12 जून, 2015
स्मृति
मीठे बच्चे, सेंस
और इसेंस के बैलेन्स द्वारा अपनेपन को स्वाहा करने
वाले विश्व परिवर्तक भव। सेंस अर्थात ज्ञान की
पांइटस, समझ और इसेंस अर्थात सर्व शक्ति स्वरूप
स्मृति और समर्थ स्वरूप।
मीठे बाबा, सारा दिन मै इस स्मृति की पुष्टि करता
रहूँगा कि: जब मैं अपने प्रत्येक विचार, शब्द और
कर्म को आपकी याद और ज्ञान से भर देता हूँ तो
समस्त संसार के वायुमंडल को परिवर्तन कर सकता हूँ।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से
प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर
सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती
आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा
रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी
स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस
परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य
करता हूँ।
मनो-वृत्ति
बाबा आत्मा से: यह
छी-छी दुनिया है , इससे तुम्हारा बेहद का वैराग
होना चाहिए। बाप कहते हैं इस दुनिया में तुम जो
कुछ देखते हो वह कल नहीं होगा। वास्तव में कोई चीज़
का मुल्य नहीं सिवाय एक बाप के।
संसार के प्रति
वैराग्य वृत्ति रखने का मेरा दृढ़ संकल्प है। इस
समय केवल जो शाश्वत और पावन है उसी का मूल्य है।
मेरी जीवन में सबसे अधिक मोल बाबा के साथ का,
मार्गदर्शन का और पवित्र प्रेम का है।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: मीठे
बच्चे, अब तुम नये सम्बन्ध में जा रहे हो, इसलिए
यहाँ के कर्मबन्धनी सम्बन्धों को भूल, कर्मातीत
बनने का पुरूषार्थ करो।
आज मेरी दृष्टि में
मैं दूसरों को उनके भूतकाल के कर्मों के इतिहास के
आधार पर नहीं देखूँगा। मैं हर आत्मा को निर्दोष
दृष्टि से देखूँगा जैसेकि प्रत्येक सम्बन्ध नया है
और ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशवान है।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के
योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की
सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा
सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और
दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर
मैं पूरे विश्व को सकाश दूँगा।