BRAHMA KUMARIS WORLD SPIRITUAL UNIVERSITY


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अमृतवेला

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13.12.2014

भाग्य विधाता बाप के साथ आत्मा की रूहरूहान

पहली स्मृति

मैं आत्मा हूँ | मैं इस धरा को प्रकाशमय करने के लिए स्वीट लाइट के होम से अवतरित हुई हूँ |

मैं कौन हूँ ?

मैं एक सफलतामूर्त आत्मा हूँ क्योंकि मैं परमात्मा का आज्ञाकारी बच्चा हूँ| अमृतवेले में बैठते ही मुझे ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे भाग्य विधाता बाप मेरे मस्तक पर सफलता का तिलक लगा रहे हैं | बाबा स्वयं आकर मुझ आत्मा को सफलता का तिलक दे रहे हैं |

मैं किसकी हूँ ?

आत्मा की बाबा से रूहरिहान

मीठे बाबा ! गुड मारनिंग ! मैं अलर्ट होकर आपकी याद में एकाग्रचित्त बैठी हूँ | मैं यह जानती हूँ कि थोड़ा सा भी आलस्य व झुटका मुझे पूरा भाग्य बनाने से वंचित कर देगा | मैं आत्मा की ज्योति को जगाकर आपका आवाहन कर रही हूँ | आप तो लक्ष्मी के रचियता हैं | भाग्य विधाता बाबा ! आप आकर मेरा भाग्य बनाइये |

बाबा की आत्मा से रूहरिहान

मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो ! अमृतवेला पर जितना तुम मुझे याद करते हो उससे कई हज़ार गुणा मैं तुम्हें याद करता हूँ | रोज़ बाबा चक्कर लगाकर तुम्हारी याद का रीटर्न देते हैं | इस समय अगर तुम सोये पड़े होगे तो तुम्हें बाबा से सम्पूर्ण प्राप्ति नहीं हो सकेगी | इसलिए बाबा से पूरी मदद पाने के लिए पुरुषार्थ करो| चेक करो | अलर्ट होकर बैठो | आज्ञाकारी बनो , ताकि सारे दिन के लिए तुम्हें शक्ति मिलती रहे |

बाबा से प्रेरणाएं

अपने मन को सर्व बातों से हटाकर बाबा में लगाएं ! बाबा है साइलेंस का सागर | इस साइलेंस में , मैं बाबा से प्रेरणायुक्त व पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ |

बाबा से वरदान

सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फ़रिश्ता स्वरुप स्पष्ट दिखाई दे रहा है | बहुत प्यार व् शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं

बाबा तुम्हें रूहानी शक्तियां वरदान के रूप में दे रहे हैं | तुम इन दिव्य शक्तियों से सदा जगमगाते रहो | तुमने याद की शक्ति, जो सबसे आवश्यक है, उस पर मास्टरी कर ली है | तुम अपने मन व बुद्धि को एक सेकंड में एकाग्र कर सकते हो |

बेहद की सूक्ष्म सेवा (आखिरी के पन्द्रह मिनट प्रातः 4.45 से  5 बजे तक )

बाबा द्वारा प्राप्त हुए इस वरदान को मैं पुरे संसार को वरदाता बन कर अपने शुभ संकल्पों द्वारा दे रही हूँ | अपनी फ़रिश्ता ड्रेस पहनकर मैं विश्व भ्रमण करते हुए सर्व आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ |

रात्रि सोने के पहले

आवाज़ की दुनिया से पार जाकर अपनी स्टेज को स्थिर बनायें | चेक करें आज मैंने दिन भर में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की ? अगर हाँ, तो बाबा को बताएं | किसी के मोह व आकर्षण में बुद्धि तो नहीं फंसी ? अपने कर्मों का चार्ट बनाएं| तीस मिनट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करें |  अपने दिल को साफ व हल्का कर सोयें |