17 जून, 2015
स्मृति
मीठे बच्चे, तुम बच्चों की बुद्धि में हैं कि अब
हमारे सुख के दिन आने हैं, जिसके लिए पुरूषार्थ कर
रहे हैं। बाबा ने पुरूषार्थ भी बहुत सहज बताया है।
ड्रामा अनुसार कल्प पहले मुआफिक, यह सरटेन है। तुम
देवता थे।
मीठे बाबा, सारा दिन मैं इस स्मृति की पुष्टि करता
रहूँगा कि मैं देवता था और फिर से देवता बन रहा
हूँ। मुझे निश्चय है कि मैं कल्प पहले वाली सतयुगी
देव आत्मा हूँ। मीठे बाबा, ‘आप वही मेरे बाबा हो
जिनसे मैं अलग हो गई थी। आप फिर से मेरे जीवन में
आऐ हो मुझे सहज पुरूषार्थ सिखाने।’
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं
स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें
इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से
मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान
देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही
है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज
से कार्य करता हूँ।
मनो-वृत्ति
बाबा आत्मा से: स्वयं को मोल्ड कर रीयल गोल्ड बन
हर कार्य में सफल होने वाले परिवर्तक भव।
स्वयं को बदलने की वृत्ति को अपनाने का मेरा दृढ़
संकल्प है। कठिन परिस्थितियों में मैं स्वयं को
मोल्ड कर देता हूँ इसलिए सफलता मिलती है। सम्बन्धों
में मेरा सिद्धांत है: ‘दूसरा बदले या न बदले मुझे
बदलना है’। मैं सबसे पहले स्व को परिवर्तन करने की
वृत्ति अपनाता हूँ। स्वयं को मोल्ड करने की वृत्ति
से मैं रीयल गोल्ड बन जाता हूँ। मैं याद रखता हूँ
के रीयल गोल्ड की ही वैल्यु है।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: तुम बच्चों का ऐम और ऑबजैक्टिव
तुम्हारे सामने है। हम अभी वह बन रहे हैं। साधारण
मनुष्य से नारायण बनने की यह सच्ची कथा है।
आज मैं अपनी दृष्टि में नारायण बनने के लक्ष्य को
रखता हूँ। मैं स्वयं को और दूसरों को श्रेष्ट हस्ती
के रूप में देखता हूँ।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर
पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में
भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की
स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके
विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश
दूँगा।