बिन्दु रूप स्थिति।
ओम शांति।
चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर एकाग्र करेंगे मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा हूं... मस्तिष्क के बीच में मैं बिंदु स्वरूप चमकता सितारा... पूरी तरह से एकाग्र करेंगे अपने आत्मा बिंदु पर... सर्व संकल्प, कर्म ,संसार को बिंदु लगाकर मैं एकाग्र हूं अपने बिंदु स्वरूप पर...
धीरे धीरे अनुभव करेंगे हमारा स्थूल शरीर पूरी तरह से लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. और कुछ दिखाई नहीं दे रहा है.. बस मैं एक बिंदु आत्मा हूं... कोई भी संकल्पों की हलचल नहीं है... पूरी तरह से एकाग्र और स्थिर हूं.. मैं आत्मा बिंदु हूं.. बीज हूं.. बिंदु बन हमने 84 जन्मों का पार्ट बजाया है.. सर्व सभी मुरलिओं का सार एक ही शब्द है बिंदु... अभी हम एकाग्र करेंगे परमधाम में.. परमात्मा शिवबाबा बिंदु स्वरूप पर.. परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान.. बिंदु स्वरूप परमात्मा परमधाम में... परमधाम.. शांतिधाम.. सभी बिंदुओं का घर.. साइलेंस की दुनिया.. सर्व आत्माएं अपनी अपनी जगह बिंदु रूप में स्थित हैं... अभी मैं आत्मा इस सृष्टि रूपी ड्रामा को बिंदु लगा कर चली परमधाम में.. फील करें यह सृष्टि, पृथ्वी, प्रकृति सभी आत्माएं बिंदु हैं... पूरी तरह से fullstop लगाकर मैं बिंदु धीरे-धीरे आकाश चांद तारों को पार कर पहुंच गई परमधाम में... परमात्मा शिवबाबा के समीप... उनके साथ का अनुभव करें... मैं बिंदु.. बाबा बिंदु.. संसार की सभी आत्माएं बिंदु है.. और कोई संकल्प नहीं.. पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं अपने बिंदु स्वरूप में... अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा से शांति का प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समाते जा रहा है.. जैसे परमात्मा बिंदु से एक याद की तार मुझ आत्मा में जुड़ चुकी है.. कनेक्ट हो चुकी है.. मैं परमात्मा बिंदु से कम्बाइंड हूं... पूरी तरह से शांत हूं... कोई संकल्प नहीं.. बस परमात्मा शिवबाबा से मुझ आत्मा में शांति की किरणों का प्रकाश प्रवाह हो रहा है... मैं शांत हूं.. जितना हम बिंदु बन अशरीरीपन का अनुभव करेंगे, उतना संसार को शांति का दान स्वतः मिलता रहेगा...
अनुभव करेंगे मुझ बिंदु से नीचे सारी सृष्टि को शांति के वाइब्रेशन मिल रहे हैं... परमात्मा शिवबाबा से मुझ आत्मा बिंदु में यह शांति का प्रवाह हो रहा है... और मैं पूरी तरह बाप समान स्थिति में स्थित हूं... और नीचे सारे संसार को मुझ द्वारा परमात्मा शांति का दान दे रहे हैं... मैं निमित्त हूं.. परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं... और कोई संकल्प नहीं... पूरी तरह से समर्पण हो जाएं.. मैं परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं... मुझसे सारी सृष्टि को शांति का दान मिल रहा है... संसार की सभी आत्माएं इस बिंदु रूप में स्थित हो चुकी हैं... और पूरी तरह से शांत हो चुकी हैं... प्रकृति के पांचों तत्व- अग्नि ,वायु ,आकाश ,जल और पृथ्वी- इन्हें बिंदु रूप में अनुभव करें... प्रकृति के ये पांचों तत्व पूरी तरह से बिंदु बन चुके हैं... और शांत हैं.. स्थिर हैं.. कोई हलचल नहीं.. परमात्मा कहते हैं जब किसी को आप बिंदु रूप आत्मा देखते हो, मानो आप उन्हें सकाश दे रहे हो... जितना हम इस संसार को शांति का दान देंगे, हमें संसार की सर्व आत्माओं की दुआएं प्राप्त होंगी.. हमारे पुण्य का खाता जमा होता जाएगा.. परमात्मा शिवबाबा कहते हैं बिंदु को जाना तो सब कुछ जाना, सब कुछ पाया... बिंदु रूप में स्थित हो जो संकल्प करो ,जो भावना रखो ,जो बोलो, जो कर्म करो , जैसे बिंदु महान है वैसे सर्व बातें महान हो जाती हैं, अर्थात स्वत: श्रेष्ठ हो जाती हैं... इस पूरे ज्ञान का सार बिंदु है... हम 3 मिनट इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे- परमात्मा शिव बिंदु से मुझ आत्मा बिंदु में शांति की किरणें समा कर नीचे सारे संसार को मिल रही हैं... संसार की सभी आत्माएं बिंदु बन चुकी हैं... पूरी तरह से शांत हो चुकी हैं.. अभी 1 सेकंड में मैं बिंदु आत्मा पहुंच गई अपने स्थूल शरीर में.. अपने मस्तिष्क के बीच में.. आज से हम सदैव समृति रखेंगे- मैं आत्मा बिंदु और सभी आत्माओं को देखेंगे तो उनके मस्तिष्क के बिंदु को देखेंगे... और संसार के सभी बातों को fullstop लगाकर, बिंदु लगाकर सदा शांत, स्थिर, अचल-अडोल और शक्तिशाली रहेंगे...
ओम शांति ।