Main Number One Agyaakari Atma Hoon - Sunday Avyakt Murli Meditation - 10 Points Revision
ओम शांति ।
ओम शांति! अनुभव करेंगे मस्तक के बीच मैं आत्मा, एक पॉइंट ऑफ लाइट.. ज्योति स्वरूप.. पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं, अपने इस आत्मिक स्वरूप पर और संकल्प करेंगे, मैं नंबरवन आज्ञाकारी आत्मा हूं.. मैं नंबरवन आज्ञाकारी आत्मा हूं.. सदा सफलता को प्राप्त करने वाली आत्मा हूं.. मैं नंबरवन आज्ञाकारी आत्मा हूं... सदा हर संकल्प, हर बोल व हर कर्म करते परमात्मा बाप की आज्ञा प्रमाण चलने वाली स्मृति स्वरूप हूं... नंबरवन अर्थात सहज स्वतः स्मृति स्वरूप, आज्ञाकारी... दूसरे नंबर अर्थात कभी स्मृति से कर्म करने वाले और कभी कर्म के बाद स्मृति में आने वाले! मैं नंबर वन आज्ञाकारी हूं!! सदा अमृतवेले से रात तक सारे दिन की दिनचर्या के हर कर्म में आज्ञा प्रमाण चलने वाली आत्मा हूं...
आज्ञाकारी बच्चे के ऊपर हर कदम बापदादा के दिल की दुआएं साथ हैं, इसलिए दिल की दुआओं के कारण हर कर्म फलदाई होता है l नंबर वन आज्ञाकारी आत्मा का हर कर्म रूपी बीज शक्तिशाली होने के कारण हर कर्म का फल अर्थात संतुष्टता सफलता प्राप्त होती है l संतुष्टता अपने आप से भी होती है और कर्म के रिजल्ट से भी होती है और अन्य आत्माओं के संबंध संपर्क से भी होती है l नंबर वन आज्ञाकारी तीनों ही बातों में संतुष्टता अनुभव करेंगे और सदा आज्ञा प्रमाण श्रेष्ठ कर्म होने के कारण हर कर्म करने के बाद संतुष्ट होने के कारण कर्म बार-बार बुद्धि को विचलित नहीं करेगा कि ठीक किया व नहीं किया l नंबर वन आज्ञाकारी आत्मा का कभी मन नहीं खाता, आज्ञा प्रमाण चलने के कारण सदा हल्के रहते हैं क्योंकि कर्म के बंधन का बोझ नहीं है l एक है कर्म के संबंध में आना दूसरा है कर्म के बंधन वश कर्म करना l तो नंबर वन आत्मा हर कर्म के संबंध में आने वाली है इसलिए सदा हल्की है l नंबर वन आत्मा हर कर्म में बापदादा द्वारा विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति के कारण, हर कर्म करते आशीर्वाद के फल स्वरुप सदा ही आंतरिक विल पावर अनुभव करेगी l सदा अतींद्रिय सुख का अनुभव करेगी l सदा अपने को भरपूर अर्थात संपन्न अनुभव करेगी l मैं नंबर वन आज्ञाकारी आत्मा हूं l अग्नि स्वरूप स्थिति अर्थात शक्तिशाली याद की स्थिति में रहने वाली आत्मा हूं l ऐसे सदा अग्नि स्वरूप स्थिति, शक्तिशाली स्थिति, बीज रूप, लाइट हाउस, माइट हाउस स्थिति में रहने से सभी हिसाब किताब भस्म हो जाते हैं और कहीं भी मन का खिंचाव नहीं होता l अवज्ञा एक होती है कोई पाप कर्म करना या कोई बड़ी भूल करना और दूसरी छोटी-छोटी अवज्ञाएं भी होती है जैसे बाप की आज्ञा है अमृतवेला विधि पूर्वक शक्तिशाली याद में रहना, हर कर्म कर्म योगी बनकर करना, निमित्त भाव- निर्माण भाव में रहना l
अभी हम बापदादा का याद प्यार सुनेंगे और गहराई से और अनुभव करेंगे l चारों ओर के सर्व आज्ञाकारी श्रेष्ठ आत्माओं को सदा बाप द्वारा प्राप्त हुई आशीर्वाद की अनुभूति करने वाली विशेष आत्माओं को, सदा हर कर्म में संतुष्टता, सफलता अनुभव करने वाली महान आत्माओं को, सदा कदम पर कदम रखने वाले आज्ञाकारी बच्चों को बापदादा का याद प्यार और नमस्ते l
ओम शांति l