Yog Karne Ki Sabse Sahaj Vidhi


ओम शांति ।

आज हम एक विशेष अभ्यास करेंगे। यह अभ्यास सबसे सहज है। यह अभ्यास है पतंग की डोर का अभ्यास। जैसे पतंग की डोर नीचे से ऊपर कनेक्ट होती है, वैसे ही हम आत्मा पतंग की डोर की तरह परमात्मा से कनेक्ट होंगे। और बस एक बाप की याद में मग्न रहेंगे। गायन भी है तेरा एक नाम तारे संसार.. एक परमात्म याद ही सर्व प्राप्तियों का आधार है! जितना हम एक परमात्मा की याद में रहेंगे, हमारे सभी दुःख , विघ्न , समस्याएं स्वतः ही समाप्त हो जाएँगी। अव्यक्त मुरली 9 मार्च, 1982 में परमात्मा कहते हैं- किसी बात को सोचो नहीं, जो बात ज्यादा सोचते हो वो ज्यादा बढ़ती है। सब सोच छोड़ एक परमात्मा बाप को याद करो, यही दुआ हो जायेंगी। याद में बहुत फायदे भरे हैं, जितना याद करेंगे उतना शक्ति भरती जाएगी। सहयोग भी प्राप्त होगा और सेवा भी हो जाएगी। जितना हम सभी बातों को फुल स्टॉप लगाकर, बिन्दु बन बिन्दु बाप को याद करेंगे, हम अनुभव करेंगे हम बहुत शक्तिशाली बन रहे हैं। हमें परमात्म दुआएं मिलेगी, हमें परमात्मा का सहयोग प्राप्त होगा!

परमात्मा इस सृष्टि रूपी झाड़़ के बीज हैं, वे सभी आत्माओं के पिता हैं! बीज को याद करने से हमें संसार की सभी आत्माओं का सहयोग और स्नेह प्राप्त होगा! जितना हम एक बाप की याद में रहेंगे, हम सहज अशरीरी बन जायेंगे.. और जितना हम अशरीरी बनेंगे, सारे संसार को शांति का दान स्वतः प्राप्त होगा! हमने यह अभ्यास दादी जानकी जी के क्लास में सुना था- कि आत्मा परमात्मा से जैसे पतंग की डोर की तरह लटकी हुई हो। कई मुरलियो में बाबा ने कहा है याद की सुली पे लटके रहो। तो ये अभ्यास चलिए स्टार्ट करते है।

चारों तरफ की सर्व बातों को फुल स्टॉप लगाकर, एकाग्र करेंगे मैं आत्मा अपने मस्तक के बीच में.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. कोई संकल्प नहीं.. सर्व बातें जो भी हैं, चाहे व्यक्ति से हो, कर्म से हो, मन की संकल्पों की उलझन हो या तन की कोई व्याधि हो या धन की कोई समस्या हो, इन सभी बातों को फुल स्टॉप लगाएंगे... बिन्दु बन जायेंगे मैं बस एक बिन्दु.. ज्योति स्वरूप बिन्दु आत्मा हूँ... अभी हम बुद्धि रुपी नेत्र के सामने विसुअलाइज़ करेंगे परमधाम में परमात्मा शिवबाबा को, जो हमारी तरह पॉइंट ऑफ लाइट हैं....

परमपिता परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर, गुणों के सागर, सर्वशक्तिमान... हम उनकी संतान हैं.. जन्म जन्म हमने ये परमात्म प्राप्ति के लिए भक्ति की है... और आज स्वयं भगवान हमें मिले हैं... पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं परमात्मा बिन्दु पे... अभी हम अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा से एक लाइट की तार निकल, जैसे एक डोर निकल नीचे धीरे धीरे आ रही है... देखेंगे आकाश, चाँद, तारों को पार कर यह डोर परमात्मा से निकल कर मझ आत्मा में कनेक्ट हो चुकी है , जुड़ चुकी है... जैसे पतंग की डोर नीचे से ऊपर कनेक्ट होती है, वैसे ही मैं आत्मा परमात्मा से कनेक्टेड हूँ....

कोई संकल्प नहीं, बस हम परमात्मा से कनेक्टेड हैं...

एक परमात्मा प्यार में मग्न होना ही सम्पूर्ण ज्ञान है! इस एक अभ्यास में पूरा ज्ञान समाया हुआ है। जितना हम एक बाप की याद में रहेंगे, उतना बुद्धि का ताला खुलता जायेगा। हमें कोई भी समस्या, विघ्न, कनफ्यूशन्स, प्रश्न रहेंगे ही नहीं। 2 मिनट हम इसी तरह परमात्मा प्रेम में मग्न रहेंगे.....

अभी हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे और भगवान के इन एक एक शब्दों को गहराई से फील करेंगे :-

बच्चे, तुम सिर्फ मुझे याद करो.. तुम्हारे सोचने का कार्य भी मैं करूंगा!

परमात्मा बाप की याद में रहने का साधन है मेरापन भूल जाना.. सबकुछ बाप का है, यह तन भी आपका का नहीं, परमात्मा बाप का है!

मैं गारंटी करता हूँ तुम सिर्फ मुझे याद करो तो इस योग अग्नि से तुम्हारे जन्म जन्मांतर के पाप भस्म हो जायेंगे!

यदि आप परमात्म बाप की प्यार में मग्न रहने लगो, तो जन्म जन्म संबंधो में प्यार मिलता रहेगा!

बच्चे मुझे याद करो, इस अभ्यास से तुम सदा सुखी रहोगे।

जहां परमात्मा साथ हैं, वहां कितने भी चाहे तूफान हो, वह तोहफा बन जायेंगे।

बच्चे जहां भी मुश्किल आवे न, बस दिल से कहना - बाबा, मेरा बाबा, मेरे साथी, आ जाओ, मदद करो.. तो बाबा भी बंधा हुआ है.. सिर्फ दिल से कहना!

भागवान अपने बच्चों को सदा तन से, धन से और मन से सहज रखेगा- यह बाप की गारंटी है।

इसी स्थिति में एकाग्र रहें... मैं आत्मा बिन्दु परमात्मा बिन्दु से कंबाइंड हूं.. और कोई संकल्प नहीं!