22
मई,
2015
स्मृति
मीठे बच्चे: अमरनाथ बाप कहते हैं: तुम सब
पार्वतियां हो। अभी तुम मामेकम याद करो तो तुम
अमरपुरी में चले जाऐंगे और तुम्हारे पाप नाश हो
जाऐंगे।
मीठे बाबा, सारा दिन मैं इस स्मृति की पुष्टि करता
रहूँगा कि मैं अमर और अनंत आत्मा हूँ। मैं सच्ची
अमरकथा याद करता हूँ। मैं एक छोटी अविनाशी आत्मा
हूँ और इस ड्रामा में मेरा अविनाशी पार्ट अनादि
है। इस स्मृति से मैं मौत के भय से उपर उठ जाता
हूँ।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं
स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें
इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से
मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान
देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही
है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज
से कार्य करता हूँ।
मनोवृति
बाबा आत्मा से: देही अभिमानी बुद्धि को छी-छी कहा
जाता है। देही अभिमानी को गुल-गुल कहा जाता है।अभी
तुम फूल बनते हो। देह अभिमानी रहने से काँटे के
काँटे रह जाते हैं। तुम्हें पुरानी दुनिया से
वैराग्य है। तुम्हारी है बेहद की बुद्धी, बेहद का
वैराग्य। हमको इस वेश्यालय से बड़ी नफरत है। अभी हम
शिवालय जाने के लिए फूल बन रहे हैं।
पुरानी दुनिया के प्रति मेरी बेहद की वैराग वृत्ति
है। मेरी बुद्धी में शिवालय है।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: अभी जो कुछ देखते हो वह नहीं
रहेगा; विनाश हो जाऐगा। इसलिए तुमको नई दुनिया की
सीन सीनरी बहुत अच्छी दिखलानी पड़े। इस पुरानी
दुनिया को आग लगनी है, इनका भी नक्शा तो है ना। और
यह नई दुनिया इमर्ज हो रही है।
मेरे तीसरे नेत्र में मैं नई दुनिया को सामने रखता
हूँ। मैं पुरानी दुनिया को देखते हुए भी नहीं
देखता हूँ। केवल स्वर्ग के सुंदर सीन सीनरीयां ही
मेरी दृष्टि में हैं।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर
पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में
भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की
स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके
विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश
दूँगा।