उमंग-उत्साह भरी आत्मा की दिव्य बुद्धि दाता से
रूहरिहान
पहली स्मृति
आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं
इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के
होम से अवतरित हुई हूँ।
मैं कौन हूँ?
हर दिन मैं ज्ञान के नये नये पॉइंट्स का चिंतन
करती हूँ। मैं आत्म-अभिमानी होकर आपकी याद में
रहती हूँ। इससे मेरे अंदर उमंग-उत्साह बना रहता
है। मैं अमृत वेले उठ कर बड़ी बेसब्री से बाबा से
नई नई चीज़ें लेने के लिये तैयार बैठी हूँ
मैं किसकी हूँ?
आत्मा की बाबा से रूहरिहान:
मीठे बाबा - गुड मॉर्निंग। बाबा! अमृत वेले मुझे
ऐसा लगता है जैसे कि मैं रूहानी पिकनिक मनाने के
लिये जा रही हूँ। इससे मेरे अंदर बहुत उमंग-उत्साह
भर जाता है और आलस गायब हो जाता है । कभी मैं
स्वयं को परमधाम में देखती,
तो कभी स्वर्ग में और कभी मैं मधुबन में आपसे मिलन
मेला मनाने आ जाती।
बाबा की आत्मा से रूहरिहान:
मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो। बापदादा तुम्हें
दिव्य बुद्धि की गिफ्ट देकर श्रेष्ठ बना रहें हैं।
हर एक को यह गिफ्ट मिलती है लेकिन सब इसका एक जैसा
प्रयोग नहीं करते। दिव्य बुद्धि बहुत शक्तिशाली है
व सहज ही उपलब्ध है। दिव्य बुद्धि के विमान द्वारा
तुम तीनों लोकों (स्थूल वतन,
मूलवतन,
व सूक्ष्मवतन) की सैर कर सकते हो। स्मृति का स्विच
ऑन करते ही तुम एक सेकेंड में जहां जाना चाहो,
वहां पहुंच सकते हो। इस स्विच के द्वारा तुम किसी
भी दुनिया का अनुभव जितना समय चाहो कर सकते हो। इस
गिफ्ट का सबसे अच्छा प्रयोग तुम अमृत वेले पर कर
सकते हो।
बाबा से प्रेरणाएं:
अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा में लगाऐं।
बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स में मैं
बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले
रही हूँ।
बाबा से वरदान:
सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता
स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व
शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं
–
तुम एक विशेष पार्टधारी आत्मा हो,
जिसका श्रेष्ठ खज़ाना पूरा कल्प चलता है। तुमने
ब्राह्मण जन्म लेते ही सम्पूर्ण पवित्रता को धारण
किया है व सबका कल्याण किया है,
इसलिये तुम इस श्रेष्ठ भाग्य के अधिकारी हो।
बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट -
प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)
बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा,
वरदाता बन,
मैं पूरे विश्व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता
ड्रेस पहन कर मैं विश्व भ्रमण करते हुए सर्व
आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।
रात्रि सोने के पहले
आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर
बनाऐं। चेक करें कि आज मैंने दिन भर में किसी बात
की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ, तो बाबा को बताऐं।
किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नहीं फंसी?
अपने कर्मों का चार्ट बनायें । तीस मिनिट के योग
द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को
मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।