Morning Motivation - Affirmations for Happiness - Success from Murli
ओम शांति।
जो संकल्प हम बार बार करते हैं, उसका निर्माण करते हैं। What we think, we become.
परमात्मा कहते हैं तुम सिर्फ मुझे याद करो, तो तुम्हारे लिए सोचने का काम भी मैं करूँगा।
परमात्मा की याद में रहने से जीवन की सर्व समस्या सहज ही समाप्त हो जाएंगी।
जितना परमात्मा बाप की याद में रहेंगे तो परमात्मा के साथ का, व उनके छत्रछाया का अनुभव होता रहेगा।
जो आत्माएं सच्चे हैं और जो परमात्मा की याद में रहते हैं, उनका जवाबदार स्वयं परमात्मा है।
परमात्मा बाप की याद में रहने का साधन है, मेरापन भूल जाना। सबकुछ बाप का है, यह तन भी आपका नहीं, परमात्मा बाप का है।
जैसा संग, वैसा रंग। परमात्मा एवर प्योर है, हम आत्मा मन बुद्धि द्वारा उनके साथ रहेंगे तो हम भी पवित्र बन जाएगा।
अंतर्मुखी बन प्रभु चिंतन करने से जीवन यात्रा सहज होती है।
शिव भगवानुवाच- मैं गारंटी करता हूँ कि तुम मुझे याद करो तो इस योग अग्नि से तुम्हारे जन्म जन्मान्तर के पाप भस्म हो जाएंगे। - 01/02/2019
परमात्मा की याद में रहने से शरीर के रोग जो तंग करते हैं, वह भी ऑटोमेटिकली ठंडे हो जाते हैं। - 24/07/2019
जो सदा ईश्वरीय नशे में मस्त रहते हैं, वह सर्व प्राप्ति संपन्न बनते हैं।
स्वचिन्तन और प्रभुचिन्तन करो तो व्यर्थ चिंतन स्वतः समाप्त हो जाएगा।
हर कदम में कल्याण है। जिस बात में अकल्याण भी दिखाई देता, उसमें भी कल्याण समाया हुआ है, सिर्फ अंतर्मुख होकर देखो।
जब तुम योगयुक्त होकर कर्म करते हो, तो परमात्म शक्तियां तुम्हारे साथ काम करती हैं।
जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा। यह पॉजिटिव संकल्प कमजोर संकल्पों के जाल को खत्म कर देता है।
यदि आप परमात्मा के प्यार में मग्न रहने लगो तो जन्म जन्म संबंधों में प्यार मिलता रहेगा।
दिल एक ईश्वर से लगाओ तो सर्व दुःख दर्द समाप्त हो जाएंगे।
भगवान अपने बच्चों को तन से मन से और धन से सहज रखेगा, यह बाप की गारन्टी है।
दूसरों की गलतियां क्षमा करना और भूलना ही महानता है।
यदि आप सम्मान चाहते हो, तो पहले सबको सम्मान दो।
न व्यक्ति बदलेगी, न स्थान बदलेगा, न परिस्थिति बदलेगी। तुम्हें स्वयं को बदलना होगा।
तुम अपनी श्रेष्ठ पोज़िशन में स्थित रही तो कोई भी अपोजिशन कर नहीं सकता।
रहम की दृष्टि घृणा की दृष्टि को समाप्त कर देती है।
सबके प्रति शुभ कामना, श्रेष्ठ कामना रखना ही सबसे बड़ा पुण्य है। यही यथार्थ सेवा है।
परदर्शन परचिन्तन है धूल। तुम्हें बेदाग हीरा बनना है।
दिल से दूसरों की सेवा करो तो दुआओं का दरवाजा अपने आप खुल जायेगा।
जो अपने घर को, अपने भंडारे को परमात्मा बाप का भंडारा समझते हैं, वो मानो ब्रह्मा भोजन ही खाते हैं। उनके भंडारे और भंडारी सदा भरपूर रहते हैं।
ज्यादा कमज़रियों को सोचो नहीं। कमजोरियों को सोचते सोचते भी और कमज़ोर हो जाते हैं।
सदा एक ही लक्ष्य की तरफ नज़र रहे। वह लक्ष्य है बिंदु। और कोई भी बातों के विस्तार को देखते हुए नहीं देखो, सुनते हुए नहीं सुनो।
विघ्नों को सदा खेल समझ कर चलो तो जीवन में कभी फेल न नहीं होंगे।
परमात्मा बाप की प्रीत में रहना अर्थात अशरीरी सहज बनना।
सवेरे सवेरे जब तुम अशरीरी बनते हो तो सारे संसार को शांति का दान मिलता है।
ओम शांति।