Main Swarajya Adhikari Atma Hoon
ओम शांति ।
चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेट कर एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच... मैं आत्मा हूं.. एक प्वाइंट ऑफ लाईट... पूरी तरह से डिटैच हो जाए अपने इस देह और देह की दुनिया से.... बस मैं एक चमकता हुआ सितारा... मैं स्वराज अधिकारी श्रेष्ठ आत्मा हूं... मैं स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेंद्रियों का मालिक.. अपने इस शरीर का मालिक.. अपने एक एक कर्मेंद्रियों का मालिक.. यह शरीर अलग है, इस शरीर को चलाने वाली मैं एक श्रेष्ठ आत्मा हूं.. स्वराज अधिकारी हूं... मेरा अपने शरीर पे, अपने एक एक कर्मेंद्रियों पे पूरा कंट्रोल है... कान, आंख, मुख, हाथ, पैर इन सर्व कर्मेद्रियों की मैं आत्मा मालिक हूं... स्वराज अधिकारी हूं... शक्तिशाली हूं... राज्य अर्थात सत्ता, सत्ता अर्थात् शक्ति... मैं स्वराज्य अधिकारी श्रेष्ठ शक्तिशाली आत्मा हूं... अपने सर्व सूक्ष्म व स्थूल कर्मेंद्रियों की मालिक हूं.. मन बुद्धि संस्कार इन सभी की मैं मालिक हूं... मेरे मन के संकल्प मेरे पूरे कंट्रोल में हैं... एकाग्रचित्त है.. स्मृति स्वरूप है.. मैं आत्मा हर कर्म सोच समझकर करती हूं... स्वराज्य अधिकारी अर्थात मायाजीत.. मायाजीत अर्थात जगतजीत.. स्वराज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी...
स्वराज्य त्रिनेत्री त्रिकालदर्शी तीनो लोको के नॉलेजफुल अर्थात त्रिलोकीनाथ बना देता है... स्वराज्य परमात्मा बाप के दिल-तख्थनशीन बना देता है... स्वराज्य सर्व प्राप्तियों के खजानों का मालिक बना देता है... सदा अचल अडोल मैं स्वराज्य अधिकारी श्रेष्ठ आत्मा हूं... जितना समय और जितने पावर से हम कर्मद्रियों अर्थात् मन बुद्धि और संस्कारों के अधिकारी बनेंगे, उतना ही भविष्य में राज्याधिकारी मिलेगा! इस समय का स्वराज्य स्वयं का राजा बनने से ही 21 जन्मों की गैरंटी है! मेरा मन बुद्धि संस्कार और सभी स्थूल कर्मेंद्रिया ऑर्डर में है... कंट्रोल में है... स्वराज्य अधिकारी अर्थात रूलिंग पावर, कंट्रोलिंग पावर!! जितना जितना हम स्वराज्य अधिकारी स्थिति में स्थित रहेंगे, उतना ही हमारी एकाग्रता बढ़ेगी, हमारा योग बल बढ़ेगा! हम स्वतः शक्तिशाली बनेंगे और हर कार्य में सफलता प्राप्त करेंगे... स्वराज्य अधिकारी अर्थात इस दुनिया के सभी आकर्षणों से मुक्त.. स्वतंत्र!! अपनी देह, देह के पदार्थ, वस्तु, सभी साधन हम मालिक बन यूज करते हैं.. साधनों के, पदार्थों के अधीन नहीं हैं... मैं स्वराज्य अधिकारी श्रेष्ठ आत्मा हूं... मैं स्वराज्य अधिकारी श्रेष्ठ आत्मा हूं... मैं स्वराज्य अधिकारी श्रेष्ठ आत्मा हूं...!
ओम शांति।