Amritvela Yog - 30 Mins Paramdham Mein Ekagra Hone Ki Sahaj Vidhi
ओम शांति ।
चारों तरफ से अपने संकल्पों को समेटकर एकाग्र करें अपने बुद्धि को, मस्तक के बीच- मैं आत्मा ज्योति स्वरूप, एक प्वांइट ऑफ लाइट, अनुभव करेंगे.... मैं आत्मा स्थित हूं अपने फोरहेड के बीच में.. एक सफेद चमकता सितारा... मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी... अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक.... मैं एक शान्त स्वरूप आत्मा हूं... देखेंगे मुझ आत्मा से सफेद शान्ति का एक प्रकाश निकल मेरे सम्पूर्ण शरीर में फैल रहा है... ऊपर ब्रेन से लेके नीचे पैरों तक.. यह प्रकाश फैल रहा है...
मेरा सम्पूर्ण शरीर एक सफेद प्रकाश का बन चुका है... मेरे शरीर का एक एक अंग जैसे लाइट बन चुका है... इन किरणों से मैं बहुत ही रिलैक्स महसूस कर रहा हूं....
अभी धीरे धीरे मेरा सम्पूर्ण लाइट का शरीर लोप हो रहा है.... बची सिर्फ मैं आत्मा... एक चमकता सितारा... चली आकाश..की और... आकाश, चांद, तारों को पार कर..पहुंच गई हूं परमधाम में... परमधाम...शान्ति धाम...मुक्तिधाम.... चारों ओर लाल प्रकाश... असंख्य आत्मायें....अपने ज्योति स्वरूप में स्थित हैं... अपने अपने जगह पर... जैसे कि आत्माओं का एक झाड़़ है इस लाल प्रकाश की दुनिया में... अभी मैं आत्मा पहुंच गई हूं परमात्मा शिवबाबा के एकदम पास.... अनुभव करेंगे परमपिता परमात्मा शिवबाबा मेरे समीप, उनसे दिव्य शक्तिओं का प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है... मैं आत्मा स्थित हूं अपने निराकारी स्वरूप में... परमात्मा शिवबाबा से निरन्तर दिव्य शक्तिओं का प्रकाश निकल मुझमें समाते जा रहा है.... जैसे जैसे यह किरणें मुझमें समा रही हैं, मेरे जन्म- जन्मान्तर के विकर्म नष्ट हो रहे हैं... और मैं आत्मा सम्पूर्ण स्वच्छ, पवित्र बन रही हूं.... दो मिनट तक हम अनुभव करेंगे- परमात्मा से पवित्रता की किरणें निकल मुझमें समाती जा रही है... सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में.....
अनुभव करेंगे....मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्र बन चुकी हूं!! मेरे जन्म-जन्मान्तर के विकर्म, नेगेटिविटी सम्पूर्ण नष्ट हो चुकी हैं.. जैसे कि मैं एक बेदाग हीरा हूं.... बाप समान सम्पूर्ण पवित्र....
अभी अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से यह पवित्रता का प्रकाश निकल नीचे सारे संसार को मिल रहा है.... प्रकृति के पांचों तत्व- अग्नि, वायु, आकाश, जल व पृथ्वी...सम्पूर्ण पवित्र बन रहे हैं..... संसार की सर्व आत्माओं को यह पवित्रता की किरणें मिल रही हैं... पवित्रता सुख-शान्ति की जननी है... इन पवित्रता की किरणों से संसार की हर आत्मा सुख शान्ति का अनुभव कर रही हैं... उनके आत्मा में चढ़ी हुई अपवित्रता की मैल सम्पूर्ण स्वच्छ हो रही है... दो मिनट तक हम पवित्रता का दान सारे संसार को देंगे.... अनुभव करेंगे जैसे कि मैं आत्मा परमात्मा का इन्ट्रूमेंट हूं... परमधाम में परमात्मा शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निरन्तर मुझमें समाकर सारे संसार को मिल रही हैं....
अभी मैं आत्मा चली नीचे सृष्टि के ओर... पहुंच गई अपने स्थूल शरीर में.... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में... एकाग्र करेंगे बुद्धि को परमधाम में... शिव ज्योति स्वरूप पर! शिवबाबा ज्ञान के सागर, गुणों के सागर, शान्ति के सागर, सर्वशक्तिवान!! अनुभव करेंगे... शिवबाबा से रंग-बिरंगी किरणें निकल नीचे फाउन्टेन की तरह फ्लो हो रही हैं... और मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.... जैसे जैसे यह किरणें मुझ आत्मा में समा रही है, वैसे वैसे परमात्मा के सर्व गुण, शक्तियां मुझमें समा रहे हैं.... जैसे परमात्मा ज्ञान के सागर हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर ज्ञान का सागर हूं.... शिवबाबा प्रेम के सागर....वैसे मैं आत्मा मास्टर प्रेम का सागर हूं... परमपिता परमात्मा सर्वशक्तिवान... मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.... यह किरणें मुझमें समाते समाते.... मैं सम्पूर्ण बाप समान बन चुका हूं.... मेरी आत्मा सम्पूर्ण बाप समान दिव्य चमक रही है...... बाप कहते हैं- जैसे मैं चमकता हूं उस दुनिया में, वैसे आप चमको इस संसार में!!
अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से यह रंग-बिरंगा प्रकाश सारे संसार में फैल रहा है.... संसार की लाखों-करोड़ों आत्माओं में यह रंग-बिरंगा प्रकाश समाते जा रहा है... जैसे एक फाउन्टेन की तरह मुझसे यह रंग-बिरंगी किरणों का दान संसार को मिल रहा है.... तीन मिनट तक हम संसार को यह किरणें देंगे....
ओम शांति!