मुश्किलें कितनी भी हों, असंभव कुछ भी नहीं - हर दिन बस 5 मिनट यह मेडिटेशन करें
ओम शांति ।
जीवन में चलते-चलते कुछ ऐसे मोड़ आ जाते हैं, कुछ ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं, जिन परिस्थितियां पार करना हमें असंभव लगता है। हमारे मन के संकल्प नेगेटिव हो जाते हैं। हमें लगता है, यह हम से नहीं होगा या हम कंफ्यूज हो जाते हैं, पता नहीं यह होगा कि नहीं? पता नहीं यह व्यक्ति साथ देगा कि नहीं? मैं यह कैसे कर सकता हूं? तो इन परिस्थितियों में, इन बातों में, हमें कुछ ऐसे संकल्प करने हैं, जो हमारे मन के व्यर्थ संकल्पों के जाल को समाप्त कर, हमें पॉजिटिव बनाए, हमें शक्तिशाली बनाएं, हमें उमंग-उत्साह में लाएं। तो आज हम 5 मिनट कुछ ऐसे ही संकल्पों का अभ्यास करेंगे। इन संकल्पों का अभ्यास करते ही हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा का प्रवाह होगा। हम स्वत: ही शक्तिशाली, पॉजिटिव और उमंग-उत्साह का अनुभव करेंगे। तो यह मेडिटेशन चलिए शुरू करते हैं।
चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर एकाग्र करेंगे, मस्तक के बीच, मैं आत्मा.... एक पॉइंट ऑफ लाइट... मैं आत्मा एक चमकता सितारा... अनुभव करेंगे, हमारे सिर के ऊपर, परमपिता परमात्मा शिवबाबा, एक पॉइंट ऑफ लाइट... जैसे भगवान हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... उनके साथ का अनुभव करें... विज्वलाइज़ करेंगे, परमात्मा बिंदु से दिव्य शक्तियों की किरणें निकल, मुझे आत्मा में समाती जा रही हैं.... अपने आत्मिक स्वरूप पर एकाग्र होकर फील करें.. जैसे परमात्म शक्तियां मुझमें समा रही हैं.... जैसे मैं आत्मा, परमात्म शक्तियां खींच रही हूं... भगवान मेरे साथ हैं! जहां भगवान साथ हैं, वहां कितने भी चाहे तूफान हों, वह तौहफा बन जाएंगे! इसी स्थिति में एकाग्र रहें, परमात्मा हमारे साथ, हमारी छत्रछाया बन चुके हैं.. और उनसे शक्तियों की किरणें निकल.., मुझमें समाती जा रही हैं... और मैं आत्मा बहुत शक्तिशाली बन चुकी हूं... अभी इसी स्थिति में एकाग्र होकर एक-एक वाक्य को गहराई से फील करेंगे...
जहां परमात्मा साथ हैं, वहां कोई कुछ कर नहीं सकता!
जहां परमात्मा साथ हैं, वहां सफलता है ही! वहां असंभव भी संभव हो जाता है! भगवान मेरे साथ हैं! वे हमें कहते हैं - "आप हिम्मत का एक कदम बढ़ाओ, तो परमात्मा बाप मदद के हजार कदम बढ़ाएंगे! जहां भी मुश्किल आवे ना, बस दिल से कहना - "बाबा, मेरा बाबा, मेरा साथी आ जाओ, मदद करो... तो भगवान भी बंधा हुआ है! सिर्फ दिल से कहना!"इसी स्थिति में एकाग्र रहें.., परमात्म किरणें मुझमें समा रही हैं... मैं पूरी तरह पत्मात्मा की संतान, मास्टर सर्वशक्तिवान बन चुकी हूं... इस मास्टर सर्वशक्तिवान की स्थिति में, हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है.... इस स्थिति के आगे कोई विघ्न, कोई समस्या रहेगी ही नहीं... हर बात में, हर कार्य में, सफलता हुई पड़ी है! यही सर्वश्रेष्ठ स्थिति है!
ओम शांति।