Roz Amritvela 1 Sankalp Karein - Baba Me Jo Bhi Hu, Jaisi Bhi Hu Aapki Hu
ओम शांति ।
आज हम एक विशेष संकल्प का अभ्यास करेंगे। इस एक संकल्प के अभ्यास में सभी अभ्यास, सभी पुरुषार्थ समाया हुआ है। इस एक संकल्प से हम सर्व गुणों और सर्व शक्तियों से भरपूर बनेंगे। हम जो चाहे परमात्मा से ले सकते हैं। इस एक संकल्प से हम अनुभव करेंगे परमात्मा बाप के खज़ाने सो हमारे खज़ाने। हम बाप समान सर्व शक्ति संपन्न अनुभव करेंगे। इस संकल्प का अभ्यास हमें रोज़ अमृतवेले करना है।
अव्यक्त मुरली 17-12-1979
बाबा कहते है अमृतवेले सिर्फ माया की बहानेबाज़ी को छोड़ एक संकल्प करो कि मैं जो भी हूँ, जैसी भी हूँ आपकी हूँ! मन, बुद्धि बाप के हवाले कर तख़्तनशीन बन जाओ, तो बाप के सर्व खज़ाने अपने खज़ाने अनुभव होंगे। बाबा कहते हैं इस अमृतवेले के समय बाबा लॉफुल नहीं, लवफुल है। जैसी स्थिति हम बनाना चाहते हैं, अमृतवेले बना सकते हैं। तो यह एक संकल्प का अभ्यास अमृतवेले कैसे करना हैं, चलें स्टार्ट करते हैं।चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेट कर एकाग्र करें मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक प्वांइट ऑफ लाइट...
मैं आत्मा स्थित हूँ अपने फरिश्ता स्वरूप में... फील करेंगे अपना डबल लाइट का सूक्ष्म शरीर... मैं आत्मा प्वांइट ऑफ लाइट.. और मेरा प्रकाश का सूक्ष्म शरीर... मैं एक फरिश्ता हूँ... सभी बातों से मुक्त हूँ... स्वतंत्र हूँ... अभी एक सेकंड में पहुँच जाएं सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... फील करेंगे बापदादा हमारे सामने.. हमें दृष्टि दे रहे हैं... खो जाएं इस प्यार भरी मीठी दृष्टि में... खो जाएं इस परमात्म प्रेम में... बाबा से बातें करे... बाबा मैं जो भी हूँ, जैसी भी हूँ, आपकी हूँ!! बाबा मैं जो भी हूँ, जैसी भी हूँ, आपकी हूँ!! और कोई संकल्प नहीं... सभी बातें, अपनी सभी विशेषताएं, अपनी सभी कमज़ोरियाँ बाबा को सौंप दें... फील करेंगे बापदादा ने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है... इन हाथों से दिव्य गुणों और शक्तियों का प्रकाश मुझमें समाते जा रहा है... मेरा कोई संकल्प नहीं है... बाबा के हाथों से दिव्य शक्तियों की लाल किरणें मुझमें समाते जा रही हैं....बाबा मैं जो भी हूँ, जैसी भी हूँ, आपकी हूँ! मेरा कोई संकल्प नहीं। हमारा तन, मन, धन सभी सम्बंध आपको अर्पण है! अनुभव करें अपने हाथों से बाबा जैसे हमें सर्वगुणों और शक्तियां किरणों द्वारा दे रहे हैं... सभी वरदान सभी खज़ाने अधिकार में हम अनुभव कर रहे हैं... अनुभव करें बाप समान स्थिति का!!
जितना हम इस संकल्प का अभ्यास करेंगे, उतना स्वतः ही हम अनुभव करेंगे कि जैसे बाबा हममें दिव्य शक्तियाँ भर रहे हैं, और हम सर्वशक्ति संपन्न, सर्व खजानों से संपन्न बन जाएंगे! इसी स्थिति में हम दो मिनट एकाग्र रहें! बाबा के हाथों से दिव्य शक्तियों की किरणें मुझ आत्मा में और मेरे सूक्ष्म शरीर में समा रही हैं.... और मैं एक संकल्प में स्थित हूँ कि बाबा मैं जो भी हूँ, जैसी भी हूँ, आपकी हूँ !!
ओम् शांति।