15 जून, 2015
स्मृति
मीठे बच्चे, अपने को आत्मा बिन्दी समझो। आत्मा का
बाप वह निराकार है, वह नॉलेजफुल ही आकर पढ़ाते हैं।
सृष्टि के आदि-मध्य-अंत राज़ समझाते हैं। मैं आत्मा
बिन्दी हूँ। बाप भी बिन्दी है, उस रूप में याद करें,
ऐसे बहुत थोड़े हैं। इतनी छोटी सी आत्मा में 84
जन्मों का पार्ट है।
मीठे बाबा, सारा दिन मैं इस स्मृति की पुष्टि करता
रहूँगा कि मैं एक आत्मा हूँ और आप अकेले ही
पतित-पावन हैं, ज्ञान का सागर हैं। मुझे दृढ़
विश्वास है कि मैं आत्मा, एक बिन्दू हूँ और आप
आत्माओं के पिता भी बिन्दू हैं। इतनी छोटी आत्मा
में 84 जन्मों का पार्ट भरा हुआ है।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं
स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें
इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से
मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान
देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही
है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज
से कार्य करता हूँ।
मनो-वृत्ति
बाबा आत्मा से: यह भी जानते हैं कि अब पुरानी
दुनिया का विनाश होगा फिर हम सतयुग में आकर अपना
पार्ट बजाऐंगे। सतयुगी र्स्वगवासी बनेंगे। यह याद
रहने से खुशी भी रहती है। यह खुशी स्थाई रहनी
चाहिए, जब तक स्टडी पूरी हो।
शारीरिक वृत्ति या भौतिक वृत्ति को आध्यात्मिक
वृत्ति में बदलने का मेरा दृढ़ संकल्प है। मैं यह
याद करता हूँ कि मैं र्स्वगवासी बनने के लिए पढ़ रहा
हूँ। मैं सारा दिन स्थाई आध्यात्मिक वृत्ति कायम
रखता हूँ।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: तुम बच्चे जानते हो कि दो पावन
दुनिया हैं- मुक्ति और जीवन-मुक्ति। हर आत्मा पावन
बनकर मुक्ति-धाम चली जाऐगी।
मैं एक आंख में परमधाम और दूसरी में सतयुग रखता
हूँ। आज मैं सब आत्माओं को पावन बनकर घर जाते हुए
देखता हूँ।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर
पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में
भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की
स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके
विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश
दूँगा।