21
मई,
2015
स्मृति
मीठे बच्चे: अगर तुम कोई के नाम रूप में फंसते हो
तो खत्म हो जाते हो। तकदीरवान बच्चे ही शरीर का
भान भूल अपने का अशरीरी समझ बाप को याद करने का
पुरूषार्थ कर सकते हैं। बाप रोज़-रोज़ समझाते हैं-
बच्चे, तुम शरीर का भान छोड़ दो। हम अशरीरी आत्मा
अब घर जाते हैं। अपने को आत्मा समझ मुझे याद करो।
आत्मा ही पतित बनी है।
मीठे बाबा, सारा दिन मैं इस स्मृति की पुष्टि करता
रहूँगा कि मैं अशरीरी आत्मा अब वापिस घर जा रही
हूँ। मुझे यह शरीर यहीं छोड़ना है। केवल बाबा की
निरंतर याद से और कर्मातीत बनने से ही मैं यह शरीर
छोड़ सकता हूँ। मेरी बुद्धि में यह रहता है कि मैं
यहां अशरीरी आया था फिर सुखों के कर्मों के बंधन
में फंस गया और फिर रावण के विकारी बंधनों में फंस
गया। अब बाबा मुझे मुक्त कर रहे हैं।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं
स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें
इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से
मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान
देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही
है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज
से कार्य करता हूँ।
मनो-वृत्ति
बाबा आत्मा से: ऐसी कोशिश करनी चाहिए कि किसको भी
मनसा, वाचा, कर्मणा दु:ख न देवें। बाप आते ही हैं
हमको ऐसा देवता बनाने। क्या यह कभी किसी को दु:ख
देते हैं ? यह बाप रोज़ आकर पढ़ाते हैं, मैनर्स
सिखलाते हैं। तुम्हें स्वयं बहुत शक्तिशाली बनना
है।
आज किसी को दु:ख न देने और न लेने का मेरा दृढ़
संकल्प है। आज मैं शक्ति और दया की वृत्ति रखूंगा।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: विश्व कल्याण के कार्य में सदा बिजी
रहने वाले विश्व के आधारमूर्त भव।
विश्व की बेहद की आत्माओं को मैं सदा अपनी दृष्टि
में रखता हूँ। जब मैं सब आत्माओं को अपने सम्मुख
देखता हूँ तो थोड़ा भी अलबेला नहीं हो सकता। मेरी
बेहद की दृष्टि से विश्व का आधारमूर्त बनने का बाबा
से मुझे वरदान मिल रहा है।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर
पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में
भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की
स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके
विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश
दूँगा।