01 जून, 2015
स्मृति
मीठे बच्चे, मीठे
बच्चो, अब अपना घर याद आता है? केवल तुम संगमयुगी
ब्रहामण ही जानते हो कि तुम इस संसार में थोडे़
समय के मेहमान हो। तुम्हारा असली घर शांतिधाम है।
तुम जानते हो कि अब घर जाने में थोड़ा समय बचा है।
मीठे बाबा, सारा
दिन मैं इस स्मृति की पुष्टि करता रहूँगा कि मैं
थोड़े समय का मेहमान हूँ। मैं इस संसार में मेहमान
हूँ और केवल सेवा के लिए हूँ इसलिए कुछ भी मेरा नहीं
है। मेरा सच्चा घर आत्माओं की दुनिया है। अब घर
जाने में थोड़ा समय बाकि है!
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से
प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर
सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती
आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा
रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी
स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस
परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य
करता हूँ।
मनो-वृत्त
बाबा आत्मा से: माया ऐसे करती, भगवान ऐसे करते
हैं। तुम बाप को याद करते हो, माया तुमको और तूफान
में ले जाती है। माया का फरमान है-रूस्तम से
रूस्तम होकर लड़ो, तुम सब लड़ाई के मैदान में हो।
जानते हो इनमें किस-किस प्रकार के योद्धे हैं। कोई
तो बहुत कमज़ोर हैं, कोई मध्यम कमज़ोर हैं, कोई तो
फिर तीखे हैं। सभी माया से युद्ध करने वाले हैं।
गुप्त ही गुप्त अन्डरग्राउंड। तुम जानते हो कि माया
तुम्हारी दुश्मन है।
मैं एक महावीर की वृत्ति अपनाता हूँ। मैं याद रखता
हूँ कि मेरा दुश्मन कोई दूसरा व्यक्ति नहीं बल्कि
मेरी भ्रांति ही मेरी शत्रु है। महावीर होने के
नाते से मैं महसूस करता हूँ कि ड्रामा में जो कुछ
होता है वह अच्छे के लिए होता है। इससे मेरी विजय
होती है। भगवान मेरे दिल में है इसलिए मुझमें असली
युद्ध लड़ने की हिम्मत है। इस महावीर की वृत्ति
अपनाने से मैं माया पर जीत पा सकता हूँ।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: परमात्म मिलन द्वारा रूहरूहान का
सही रेसपान्स प्राप्त करने वाले बाप समान बहुरूपी
भव।
आज मैं अपनी दृष्टि में बाबा के बहूरूपों को रखता
हूँ। मैं देखता हूँ बाबा सेकंड में निराकार से
आकारी वस्त्र धारण कर लेते हैं। निरंतर बाबा को
देखने से मुझे भी मिट्टी की ड्रेस को छोड़ आकारी
फरिशता ड्रेस धारण करने में मदद मिलती है। फरिश्ता
ड्रेस मायाप्रूफ है इसलिउ रूहरिहान का क्लीयर
रेसपान्स समझ में आ जाऐगा।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर
पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में
भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की
स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके
विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश
दूँगा।