सूर्य की तेजस्वी किरणें और चन्द्रमा की चाँदिनी
में मगन एक आत्मा
पहली स्मृति
आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं
इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के
होम से अवतरित हुई हूँ।
मैं कौन हूँ?
मैं आत्मा बाबा की बच्ची हूँ। मैं बाबा के साथ
सर्व सम्बंधो के रस की मिठास का अनुभव कर रही हूँ।
इन दोनो संकल्पों का नशा मुझे सहजता से सूक्ष्म
वतन की ओर उड़ा रहा है।
मैं किसकी हूँ?
आत्मा की बाबा से रूहरिहान:
मीठे बाबा - गुड मॉर्निंग। मैं बाबा की हूँ और
मेरे सर्व सम्बन्ध एक मीठे बाबा से ही हैं। ये
दोनो ही संकल्प मुझे सदा काल का स्वभाविक और सहज
योगी बना रहें हैं।
बाबा की आत्मा से रूहरिहान:
मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो। तुम बच्चों को
पिकनिक पर जाना और हालिडे मनाना बहुत अच्छा लगता
है। इसलिये अमृतवेले बापदादा तुम बच्चों को
सूक्ष्म वतन में आने का निमंत्रण दे रहे हैं।
बच्चे! इस ज्ञान सागर के किनारे आओ और इस बेहद के
सागर में समा जाओ। मेरी छत्रछाया में यह सर्व
सूक्ष्म खजाने स्वतः ही तुम्हें प्राप्त हैं।
बच्चों! आओ और मुझ ज्ञान सूर्य के प्रकाश और ज्ञान
चन्द्रमा की शीतल चँदनी में मगन हो जाओ। सब मिलके
रूहानी पिकनिक मनाओ और रूहानी खेल में खो जाओ।
बाबा से प्रेरणाऐ:
अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा में लगाऐं।
बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स में मैं
बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले
रही हूँ।
बाबा से वरदान:
सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता
स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व
शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं-
अपने स्वमान की हाइयेस्ट सीट पर सेट होकर तुम हीरो
ऐक्टर बच्चे सभी विकराल परिस्थितिओं को सहजता से
पार कर रहे हो। तुम एक विजयी रत्न और मास्टर सर्व
शक्तिमान आत्मा हो,
यही स्मृति तुम आत्मा के स्वमान की सीट बन रही है।
इस स्वमान की सीट पर सेट होकर तुम्हारी हर आज्ञा
का पालन हो रहा है और तुम्हारे हाथों में जादूई
परमात्म शक्ति आ रही है।
बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट -
प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)
बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा,
वरदाता बन,
मैं पूरे विश्व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता
ड्रेस पहन कर मैं विश्व भ्रमण करते हुए सर्व
आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।
रात्रि सोने के पहले
आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर
बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात
की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं।
किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नही फंसी?
अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग
द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को
मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।