अंतर्मुखी आत्मा की सद्गुणों के सागर से रूहरिहान
पहली स्मृति
आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं
इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के
होम से अवतरित हुई हूँ।
मैं कौन हूँ?
मैं अन्तर्मुखी आत्मा हूँ। अन्तर्मुखता की शक्ति
की गहराई में जाकर नए नए अनुभव कर रही हूँ | मुझे
शांति , प्रेम, पवित्रता व आनंद का अनुभव हो रहा
है |
मैं किसकी हूँ?
आत्मा की बाबा से रूहरिहान:
मीठे बाबा ! - गुड मॉर्निंग! जब मैं एकांत में
रहती हूँ , तो मुझे नए नए अनुभव होते हैं | मेरी
स्मृति में सिर्फ आपकी ही गहरी याद समाई हुई है |
जब मेरा मन एकाग्र हो सिर्फ आप में ही लग जाता है,
तब मुझे नए नए अनुभव होने लगते हैं | इन अनुभवों
को मैं अन्य आत्माओं को सुनाकर उन्हें प्रेरणा
देती हूँ |
बाबा की आत्मा से रूहरिहान:
मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो | जब तुम किसी भी
गुण का चिंतन करो जैसे कि शांति का , तो ये संकल्प
करो की “मैं शांत स्वरुप आत्मा हूँ,” और हर बार
शांति को नए नए तरीके से अनुभव करो | जब तुम ये
संकल्प करो कि “मैं आत्मा शांतिधाम निवासी हूँ,”
तो उस अनुभव में खो जाओ | अगर तुम ये संकल्प करते
हो कि “मैं सतयुगी दुनिया की शांत स्वरुप आत्मा
हूँ,” तो वह अनुभव दूसरा होगा | भिन्न-भिन्न
संकल्पों का अनुभव भी भिन्न-भिन्न होगा | शांतिधाम
की शांति का अनुभव सतयुगी दुनिया की शांति से
भिन्न होगा |
बाबा से प्रेरणाएं:
अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा में लगाऐं।
बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स में मैं
बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले
रही हूँ।
बाबा से वरदान:
सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता
स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व
शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं
–
तुम साक्षी दृष्टा बन हर पल एक साथी के साथ रहते
हो | इस कारण संगम युग पर तुम अपने भाग्य के गीत
गाकर सदा ख़ुशी मेंझूमते रहते हो |
बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट -
प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)
बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा,
वरदाता बन,
मैं पूरे विश्व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता
ड्रेस पहन कर मैं विश्व भ्रमण करते हुए सर्व
आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।
रात्रि सोने के पहले
आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर
बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात
की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं।
किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नहीं फंसी?
अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग
द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को
मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।