एक संपन्न आत्मा की एक जौहरी से
रूहरिहान
पहली स्मृति
आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं
इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के
होम
से अवतरित
हुई हूँ।
मैं कौन हूँ
?
मैं एक संपन्न आत्मा हूँ। मेरा खजाना ज्ञान,
गुणों और शक्तियों के बहुमूल्य रत्नों से भरपूर है।
मैं किसकी हूँ
?
आत्मा की बाबा से रूहरिहान:
मीठे
बाबा - गुड
मॉर्निंग।
बाबा!
मैने
आप
ज्ञान
सागर
जौहरी के
साथ
सौदा
पक्का किया है।
बाबा!
आप
मुझे
थालियाँ
भर-भर
कर
ज्ञान,
गुण और
शक्तियों
के
रत्न
दे
रहे
हैं।
इन
रत्नों
के
साथ खेलते
हुए मेरी
पालना
हो
रही
है।
बाबा की
आत्मा से
रूहरिहान:
मीठे बच्चे! जागो!
मेरे साथ बैठो। जितना-जितना तुम
इन रत्नों को अपने कार्य-व्यवहार
में इस्तेमाल करते जा रहे
हो,
उतने ही यह रत्न वृद्धि
को पाते जा रहें
हैं। जो आत्मायें इन
रत्नों के साथ सदा व्यस्त रहती हैं वो ही सबसे
ज्यादा संपन्न हैं। बच्चों!
अपना बहुमूल्य समय व्यर्थ नहीं गवाँओं। किसी भी
व्यर्थ बात को ना देखो,
ना सुनो,
ना सोचो,
ना बोलो।
बाबा
से
प्रेरणाऐ:
अपने मन को सर्व बातों
से हटा कर बाबा में लगाऐं। बाबा है साइलेन्स का
सागर। इस साइलेन्स में मैं बाबा से प्रेरणायुक्त
और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ।
बाबा से वरदान:
सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता
स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व
शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहें हैं
–
तुम्हारी चेतना
पवित्र और
शुद्ध होती जा रही है।
सत्यता के प्रकाश और बाबा के स्नेह से इसकी चमक
बहुत बढ़ती जा रही है। तुम्हारी पवित्रता
की सुंदरता से तुम्हारे
भविष्य का एक ऐसा चित्र बन रहा है जो तुम्हारी
कल्पना से
भी परे है।
बेहद की सूक्ष्म सेवा:
(आखिरी
के पंद्रह मिनिट
- प्रातः
४:४५
से ५:००
बजे तक)
बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा,
वरदाता बन,
मैं पूरे विश्व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता
ड्रेस पहन कर मैं विश्व भ्रमण करते हुए सर्व
आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।
रात्रि सोने के पहले
आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर
बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर
में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की?
अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी के मोह या आकर्षण
मे बुद्धि तो नही फंसी?
अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग
द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को
मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।