Antim Samay Ka Purusharth - Main Sakshi Sthiti Mein Sthit Prakrutijeet Atma Hoon


ओम शांति।

आज हम एक विशेष अभ्यास करेंगे। यह अभ्यास है साक्षी स्थिति का अभ्यास। परमात्मा कहते हैं जैसे मैं इस ड्रामा के खेल को साक्षी हो देखता हूं, वैसे ही तुम भी साक्षी हो देखो। साक्षी होकर ड्रामा के हर सीन को देखने में बहुत मज़ा आता है। तो आज हम अपने देह, देह के संबंध, प्रकृति के पांच तत्वों को साक्षी होकर देख मनोरंजन का अनुभव करेंगें। तो चलें शुरू करते हैं।

अनुभव करेंगे मैं एक चमकता सितारा.. अपने मस्तक के बीच में... मैं एक प्वाइंट ऑफ लाइट... चमकता सितारा... मैं प्रकृतिजीत आत्मा हूं... मैं आत्मा अपने शरीर की मालिक.. अपने संकल्पों की मालिक... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं एक अवतरित फरिश्ता हूं... अनुभव करेंगे अपने प्रकाश का शरीर... अभी एक सेकंड में अनुभव करेंगे मैं फरिश्ता स्थित हूं एक ऊंची पहाड़ी पर... इस सृष्टि के खेल को साक्षी होकर देख रहा हूं... मैं फरिश्ता ऊंची पहाड़ी पर स्थित अपने ऊंची स्टेज पे स्थित हूं... जितना ऊंचे होंगे उतना हलचल से स्वत: परे रहेंगे... साक्षी होकर देखेंगे अपने शरीर को... यह देह, इस देह की मैं मालिक हूं! देखेंगे सभी देह के संबंधों को, व्यक्तियों को.. साक्षीपन की स्थिति में मैं फरिश्ता ऊंची पहाड़ी पे स्थित हो ड्रामा के खेल को देख रहा हूं.. कोई गिरता है, कोई गिराता है लेकिन खेल देखने वाले को गिरता हुआ देख भी मजा आता... और विजय प्राप्त करता हुआ भी देख मजा आता है... साक्षी होकर देखेंगे प्रकृति के पांच तत्वों को.. अग्नि, वायु, आकाश, जल, पृथ्वी... मैं प्रकृति की हलचल को साक्षी हो देखने वाली प्रकृतिजीत आत्मा हूं.. हमारे मन में कोई भी हलचल नहीं.. ड्रामा के हर सीन को हम साक्षी होकर देख रहे हैं.. ड्रामा के हर सीन में कल्याण समाया हुआ है.. कोई सीन में अकल्याण भी दिखाई देता हो, तो साक्षी होकर देखने में उसमें भी कल्याण समाया हुआ है..

परमात्मा कहते हैं - यह साक्षी स्थिति का पहला और आखिरी पाठ है। लास्ट में जब चारों ओर की हलचल होगी, तो उस समय साक्षी स्थिति से ही विजयी बनेंगे! अनुभव करेंगे हमारे साथ परमपिता परमात्मा शिवबाबा, ब्रह्मा बाबा के तन में.. बाबा के साथ हम यह ड्रामा को साक्षी होकर देख रहे हैं.. अभी अनुभव करेंगे बापदादा और मैं फरिश्ता इस पूरे सृष्टि को दिव्य शक्तियों का प्रकाश दे रहे हैं.. इस प्रकाश में सुख, शांति, पवित्रता, आनंद की किरणें हैं.. सभी आत्माएं यह सुख शांति का अनुभव कर रही हैं... दो मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे.... ओम शांति।