BRAHMA KUMARIS WORLD SPIRITUAL UNIVERSITY


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अमृतवेला

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11.12.2014

प्यार के सागर के साथ महारथी बच्चों की रूहरूहान

पहली स्मृति

मैं आत्मा हूँ | मैं इस धरा को प्रकाशमय करने के लिए स्वीट लाइट के होम से अवतरित हुई हूँ |

मैं कौन हूँ ?

मैं महारथी बच्चा हूँ | अमृतवेले के विशेष समय पर मैं प्यार के सागर में समाकर बाबा के अति समीप स्वयं को अनुभव कर रही हूँ | मेरा रूप व बाबा का रूप समान हो गया है | बाबा के गुण और मेरे गुण समान हो गए हैं | मैं बाबा का प्यार अनुभव करने में माहिर हो गई हूँ |

मैं किसकी हूँ ?

मीठे बाबा ! गुड मारनिंग ! प्यार के सागर बाबा ! मैं आपकी हूँ! मैं जो हूँ जैसी हूँ, आपकी हूँ ! आप मेरे हो ! मीठे बाबा ! मैं तो आपके प्यार में समा गई |

बाबा की आत्मा से रूहरिहान

मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो ! जब तुम्हारा रूप बाबा जैसा हो, तो तुम्हारे भी गुण बाप जैसे हो जायेंगे ! तुम महारथी बच्चा बनकर मुझसे मिलो और मेरे में समा जाओ ! जैसे नदियाँ सागर में मिलकर उसमें समा जाती हैं, वैसे ही बाबा के गुण बाप तुम आत्मा में समा जाते हैं | महारथी बच्चों का अनुभव साकार ब्रह्मा बाप समान होगा | तुम अपने सम्पन्न व सम्पूर्ण स्वरुप का अनुभव करो |

बाबा से प्रेरणाएं

अपने मन को सर्व बातों से हटाकर बाबा में लगाएं ! बाबा है साइलेंस का सागर | इस साइलेंस में, मैं बाबा से प्रेरणायुक्त व पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ |

बाबा से वरदान

सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फ़रिश्ता स्वरुप स्पष्ट दिखाई दे रहा है | बहुत प्यार व् शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं –

तुम ज्ञानी व समझकर आत्मा हो, जिसमें रूहानी शक्तियों का सही समय पर प्रयोग कर माया के खेल को मनोरंजन में बदल देने की विशेषता है | इसलिए विजय का तिलक मस्तक पर सदा चमकता है | बाबा का गोल्डन वरदानी हाथ सदा तुम्हारे सिर पर है |

बेहद की सूक्ष्म सेवा (आखिरी के पन्द्रह मिनट – प्रातः 4.45 से 5 बजे तक )

बाबा द्वारा प्राप्त हुए इस वरदान को मैं पूरे संसार को वरदाता बन कर अपने शुभ संकल्पों द्वारा दे रही हूँ | अपनी फ़रिश्ता ड्रेस पहनकर मैं विश्व भ्रमण करते हुए सर्व आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ |

रात्रि सोने के पहले

आवाज़ की दुनिया से परे जाकर अपनी स्टेज को स्थिर बनायें | चेक करें आज मैंने दिन भर में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की ? अगर हाँ, तो बाबा को बताएं | किसी के मोह व आकर्षण में बुद्धि तो नहीं फंसी ? अपने कर्मों का चार्ट बनाएं| तीस मिनट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करें |  अपने दिल को साफ व हल्का कर सोयें |