सारे खेल का आधार- लाइट और बिंदु (विशेष शिवजयंती के अवसर पर)
1977, 13 और 14 जुलाई, संपूर्ण न्यू यॉर्क सिटी अंधकार में डूब गया था। ऐसा एक आध बार पहले भी हुआ था पर यह जो घटना है इसको कहते हैं न्यूयॉर्क सिटी ब्लैकआउट। 2 दिन इलेक्ट्रिसिटी फेल हो गई थी। केवल आसपास के बहुत छोटे छोटे शहर, जहां पर जनरेटर था वहीं पर प्रकाश था। पूरा शहर 2 दिन के लिए अंधेरे में डूब दो दिनों में इतनी लूटपाट इतनी हत्याएं है इतनी चोरी दो दिनों में जैसे जंगल का राज हो गया। दो दिनों में ना पुलिस कानून कुछ कर सके, दो दिनों में इतने दुष्कर्म हो गए, इतनी जगह पर आग लग गई आग लगा दी गई। आर्सन। लगभग 4000 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था बाद में। लगभग 2000 बिल्डिंग डैमेज हो गई। लगभग 1000 जगह पर आग लगाई गई। दो दिनों में ट्रेंस बंद हो गई। ऑफिस, दफ्तर सब ठप हो गया। दो दिनों में, 17 तारीख को जो संडे था एक पादरी सेन बराबर चर्च पर यह पादरी सेंटक्लास। वह कहता है वी आर लेफ्ट विदाउट गॉड। जैसे परमात्मा ने हमको छोड़ दिया। एक मेडिकल स्टूडेंट ने अनुभव लिखा है कि मुझे याद है सारी रात भर मैं सुचल रहा था इतने घायल लोग आ गए थे रात भर। एक न्यूरो सर्जन ने लिखा है ऐसा ही ब्लैकआउट 2003 में भी हुआ था, पर इतना घमासान जो 77 में हुआ कभी नहीं हुआ था। वो न्यूरो सर्जन लिखता है की “The looters looted The looters” डाकुओं ने डाकुओं को लूटा। चोरों ने दूसरे चोरों को लूटा। एंड डेकर एंड फिश केम आउट सबके हाथ में खंजर सुरा, दो ही दिन में यह हाल हो गया। क्यों हुआ? टोटल इलेक्ट्रिसिटी ब्लैकआउट।
सुबह की साकार मुरली, अव्यक्त मुरली…. सभी सुखों के साधन का आधार क्या है? लाइट। अगर 1 सेकंड भी लाइट चली जाए तो क्या होगा? तो जीवन जीवन नहीं रहेगा। प्रकृति की लाइट कैसी है विनाशी और परमात्मा की लाइट कैसी है? अविनाशी है। हम लाइट के युग में जी रहे हैं, दो दिन भी लाइट चली गई तो यह हाल हो गया। मनुष्य के अंदर छिपी हुई बर्बरता है। वह वहशीपन सब कुछ बाहर निकला, जो ऊपर का दिखावा है, जो सारी सभ्यता है जैसे एक दिखावा है, एक आडंबर मात्र था। जो शिष्टतापूर्ण व्यवहार था। वो सब खो गया। कोई 120 सी मंजिल पर है तो वही अटक गया क्योंकि लिफ्ट बंद क्योंकि आदत नहीं है उतरने की और चढ़ने की भी। लोग भूखे रह गए, दो ही दिनों में इतनी भयंकर हलचल हो गई, टोटल लॉस। 300 मिलियन डॉलर अर्थात 30 करोड डॉलर 30 करोड़ 2 दिन में। लाइट।
हम सब कौन है? लाइट। जहां के तुम दूर हो प्रकाश फैलाओ मधुबन के इस चमन कि तुम बहार हो, तुम इस संसार के नूर हो। यदि तुम ना रहो तो संसार में अंधकार छा जाएगा। यदि तुम ना रहो तो संसार में वीरानी फैल जाएगी, विनार हो वीरान हो जाएगा संसार। तुम प्रकाश हो। परमात्म नूर हो। कितनी ऊंची ऊंची बातें और कितने ऊंचे ऊंचे टाइटल दिए हुए हैं।
तो आज सुबह की अव्यक्त वाणी, क्या कहा बाबा ने, कौन किसको देख रहा है? त्रिमूर्ति शिव एक है बाप, एक है टीचर, एक है शिक्षक, एक है सतगुरु बाप से प्यार शिक्षक से ही पढ़ाई और गुरु का वरदान, कौन सा वाला? कौन सा वाला बताएं, गारंटी वाला वरदान। उसमें भी उसमें भी गारंटी मतलब नॉन गारंटी वाले वरदान भी होते हैं। तीन बातें बाप टीचर गुरु सद्गुरु। बाबा ने कहा देखो, चेक करो तो माला में आओगे अगर इसमें पास है तो। तो कौन किसको देख रहा है? त्रिमूर्ति शिव। किस को देख रहा है? बच्चों को। कौन से बच्चों को? जिनके मस्तक पर तीन बिंदिया, तीन तिलक, तीन बिंदिया तीन ज्योति बिंदु। तीन तिलक तीन बिंदिया और तीन ज्योति बिन्दु, । पहला तिलक आत्मा, दूसरा परमात्मा, तीसरा रचना। जीव जगत ईश्वर संसार में कहा जाता है, परंतु तिलक में ज्योति पहली ज्योति आत्मा, दूसरी महाज्योति और तीसरी यह संसार क्योंकि यह संसार लाइट का बना हुआ है। सूरज, यह सूरज है इस पृथ्वी के लिए ऐसे कितने सूरज हैं संसार में, ढेर सारे 300 -250 मिलियन अरब सूरज और उनके पता नहीं कितने सारी पृथ्वी अलग-अलग और जीवन केवल इस जगह पर है तो यह जीवन कितना मूल्य है। एक-एक पल कितना मूल्य है। तीन तिलक, तीन बिंदिया और तीन ज्योति बिंदी।
कौन सा पर्व है शिवरात्रि। महाशिवरात्रि। क्यों मनाते हैं संसार में और कब से मनाना चालू किया? कब से? कब से मनाना चालू किया? लोगों का कहना है, इंडोलॉजिस्ट, जो इतिहास और संस्कृति का अध्ययन करते हैं उन्हें इंडोलॉजिस्ट कहते हैं। उनका कहना है कि रिकार्डेड हिस्ट्री जो है उससे परे से, वह सेलिब्रेट हो रहा है। उससे भी पहले से पता ही नहीं कब से। परंतु कुछ इंडोलॉजिस्ट का कहना है, ईसा के 300 वर्ष पूर्व से शिवरात्रि का सेलिब्रेशन चालू होता है।
क्यों मनाते हैं संसार में? हम क्यों मनाते हैं यह नहीं पूछ रहे हैं। संसार में क्यों मनाते हैं?
पहला शिव पार्वती का विवाह एक कहानी। दूसरा इसी दिन इसी रात, इसी रात क्या हुआ? शिवरात्रि, हर रात्रि कहते हैं, सभी वैष्णवी कश्मीर का जो वैष्णव संप्रदाय है उसे रात्रि हर रात्रि कहते हैं। तो पहला कारण शिव और पार्वती का विवाह,
तीसरा क्यों मनाते हैं शिवरात्रि संसार में?
जो भी कामना हो वह इसी रात्रि पूजा की जाए तो कैलाश का मार्ग प्रशस्त होता है और मुक्ति मिलती है।
चौथा कारण इसी रात्रि में क्या किया था शिव ने? भक्ति की बात पूछ रहे हैं शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? इसी रात को शिव ने तांडव नृत्य किया था । संसार की उत्पत्ति, संसार की पालना और संसार का संहार। नृत्यांजलि, शिव को क्या कहा जाता है? नटराज।
खजुराहो के टेंपल से, चिदंबरम के टेंपल से, वहां पर एक ब्रिटिश फिलोसोफर खनिगम 1835 में उसने लिखा है कब से मनाई जाती है यह शिवरात्रि। उसने अनुमान लगाया कि यहां पर उस समय क्या हो रहा है। चिदंबरम के मंदिरों में खजुराहो के मंदिरों में हजारों लोग आ रहे हैं उसने उसका वर्णन लिखा है। कब से मनाई जाती है यह पता नहीं पर लेकिन एक बात जरूर लिखी है कि इस दिन सभी क्या करते हैं नृत्य, और रात भर क्या करते हैं जगराता। जगराता अर्थात जागरण। यह संसार की परिभाषा स्कंद पुराण, लिंग पुराण इन शब्दों में वर्णन है।शिवरात्रि। तो यह पर्व कौन सा है? शिवरात्रि का। उत्सव है, उसमें नशा करते हैं, हमें भी नशा है, कौनसा? संसार की शिवरात्रि और हमारी शिवरात्रि में क्या अंतर है ? हमने चैतन्य शिव को अवतरित किया है, बड़ा कौन हुआ, बाप या बच्चे? बच्चों का बाप। यहाँ शिव अवतरित हो रहा है।
एक संप्रदाय है साउथ में बहुत समय से उनकी मान्यता है कि शंकर अलग शिव अलग है बहुत पहले से जब यज्ञ की शुरुआत भी नहीं हुई तब से वह मानते हैं की शिव एक तत्व है, शंकर तो व्यक्ति है, शंकर पुरुष है। शिव परब्रह्म है, शंकर भी ध्यान आराधना कर रहे हैं शिव की। इसके लिए सबसे पहले जो भक्ति चालू हुई है वह शिव की ही हुई । मोहनजोदड़ो और हड़प्पा आरकेलॉजिस्ट ब्रिटिश या भारत वाले ट्रेन के लिए खुदाई काम चालू था और उन्हें उनमे वो सब मिला। वहां पर शिवलिंग मिले, कृष्णा राम यह तो बहुत बाद में आए। सातवीं शताब्दी के बाद इन सब की भक्ति चालू हुई। द ओल्डेस्ट शिवलिंग मिला है। शिवलिंग की पूजा करते हैं संसार में शिवरात्रि कहते हैं। तो बाबा ने क्या कहा हम किसकी पूजा करते हैं? हम पूजा नहीं करते है, हम क्या करते हैं? वह भी मनाते हैं हम भी मनाते हैं, उनका मनाना बनना नहीं है, हमारा मनाना बनना है। हमारा उत्सव है, उत्सव क्या है हमारा? उत्साह है। उमंग शब्द एक ही बार कहा बाबा ने आज। बाकी सब जगह उत्साह, उत्साह, उत्साह, उत्साह। उत्साह अर्थात अंथोसियाज़म् उमंग, उत्साह करने की इच्छा करने की ललक, करने की इच्छा करने की ललक, वो आतुरता, वो उत्कंठा, लाइवलीनेस एनीमेशन, जोश है, सब कुछ करो। ना थकान है, न बोझ है, न भारीपन है माथे में, ना उदास है, ना दिलशिकस्र है, ना परिस्थितियां हावी हो रही है, ना धन की कमी है इसलिए दुखी है, ना स्वास्थ्य ठीक है इसलिए भी दुखी नहीं है कि शरीर साथ नहीं दे रहा है। उमंग है, उत्साह है, एंथोसिआस्म, डिसकांटेजिस। एक व्यक्ति में उमंग उत्साह रहा तो वह फैलता है, अगर तुम्हारे पास कम भी हो तो क्या करो कम भी हो तो क्या करो? 14 है, 16 कैसे देंगे? परमात्मा स्टैटिसटिक्स। गॉडली मैथमेटिक्स। एन्थोसिआज्म मेक्स द डिफ्रेंस। दो व्यक्तियों में अंतर किस बात का है, काम तो दोनों व्यक्ति भी कर रहे हैं, अंतर किस में है? उत्साह मैं। और बाबा ने कहा उत्सव जो है तुम्हारा 1 दिन का उत्सव नहीं है तुम्हारा, हर दिन उत्सव है, क्योंकि तुम हर समय उत्साह में रहते हो। तुम्हारा हर संकल्प उत्साह है। संकल्प में उत्साह, हर बोल में उत्साह हर कर्म में उत्साह। तुम्हारे दृष्टि में उत्साह, तुम्हारी भावनाओं में उत्साह, उदासी नहीं है, दिलशिकस्त नहीं है या ऐसा क्यों हुआ, यह ऐसा क्यों हुआ, अतीत के प्रभाव से मुक्त है चेतना। और हर दिन हर दिन हमारा, हर दिन हमारी दिवाली है, हर दिन न्यू ईयर है, हर दिन राखी है, हर दिन होली है, हर दिन दशहरा है और हर दिन शिवजयंती, शिवरात्रि है। पर ऐसा है क्या? कि केवल देरी अंदर अंदर थोडा कम है, इतना नहीं है। 14 सोलह का चक्कर। विठोबाचे राज्य हमाहांनित्य दीपावली। एक संत लिखता है कि उस परमात्मा का राज्य है हमारे घर हर दिन दिवाली है, हर दिन, हर क्षण दिवाली है। तो जीवन ऐसा हो जाए कि हर क्षण उत्साह हो जाए, हर क्षण सेलिब्रेशन हो जाए, लाइफ इस सेलिब्रेशन, केवल लाइव सेलिब्रेशन नहीं है, डेथ इस आल्सो सेलिब्रेशन। मृत्यु भी क्या है एक उत्साह। बीवी मरे तो भी हलवा खाओ अम्मी मरे तो हलवा। आग लगे बस्ती में और हम हैं अपनी मस्ती में।
एक इटालियन मॉनेस्ट्री थी दिल्ली में एक आश्रम था बहुत पुराना आश्रम। वहां पर ढेर सारे सन्यासी थे और उस आश्रम का नियम था ब्रह्मचर्य सलेब्सी यह पहला नियम था। दूसरा गरीबी, गरीबी में जीना है पैसे रखना ही नहीं है। तीसरा प्रार्थना चौथा मेडिटेशन। ध्यान में बैठे रहना है । बहुत सारे ब्रह्मचारी थे वहां पर। एक नया ब्रह्मचारी, नया आगंतुक आया। उसे भी काम दिया गया और काम क्या था कि जो पुराने शास्त्र है उनको कॉपी करना, क्योंकि उस समय कोई मशीन वगैरह थी ही नहीं। तो जो पुराने शास्त्र थे उनको देखकर हाथों से कॉपी कर रहे थे, उसने देखा यह सारे जो लोग कॉपी कर रहे हैं ओरिजिनल से कॉपी नहीं कर रहे हैं येजिससे कॉपी कर रहें हैं वह भी किसी की कॉपी है। फिर वह जहां से कॉपी करे वह कॉपी है वह भीग. किसी और की कॉपी है। उसके मन में प्रश्न आया, वह मठअध्यक्ष के पास गया जो प्रमुख वह पे, साधु थे, बूढ़े हो गए थे। सारा जीवन उन्होंने इसमें लगा दिया था, ट्रेनिंग में सबकी। यह विद्यार्थी कहता है, यह ब्रह्मचारी कि कितना अच्छा ना होता कि हम ओरिजिनल जो मनुस्क्रिप्ट पांडुलिपि है उससे हम कॉपी करें। हो सकता है कोई एक गलती की हो किसी ने बीच में गलती की हो और हम वही दोहराते जा रहे हैं। वो कहता है गुड आइडिया, यू आर और वो बूढ़ा साधु, बूढ़ा सन्यासी खुद जाता है तो स्टोर में बहुत सारी किताबें होती है। वहां पर एक एक पूरी ओरिजिनल जो बुक्स है सबसे पहली उस आश्रम की वह निकाल कर पढ़ना चालू करता है कई घंटे तक आता ही नहीं बाहर। बाकी ब्रह्मचारी सोचते हैं कि क्या हो गया। सब सोचते हैं, वह सब चाहते हैं तो रोने की आवाज आती है अंदर से वहां से, वो रो रहा है। तो उसको पूछते हैं क्या हुआ क्या हुआ तो कहता है आर। तो पूछते हैं क्या? वह कहते हैं आर। इंग्लिश का, वो कहता है अरे ओरिजिनल शब्द था सेलिब्रेट, वह सेलिबेट हो गया। ब्रह्मचारी नियम ही यही था नियम कौन सा था सेलिब्रेट। पर लिखते लिखते क्या बन गया सेलिबेट। सेलिब्रेशन पर हमारा जो सेलिबसी, सेलिब्रेशन है। फास्टिंग नहीं फेस्टिंग फेस्टिंग उत्साह है, नृत्य है, नाचे है, गान है, आनंद है यह जीवन नाचता हुआ, डांसिंग मसीहा, डांसिंग अवतार, सिंगिंग अवतार, लाफिंग बुद्धा।
उत्साह। तो उत्साह जब नहीं होता जीवन में तो क्या हो जाता है? चार बातें बताइ, चार नहीं बहुत सी बताइ। सबसे पहला सबसे पहला अमृतवेला छूट जाता है अच्छा यह भी सही है नहीं और क्या बताया है चार बातें
पहला थकावट। थकान हो रही है अर्थात उमंग उत्साह नहीं है, थकान सी लगी रहती है हमेशा। कुछ करने की इच्छा नहीं है या कर कर के थक गया अर्थात उमंग खो गया है।
दूसरा बोझ हमेशा भारीपन रहता है हल्का पर नहीं है हमेशा सोच विचार में मन डूबा हुआ है जो अतीत में हो गया है या भविष्य में हुआ नहीं है उसके बारे में चिंतन चल रहा है और वर्तमान छोटा जा रहा है सैलिबसी, सैलिबसी, सैलिबसी का चिंतन चल रहा है और सेलिब्रेशन सेलिब्रेशन, सेलिब्रेशन छूट गया है।
तीसरा माथा भारी
चौथा दिल शिकस्त उदास और
पांचवा परिस्थितियां आएंगे तो परिस्थितियां हरा देगी, वार देगी और माया भी आएगी ट्रायल करने बहुत सारी ट्रायल्स होगी। तो चाहे कुछ भी हो जाए, तीन बातों को छोड़ना नहीं है अमृतवेला, मुरली और सेवा। जबरदस्ती करो, बोला है और तीन शब्द है नियम को फॉलो करते रहो, दिनचर्या छोडो़ नहीं। डायरेक्शंस या कायदे। कायदे में फायदा है। यह तीन को नहीं छोड़ना है। और हम सबसे महान पुरुषार्थ ये ही करते हैं जब भी जीवन में परिस्थिति आती है तो सबसे शुभ कार्य कौन सा करते हैं? अमृतवेला बंद। उससे भी बड़ा महान कार्य कौन सा करते हैं? मुरली बंद। और सेवा छुट्टी। और यह तीनों छोड़कर ध्यान में बैठते हैं। परिस्थितियों के चिंतन में कि कैसे उसको ठीक करे। परमात्म आज्ञा देखो क्या है। किसी ने हमें कुछ कह दिया, बोल दिया, गलत व्यवहार किया। गलत शब्द और गलत व्यवहार, दूसरों के वर्ड्स और बिहेवियर यह सबसे ज्यादा हमें इफैक्ट करता है। यह भी कहा बाबा ने दूसरों पर प्रभाव डालने वाले, दूसरों से प्रभावित ना होने वाले। अगर उत्साह है, तो उत्साह मैग्नेट है कहा, धूल क्या बन जाती है? धन। प्रभावित हो जाते हैं। तो उत्साह यदि है तो आत्मा अप्रभावित रहेगी। चाहे कुछ भी हो रहा हो संसार में, यह 3 चीजें बिल्कुल नहीं छोड़नी है सेवा तो बिल्कुल नहीं छोड़नी है। परिस्थिति आ गई तो सेवा बिल्कुल छोड़ देते हैं। अमृतवेला छोड़ देते हैं। ज्ञान चिंतन छोड़ देते हैं। और परिस्थिति का चिंतन चालू कर देते हैं, हमारे चिंतन की शक्ति सारी परिस्थिति को चली जाती है।
सुबह भी सुना रहे थे, जब नोटिस आ गया, कोर्ट से कोटा हाउस, एक हफ्ते में खाली करो। बाबा नहीं थे, मम्मा ने क्या प्रोग्राम दीया अखंड योग भट्टी। जीवन में परिस्थिति आ जाए, समस्या आ जाए, कोई व्यक्ति विघ्न बन करके आ जाए, क्या करना है लड़ाई उससे वाद-विवाद, डिस्कशन, डिबेट क्योंकि जो कुछ हो रहा है। हमारे ही पूर्व जन्मों के या अतीत के कर्मों का प्रक्षेपण हुआ है, वायुमंडल में उससे जो रिएक्शन हो रही है, उसका यह इफेक्ट है जो कुछ भी हो रहा है मेरे ही साथ क्यों हो रहा है? किसी जन्म में कुछ तो हुआ था उस आत्मा के साथ। कोई तो गहरा इतना डीप है, वह हिसाब किताब बहुत गहरा इस जन्म मे कुछ भी नहीं है किसी और जन्म का है। कृष्ण निंदा खड़ली पूजारी लोग आने नहीं देते शायद किसी जन्म में कृष्ण निंदा हुई थी इसीलिए इस जन्म में ऐसा जन्म मिला है। संत कहते हैं तो जो भी हो रहा है, रिस्पांसिबल कौन है? मैं और मैं खुद। कोई दूसरा कुछ कर ही नहीं रहा है। इसके लिए कुछ भी हो जाए, जबरदस्ती उठो जबरदस्ती करो। अमृतवेला छोड़ना नहीं है। मुरली छोड़ने नहीं है। मुरली का चिंतन, मुरली की पढ़ाई, मूर्ति का अध्ययन छोड़ना नहीं है और तीसरा सेवा। कई लोग कहते हैं हम सेवा से निवृत्त होकर अभी योग करेंगे। योग ज्यादा करेंगे पर सेवा हमें व्यर्थ से बचाती है। सेवा यदि छूट जाए तो व्यर्थ घेर लेगा। वो तीन-चार दिन चलेगा योग योग योग या चिंतन चिंतन चिंतन बाद में व्यर्थ पकड़ लेगा।
अगला और क्या करता है उमंग उत्साह क्या करता है। धन, अगर नहीं है तो खींच लेगा उसको। स्वास्थ यदि नहीं है तो स्वास्थ्य को भी खींच लेगा क्योंकि अधिकतर बीमारियां मनोज है मनोज मन से उत्पन्न है । माइंड क्रिएटिड शरीर इतना बीमार है ही नहीं, पर मन ने यह स्वीकार कर लिया है कि मैं बीमार हूं। मुझे यह है और यह बचपन से ही बीमारी है यह भी स्वीकार कर लिया और यह भी सुना है। यह ठीक होने वाली नहीं है इसकी कोई दवाई नहीं है स्वीकार कर लिया।
डॉक्टर जोसेफ मुरफी उसको ऐसी बीमारी थी कि डॉक्टरों ने कह दिया कि तुम नहीं ठीक हो सकते। उसने कहा संकल्प ही कर लिया कि ऐसे कैसे ठीक नहीं होऊंगा ठीक करके रहूंगा खुद को। इतना विश्वास सारा खेल मन का है एवन द वेनम ओफ द स्नेक इस पावर लेस इफ यू कैन फार्मली। डेनाइट सांप का जहर भी शक्तिहीन हो जाएगा यदि तुम अस्वीकार करो तो
स्वामी विवेकानंद ने कही कहा है। ऐसी संकल्प शक्ति सारा खेल कहां है संकल्प और क्या कहा है आज की मुरली में संकल्प के लिए तुम्हारे शुभ संकल्प क्या करते हैं वायुमंडल की सृष्टि का निर्माण करते हैं। तुम्हारे संकल्प बहुत शक्तिशाली है मुरली की याद प्यार में ऐसी महान शक्तिशाली आत्माओं को, मैं शक्तिशाली हूं, भीम हूं कितने हाथियों का बल था? 10,000 हाथियों का, जो परिस्थितियां आएगी दुर्योधन मुझे डुबो देगा पानी में, निकल कर बाहर आऊंगा। वरदान कल्याण में भी कल्याण है ऐसे निश्चय बुद्धि आत्माओं को, कुछ भी हो रहा है हर चीज, हर चीज जो जीवन में हो रही है वह चीज मुझे आगे बढ़ा रही है। परिस्थिति, हर समस्या, हर विघ्न, हर ठोकर गिर नहीं रहा हूं वह जरूरी है डुकी पीयू ऑन द पाथ। इसका मतलब ठीक-ठाक चल रहा है, पुरुषार्थ जिसके जीवन में कोई परिस्थितियां नहीं कोई विघ्न नहीं उसके बारे में कोई कुछ भी नहीं बोलता है अर्थात मार्ग मैं कुछ तो गड़बड़ है। ऐसा कैसे होगा, अग्नीपथ और कोई आग ही ना लगे और कोई सेक ही नहीं हो सकता है मार्ग कहीं भटक गए हो मतलब इसलिए आने दो जिसको आना है आने दो। उमंग कम ना हो उत्साह कम ना हो। प्रतिपल उत्साह संकल्प संकल्प में उत्साह।
सब ने सुना होगा एक विदेशी यात्री भारत में आता है कई बार सुना चुके हैं हम इसके पहले भी कंस्ट्रक्शन वर्क चालू है फिर मजदूर से पूछता है इतना दुखी है बेचारा दुखी हो होकर पत्थर तोड़ रहा हूँ, क्या कर रहे हो गुस्सा करता है देखते नहीं हो पत्थर तोड़ रहा हूं। घर में पत्नी चिल्लाती रहती है बच्चे चिल्लाते रहते हैं और यहां तुम पूछ रहे हो पैसे मिलते नहीं है एकदम दुखी है दूसरे से पूछता है वह यात्री तुम क्या कर रहे हो वह भी पसीना पोंछते हुए बैठता है आजीविका। कहा कमाई, इनकम। नहीं कमाऊँगा तो क्या होगा? मर जाऊंगा, भूख। तीसरे को देखता है वह तो नाच रहा है, ईट को ऐसे नाचते हुए उठाता है, नाचते हुए रखता है उससे कहता है कि तुम क्या कर रहे हो? आई एम द बिल्डिंग ऑफ द टेंपल ऑफ गॉड। मैं परमात्मा का मंदिर बना रहा हूं। हम क्या करते हैं
अमृतवेला क्या करते हैं कमाई करनी है? बाबा ने कहा है ना कमाई करो कमाई करने आया या। सेकंड वह भी ठीक है कमाई करने आए हैं हर पल कमाई है पर केवल कमाई करने आते हैं या और कुछ या पहला मजदूर सुबह सुबह देखते हैं कुछ लोग अमृत वेले से ही बोलना चालू कर देते हैं। बोलते हुए ही तीन-चार माताएं प्रवेश करती है पांडव भवन से और फिर यहां बैठती हैं और फिर यहां से जैसे ही योग पूरा हुआ फिर से बोलना चालू। यह बीच का डिस्टरबेंस था एक योग। अभी हम अपनी ओरिजिनल स्टेज पर हैं। यह पूरा हुआ अभी हटाओ इसको। अभी आ जाओ अपने ओरिजिनल फॉर्म। करना पड़ता है जबरदस्ती है नहीं करेंगे तो क्या होगा? और तीसरे वो जो झूम रहे हैं गा रहे हैं, भगवान से मिलन हो रहा है सुबह-सुबह। परमात्मा मिलन का अनुभव। परमात्मा प्रेम के जो पात्र हैं आज क्या कहा उनके लिए? कौन है वह? माया जीत। प्रभु प्रेम के पात्र बन गए। भगवान के प्यार में डूबे हुए हैं। वहां कोई टाइम नहीं है योगी बनने के लिए टाइम की जरूरत नहीं है। दादी जानकी कहती थी हमारे पास टाइम नहीं है, टाइम थोड़ी चाहिए योगी बनने के लिए। योग अर्थात प्रभु प्रेम जो निरंतर झरना बेहते रहै अंदर।मुरली में क्या करते हैं चलो मुरली जबरदस्ती जाना है नहीं तो यह लोग कहेंगे तुम मुरली में नहीं आते माया ने तुमको खा लिया। मुरली नहीं पढ़ते अबसेंटी। या तो जबरदस्ती और
कोई कोई तो झूम रहे हैं। कौन सुना रहा है? किसकी वाणी है? कर्म में पत्थर तोड़ रहे हैं, सुबह-सुबह कर्मों में तो, मुरली में तो पत्थर तोड़ने वाले, कमाई करने वाले और गाने वाले। हर चीज में तीन तीन है। पसीना यह सेवा कब पूरी होगी? पत्थर तोड़ रहे हैं या तो कमाई कर रहे हैं या तो नाच रहे हैं, परमात्मा का मंदिर बना रहे हैं। वह विदेशी यात्री चला जाता है, बहुत सालों के बाद वापस आता है। देखता है दूसरी बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन चालू है और जो पहला मजदूर वह आज भी पत्थर ही तोड़ रहे हैं, आज भी उससे ज्यादा क्रोध में है, आज तो भयंकर क्रोध में है। और दूसरा जो था जो कमाई कर रहा था, वह साहूकार बन गया है। उसके अंदर लोग हैं जो मजदूरी कर रहे हैं। और तीसरे का क्या हुआ होगा? जो प्रभु प्रेम के गीत गाता था, उसका क्या? वह संत बन चुका है। यह यह सब नहीं कर रहा है, पैसे चरणों में आकर गिर रहे हैं। उसकी वाणी में धार है, तेज है, चिंतन कि। परमात्म प्रेम में डूबी है चेतना, लंबे समय तक, इसके लिए शब्द शब्द क्या हो? महावाक्य।
अभी अभी मुरली चली थी ना। तुम्हारे शब्द क्या हो? महावाक्य हो। रिकॉर्ड करने जैसे, विदाउट एडिटिंग। जैसे, वैसे के वैसे। यह भाषण वाले नहीं है, दिन भर वाले। ये भाषण में तो अच्छा ही बोलेंगे। दिनभर वाले तो हम क्या भी कर रहे हैं, एक ही प्रश्न अपने आप से पूछना है जो भी कार्य कर रहे हैं छोटे से छोटे कार्य, झाड़ू लगा रहे हैं या लाखों के सामने भाषण दे रहे हैं, बाथरूम साफ कर रहे हैं या फिर कोई स्थूल सेवा कर रहे हो, कोई भी सेवा हो, मन की स्थिति क्या है पत्थर तोड़ रहा हूं? कमाई कर रहा हूं? या फिर भगवान का मंदिर बना रहा हूं? परमात्मा का यज्ञ है, यज्ञ में सेवा के लिए आया हूं। वह स्थूल सेवा भी कोई बहुत मन लगाकर करें, उससे बहुत बड़ी सेवा है। तुम यदि उत्साह में हो तो दूसरे भी तुमको देखकर उत्साह में आएंगे। तीन बातें और कही हैं मुरली में। तीन तीन बहुत सारी बातें हैं । खुद उत्साह में रहो, सेवा उत्साह से करो और दूसरों को उत्साह दिलाओ।
प्रश्न है उत्साह कभी भी कम ना हो इसके लिए क्या करें? उत्साह, बाबा ने कहा ना, क्या कहा? शब्द क्या है? स्पीड चेंज हो जाती है। स्पीड क्या हो जाती है चेंज, उड़ती कला नहीं रह जाती है। सदैव सेम स्पीड रहे उसके लिए क्या करें। उत्साह कम ही ना हो। किस बात का उत्साह? अमृत वेले के लिए। उत्साह किस बात के लिए और उत्साह मुरली चिंतन। आज सुबह उसने क्या कहा और तीसरा सेवा डल हो जाते हैं इच्छा कम हो जाती है, वही वही वही वही वही इच्छा ही नहीं है, सुनने की सुन रहे हैं, परंतु चिंतन नहीं चल रहा है, बस एक मजबूरी है, जबरदस्ती नोट भी लिख रहा है, परंतु वह भी जबरदस्ती। क्लास भी सुन रहे हैं जबरदस्ती तृप्ति है परंतु उत्साह नहीं है। क्या किया जाए कि उत्साह कभी खत्म ना हो। उत्साह लोड करते हो, कंप्यूटर में आता है ना इंस्टॉलेशन फेल्ड। सब तो करते हैं हम यस यस यस यस यस सारा और लास्ट में आता है एक घंटा वेट करने के बाद इंस्टॉलेशन फेल्ड। क्या करें इंस्टॉलेशन अच्छा हो जाए, एकदम पावरफुल, उत्साह कभी कम ही ना हो।
ये तीन चीजों को छोड़ना नहीं, पहली बात तो कुछ भी हो जाए अमृतवेला कल ठीक नहीं हुआ तो आज फिर नया प्रयत्न करो, हर अमृतवेला नया है, नवीनता को उत्साह कम कब होता है, जब हम पुराना पुराना करते रहते हैं। नवीनता है ही नहीं। हर मुरली भगवान की कोई भी दो मुरली एक जैसी है ही नहीं है अंतर है, डिफरेंस है उसमें। देखो कितनी नवीनता है हमें नवीनता क्यों नहीं है? हर अमृत वेले नवीनता। कुछ ना कुछ उसमें नवीन प्रयोग, नवीन योग, नवीन सकाश, नया उत्साह नई सुबह सब कुछ नया हो नया चिंतन नया संकल्प नया अभियान नई क्रांति सारा कुछ नया नया हो तो फिर उत्साह कम नहीं होगा। यह कम हो जाता है इसका कारण है नवीनता खो जाती है, वही पुराना, गोल गोल गोल गोल गोल घूम रहे हैं कोल्हू का बैल। वही दिनचर्या, वही सब कुछ। हां बाबा ने एक तो कहा है वह भी अच्छा है मेंटेन करके रखना, पर नवीनता चाहिए नहीं तो बोर होगा, उदास हो जाएंगे फिर इसलिए एक कारण क्या है पुराना पन।
और क्या करें की जिसमें उत्साह खत्म ही ना हो, हर दिन नया नया नया, प्रकृति का संग क्या करना है, प्रकृति के संग में जाना है, एकांत सेवन मौन का अभ्यास बीच-बीच में। प्रकृति हमें परमात्मा के नजदीक ले जाती है एकांत चिंतन जंगल स्नान, जंगल वौक, जितने प्राकृतिक स्थान है, इन सब का आधार लेना है, वह हमें फिर तो उत्साह भर्ती है। एक भीड़ में चले जाओ कुछ खोकर आते हो, एकांत में चले जाओ कुछ पाकर आते हो सिंपल सा नियम है जैसे ही आत्मा एकांत में जाती है, मधुबन में आते ही शक्ति भर जाती है क्योंकि यहां एकांत है और उनका उत्साह के लिए क्या करेंगे ऐसे वायुमंडल में प्रवेश करना है जहां बहुत हाई वाइब्रेशन है चार्जड, चार धाम। मधुबन सेवा केंद्र यह तो है उसके अतिरिक्त प्रकृति, उसके अतिरिक्त भक्ति के जो स्थान है उनमें भी एनर्जी होती है, हाई एनर्जी, हाई प्राणी के एनर्जी, हाई वाइब्रेशन होते हैं, ऐसे स्थानों पर जाना, बैठना अनुभव करना, फील करना उस स्थान को जैसे मधुबन में चार धाम है। चार धाम में जाओ तो ऐसे जाओ टाइम ट्रेवल पीछे चले जाओ अतीत मे 63, 64,65,66,67,68,69,उस खालखंड में प्रवेश कर जाओ। उस समय कैसा था सब कुछ, वातावरण कैसा था, संसार कैसा था, उस कालखंड में प्रवेश करना, अतीत में कैच करना वाइब्रेशनस को, बाबा ने कहा ना तुम्हारे शुभ संकल्पों में इतनी शक्ति है की आत्मा को भी तुम्हारे शुभ संकल्प पहुंचेगा।
किसी को भी हम यहां से कोई भी संकल्प भेज सकते हैं स्प्रिचुअल टेलीपैथी। एवरी माइंड इस ए लैंड। हर मनुष्य का जो मन है वह क्या है भूमि है जिसमें हम यहां से बीज डाल सकते हैं, केवल वेटिंग पीरियड ज्यादा हो सकता है। बीज डाल दो पर। वह संकल्प उस तक पहुंचेगा। देव कुल की महान आत्माए आजाओ। आवाहन आत्माओं का, वह आएगी क्या कहेगी? यह फरिश्ते हैं आज की मुरली में, क्या कहेगी? यह न्यारे प्यारे लोग हैं। संकल्प, संकल्प से सेवा करनी है परंतु उसके लिए संकल्प बहुत शुद्ध, बहुत प्योर, बहुत स्थिर, बहुत दृढ, बहुत एकाग्र, शक्तिशाली संकल्प चाहिए। वह कैसे बनेंगे? अध्ययन से, चिंतन से, इसलिए नवीनता लाने के लिए क्या करना है? अपने रीडिंग को बढ़ाना है, क्या करेंगे? रीडिंग जो लिटरेचर है यज्ञ का, इतना सारा लिटरेचर है वह सारा लिटरेचर पढ़ते रहो। मुरलिया की स्टडी, एक अलग स्टडी है परंतु लिटरेचर की स्टडी अलग स्टडी है जैसे अभी महिला दिवस है चिंतन करो, महिलाओं का क्या योगदान है, चिंतन का विषय जो जो दिन आता है, उस दिन चिंतन करना है। अपने मन को नया एक टॉपिक देना है। मुरली से पॉइंट्स बहुत लिख लिए पॉइंट्स लिखना बंद, अब क्या लिखेंगे टॉपिक्स। मुरली से टॉपिक उठाना है, जैसे आज की मुरली से परमात्मा प्रेम के पात्र क्या, मैं पात्र हूं? आज की मुरली से कल्याणकारी है, क्या वास्तव में कल्याणकारी है या थोप रहे हैं वो अपने मन पर। हो रहा है अकल्याण, मुझे दिख रहा है, मैं दुखी हूं और कह रहा हूं कल्याणकारी कल्याणकारी कल्याणकारी वास्तव में कल्याणकारी हूँ, ढूंढना खोज करना तो चिंतन से नवीनता आएगी एकांत से नवीनता आएगी मौन से नवीनता आऐगी, प्रकृति में जाने से नवीनता आएगी, अपने दिनचर्या को पकड़ कर रखना है छोड़ना नहीं है उसको, चाहे बीमार भी पड़ जाओ।
बाबा ने क्या कहा था, बच्चा कहां है बाबा फ्रेक्चर हो गया, स्ट्रेचर पर ले आओ। मुरली, अमृतवेला, सेवा। सेवा तो बिल्कुल भी नहीं छोड़ना, यह संकल्प कि मैं सेवा को । फुलस्टॉप करके कुछ दूसरा करता हूं, ज्यादा ज्ञान योग, यह नहीं होता है। कईयों को विक्षिप्त होते हुए हमने देखा है, एडमिट भी किया है, जिन्होंने यह संकल्प किया कि सेवा बहुत कर ली अभी क्या करना है अखंड योग भट्टी 8 घंटा डेली का चार्ट, फिर कहां से कहां पहुंच गए। इसलिए सेवा को नहीं छोड़ना और उत्साह के लिए क्या करेंगे उमंग उत्साह के लिए शरीर की बीमारी आती है तो उत्साह कम हो जाता है और एक बीमारी से निकले, दूसरी बीमारी दूसरे से निकले तीसरी बीमारी। एक के बाद एक के बाद एक आती रहती है। शरीर कमजोर है बीमारी कोई नहीं है पर कमजोरी है। वह भी उमंग उत्साह कम कर देती है। देखना एक्सरसाइज एक विधि है जिसे उमंग उत्साह है फिजिकल एक्सरसाइज। ऊर्जा आती है शरीर को। हमारा हर एक शरीर के जितने जॉइंट है हर एक जॉइंट एक चक्र है। बॉडी लवस् टु मूव एनर्जी लव टू मूव, एनर्जी को मूवमेंट पसंद है, अगर इसको मूवमेंट नहीं दिया, ऐसे ही रख दिया हाथ तो यह डल हो जाएगा। शक्ति कम हो जाएगी, पैरालाइसिस इसको उठा भी नहीं सकेंगे फिर।
हमने एक साधु को हॉस्पिटल में एडमिट किया था। एक मास तक वो वैसे ही बैठा हुआ था बाद में वो काम ही नहीं किया। मिसयूज मिसयूज अट्रोपि। सारी शरीर में जो मसल्स है, द नीड एनर्जी, एक्सरसाइज, उससे उमंग उत्साह आएगी जिन्होंने सब कुछ कर लिया और फिर भी उमंग उत्साह नहीं है, इंटरेस्ट नहीं है, वह स्थूल काम करेंगे, शरीर पर काम करेंगे, भोजन पर काम करेंगे, जरूर कुछ ऐसा जा रहा है जो शरीर को डल कर रहा है। ऐसा जाने दो जो शरीर में ऊर्जा आए। थकान, हम देखते हैं ओपीडी में इतने जवान जवान लोग आते हैं उनकी क्या कंप्लेंट है? थकान। हमें खुद अपना कभी याद ही नहीं है कि आज मैं खुद थक गया हूं। मुझे याद ही नहीं है कि मुझे सिर दर्द या कुछ हो रहा है, आज मैं रेस्ट करता हूं, मुझे नींद चाहिए। थकना नहीं है, थकान अर्थात उमंग की उत्साह की कमी। कुछ भी हो जाए,
जैसे लास्ट एक बात बता रहे हैं किसी राजा का एक मंत्री था जो की बहुत ही प्रिय था उसका सलाहकार था और वो योगी पुरुष था। पर बाकियों को शक, ईर्ष्या तो सब जगह रहती है कहीं पर भी चले जाओ जो आगे जाते दिखा उसको पीछे खींचना हमारे जीवन का परम धर्म और कर्तव्य समझते हैं। हमारे होते हुए कोई आगे कैसे जा सकते हैं तो बाकी तो पहुंच जाते राजा के पास और ऐसी ऐसी बातें सुनाते उसके बारे में वह आप जब नहीं रहते तो कहता है राजा तो मूर्ख है ऐसा ऐसा आपके बारे में कहता है। कहता है मैं हूँ इसलिए राज्य चल रहा है राजा को इतना गुस्सा आता है कहते हैं अच्छा मैं इतना विश्वास करता हूं उस पर वो ऐसी बातें मेरे बारे में करता है। वह कहते हैं और भी बहुत कुछ करता है आप तो बस अंधेरे में हो राजा एकदम आग बबूला हो जाते है वह कहते कि मैं उसको फांसी की सजा दे दो उसको सुना दो। पहरेदार जाता है उसके घर उसी दिन उस मंत्री का जन्मदिन है और घर में उत्सव है इतने सारे लोग आए हुए हैं उसके मित्र आए हुए हैं। वह सिपाही कहते हैं मुझे कहने में बहुत मुश्किल हो रही है पर कहना पड़ेगा राज आज्ञा है, आज शाम को 6:00 बजे आप को फांसी लगने वाली है, वह यह सुनते ही एकदम सन्नाटा छा जाता है, सारे जो मित्र है अभी तक नाचने वाले थे नाच रहे थे, चुप हो जाते थे, वह कहता है नाचना बंद क्यों कर दिया? मेरे पास अभी तक तो सोचता था कि अंतिम जीवन कभी भी आ सकती है पर वह तो संभावना फिर भी रहती थी, की नहीं आएगी, अभी तो निश्चित हो गया, फिर तो नाचना बहुत जरूरी है, कोई भी नहीं नाचना बंद करेगा। नाचना गाना चालू करो और वह खुद भी मस्ती से नाचने लगता है, गाने लगता है, झूमने लगता है। वह सिपाही देखते रहता है अच्छा मैंने तो सोचा था डरेगा, आएगा विनती मांगेगा, गिद्गिदाएगार, राजा खुद देखने आता है, तो देखता है यहां तो ऐसा जश्न मनाया जा रहा है वह पूछता है यह क्या मंत्री कहता है यही बात उसे भी कहता है, अब तो निश्चित है ना मृत्यु तो निश्चित है तो क्यों ना मृत्यु भी क्या बन जाए ? एक सेलिब्रेशन बन जाए, उत्साह बन जाए क्यों दुखी हो , क्यों उड़ान हो ? इतना पहले ही जीवन कम है, इतना कम जीवन।
ऐसे निश्चय बुद्धि आत्माओं को ऐसे सदा उत्साह में रहने वाली आत्माओं को, ऐसे हर संकल्प हर बोल हर कर्म हर भावना को उत्साहपूर्ण रखने वाली आत्माओं को, ऐसे मायाजीत आत्माओं को ऐसे लॉ मेकर्स आत्माओं को, तुम कौन हो लॉ बनाने वाले हो, हमने बनाएं हैं सारे लॉ, ऐसे भगवान् जिनको मुबारक दे रहा है किसलिए मुबारक दे रहा है क्योंकि मन में मुहोब्बत है इसलिए मुबारक दे रहा है, क्योंकि दिल में बाप को प्रत्यक्ष किया है इसलिए मुबारक क्यूंकि विश्व के सामने उसको प्रत्यक्ष किया है इसलिए मुबारक, ऐसे विश्व कल्याणकारी आत्मोज को, ऐसे अमृतवेला मुरली और सेवा चाहे कुछ भी हो जाए, सारी दुनिया एक तरफ और हम इन तीन रत्नों को पकड़ के रखे, छोड़ना नहीं ऐसे चौदह से सोलह, चौदह है तो सोलह देने वाली आत्माओं को, ऐसे ऐसे महावीर आत्माओं को ऐसे महान शक्तिशाली आत्माओं को, ऐसे महान शौभाग्य्शाली आत्माओं को, औइसे त्रिमूर्ति बाप की ज्योतिरबुन्दू आत्माओं को, ऐसे तीन तिलक वाली आत्माओं को ऐसे ज्योतिर्बिन्दूवाली आत्माओं को , ऐसे हो गया क्या? कभी भी न थकने वाली आत्माओं को ,ऐसे माथा जिनका कभी भी भारी न होने वाली आत्माओं को, ऐसे कभी भी बोझ का अनुभव न करने वाली आत्माओं को , ऐसे संस्कार मिलन की रास करने वाली आत्माओं को, ऐसे बाप की प्रत्यक्षता करने वाली आत्माओं को, ऐसे संस्कार मिलन की रास जो करते हैं,वो सम्पन्नता और सम्पूर्णता के नजदीक, ऐसे माला के मनके बनने वाली आत्माओं को , ऐसे..? .परमपवित्र ? आज की मुरली का बताना है हफ्ते भर की मुरली का नहीं। ऐसे उड़ने वाली आत्माओं को उड़ाने वाली आत्माओं को ऐसे स्पीड जिनकी चेंज न हो ऐसी आत्माओं को, ऐसे उडती कला में रहने वाली आत्माओं को, प्रेम का पात्र बनने वाली आत्माओं को ऐसी बाप का सबके दिल में बाप का झंडा लहराने वाली आत्माओं को, अपने दिल में बाप का झंडा लहराने वाली आत्माओं को, हर हिरदय में बाप का झंडा लहराने वाली आत्माओं को, ऐसे अकल्याण में भी कल्याण को देखने वाली आत्माओं को, ऐसे हर दिन शिवरात्री? हर दिन पारवती का शिव से विवाह होते रहे, ऐसे ऐसे ? नित्य निरंतर गीत गाने वाली आत्माओं, नृत्य करने वाली आत्माओं को न्रित्यांजलि, ऐसे मृत्यु को भी सेलिब्रेट\करने वाली आत्माओं को, मृत्यु का भी जश्न मनाने वाली आत्माओं को, मृत्यु भी उत्सव बना दने वाली आत्माओं को, बापदादा का गुड नाईट, याद्प्यार और नमस्ते हम डायमंड नाईट और डायमंड वर्षा आत्माओं की प्यारे बापदादा को गुड नाईट और नमस्ते।