दिव्य नेत्र वाली आत्मा की उड़ान प्रशिक्षक से
रूहरिहान
पहली स्मृति
आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं
इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के
होम से अवतरित हुई हूँ।
मैं कौन हूँ?
बाबा से मुझे दिव्य चक्षु की सौगात मिली है। इन
नेत्रों से मैं मनमत,
परमत और श्रीमत के अंतर को स्पष्ट तरीके से देख
सकती हूँ। मैं स्वयं को सतोप्रधान बनता हुआ देख
रही हूँ। साथ ही आत्मा पर रजो व तमो के अंश मात्र
को भी मैं पहचान पा रही हूँ।
मैं किसकी हूँ?
आत्मा की बाबा से रूहरिहान:
मीठे बाबा - गुड मॉर्निंग। बाबा! ये रुहानी दिव्य
नेत्र की गिफ्ट देने के लिये आपका बहुत बहुत
शुक्रिया। इन आँखों से मैं माया को दूर से ही
पहचान लेती हूँ। मैं अब जान गयी हूँ कि किसी भी
बात में कठिनाई अनुभव होना माना माया का दिव्य
नेत्र पर प्रभाव पड़ना।
बाबा की आत्मा से रूहरिहान:
मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो। ये दिव्य नेत्र
की गिफ्ट तुम बच्चों के लिये एक रूहानी विमान है।
इसका एक बटन दबाते ही,
एक सेकेंड में,
तुम अपनी इच्छा अनुसार कहीं भी पहुँच सकते हो। यह
स्विच पवित्र सकल्पों का है। श्रेष्ठ संकल्पों की
स्मृति से यह स्विच ऑन करो और तुरन्त एकरस अवस्था
में स्थित हो जाओ। अगर तुम्हारे दिव्य नेत्रों पर
माया की ज़रा सी भी परछाई पड़ी,
तो तुम्हारा विमान ठीक रीति से नहीं उड़ सकेगा ।
यदि तुम अपनी स्वमान की सीट पर सेट न होकर हलचल
में आ जाते हो,
तो तुम अपनी मंज़िल पर नहीं पहुंच सकोगे।
बाबा से प्रेरणाएं:
अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा मे लगाऐं।
बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स मे मैं
बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले
रही हूँ।
बाबा से वरदान:
सूक्ष्म वतन मे मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता
स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व
शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं
–
तुम "मेरा" शब्द का त्याग कर बंधनों के पिंजड़ों
को तोड़कर उनसे मुक्त हो रही हो। तुम पिंजड़े की
मैना से फरिश्ता बन गयी हो और स्नेह,
प्रकाश व स्वतंत्रता के पंख लगाकर परमात्म गगन में
ऊँची उड़ान भर रही हो।
बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट -
प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)
बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा,
वरदाता बन,
मैं पूरे विश्व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता
ड्रेस पहन कर मैं विश्व भ्रमण करते हुए सर्व
आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।
रात्रि सोने के पहले
आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर
बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात
की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं।
किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नही फंसी?
अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग
द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को
मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।