एक ट्रस्टी की प्रभु व स्वामी से रूहरिहान
पहली स्मृति
आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं
इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के
होम से अवतरित हुई हूँ।
मैं कौन हूँ?
मैं ट्रस्टी आत्मा हूँ। बाबा ने मुझे तन,
मन,
धन व समय विशेष कार्य में लगाने के लिये लोन पर
दिया है। मैं तो बस एक ट्रस्टी हूँ। मेरा तो कुछ
भी नहीं है।
मैं किसकी हूँ?
आत्मा की बाबा से रूहरिहान:
मीठे बाबा - गुड मॉर्निंग। आप मुझे जहां बिठातें
हैं,
वहां मैं आत्मा बैठ जाती हूँ,
जैसा कहते हैं,
वैसा ही कर्म मैं करती हूँ। बाबा,
मेरा आपसे मीठा रूहानी सम्बंध है,
जिसमें कोई भी कर्मों के हिसाबकिताब का बंधन नहीं
है। मैं तो स्वतंत्र हूँ। आप तो मेरे प्रभु व
स्वामी हो आपसे तो मुझे सदा प्रेरणा मिलती है।
मेरा हर कर्म आपकी दिव्य प्रेरणाओं से ही तो होता
है।
बाबा की आत्मा से रूहरिहान:
मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो। जब तुम अपना सब
कुछ बाबा को दे देते हो,
तो तुम जीते जी मर जाते हो और तुम्हारा पुनर्जन्म
हो जाता है। तुम्हारे इस दिव्य नये जन्म की तुलना
किसी भी दूसरे जन्म से नहीं की जा सकती। इस जन्म
में तुम पूरे आज़ाद हो व किसी के भी अधीन नहीं हो।
जब तुम ये स्मृति रखते हो कि ये तन,
ये सेवा,
ये गुण,
ये शक्तियाँ तुम्हें लोन में मिली हैं,
तो एक सेकेंड में तुम उड़ सकते हो। मीठे बच्चे!
तुम भिन्न-भिन्न प्रकार के जाल मत बिछाओ । जैसे
कि "ये तो कार्मिक बंधन हैं,
ये तो पुरानी दुनिया के बंधन हैं,
ये फलाने ग्रूप में रहने का बंधन है"। तुम स्वयं
ही जाल बिछाकर उसमें फँस जाते हो और फिर उससे
छूटने के लिये बाबा को पुकारते हो कि "बाबा! मुझे
छुडाओ,
मुझे छुडाओ"। बाबा तो कहते हैं कि तुम तो हो ही
आज़ाद - छोड़ो तो छूटे।
बाबा से प्रेरणाएं:
अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा मे लगाऐं।
बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स मे मैं
बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले
रही हूँ।
बाबा से वरदान:
सूक्ष्म वतन मे मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता
स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व
शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं
–
याद के जादू मंत्र से तुम जो चाहे वो पा सकते हो।
इस मंत्र को सदा स्मृति में रख तुम सर्व सिद्धियाँ
प्राप्त करते हो और अपना सुन्दर भविष्य,
जिसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते,
ऐसे भविष्य के अधिकारी बन जाते हो।
बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट -
प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)
बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा,
वरदाता बन,
मैं पूरे विश्व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता
ड्रेस पहन कर मैं विश्व भ्रमण करते हुए सर्व
आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।
रात्रि सोने के पहले
आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर
बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात
की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं।
किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नही फंसी?
अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग
द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को
मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।