर्ण बोझमुक्त मैं एक लाइट का शरीर हूं... मन बुद्धि से शरीर का समर्पण करने से शरीर तंदुरुस्त रहेगा, हम निरोगी रहेंगे, सदा स्वस्थ रहेंगे... शरीर की जो भी बीमारियां हैं, वह स्वत: हल्की हो जाएंगी.. हम फिर से एक बार रिपीट करेंगे- समय, संकल्प, संपत्ति, सर्व संबंध, कर्म और देह। इसी प्रकार हमें रात को सोने से पहले भी समर्पण का अभ्यास करना है।

ओम शांति।