24
मई,
2015
स्मृति
मीठे बच्चे: विजय का झंडा लहराने के लिए मुख्य बात
है रियलाईज़ेशन। एक है सुनना वा सुनाना कि बाप से
सर्व सम्बन्ध हैं। लेकिन हरेक सम्बन्धों की
अनुभूति वा प्राप्ति में मग्न रहो तो पुरानी
दुनिया के वातावरण से सहज ही उपराम रह सकते हो। हर
समय बाप के भिन्न् भिन्न् सम्बन्धों का सहयोग लेना
अर्थात अनुभव करना ही योग है। बाप कैसे भी समय पर
सम्बन्ध निभाने के लिए बँधे हुऐ हैं।
मीठे बाबा: मैं यह स्मृति रखूंगा कि आपका सहयोग
लेना भी एक तरह का योग ही है। सारा दिन मैं आपके
साथ पिता, माता, पक्के मित्र और माशूक का सम्बन्ध
अनुभव करता रहूँगा। जो भी कार्य मैं करँगा उसमें
मैं अलग अलग सम्बन्धों का अनुभ्व करँगा। और आपसे
मिलने वाले सहयोग से मैं निरंतर योग का अनुभव
करूंगा।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं
स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें
इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से
मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान
देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही
है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज
से कार्य करता हूँ।
मनोवृत्ति
बाबा आत्मा से: मन से खुशी का आवाज़ निकलता है कि
पाना था सो पा लिया ? मुख का आवाज़ निरंतर का नहीं
हो सकता, लेकिन मन का आवाज़ निरंतर अविनाशी है। तो
यह मन से आवाज़ निकलता है कि पा लिया है ? अदंर से
आता है या अभी समझते हो कि पाऐंगे, पा रहे हैं!
इस वृत्ति को अपनाने का मेरा दृढ़ सकल्प है कि पाना
था सो पा लिया।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: जैसे जौहरी हर रत्न की वैल्यु को
जानते हैं वैसे बाप भी हर बच्चे की श्रेष्ठता को
जानते हैं। हर रत्न एक-दूसरे से श्रेष्ठ है। आप
साधारण नहीं हो। आखिरी दाना भी साधारण नहीं है।
मेरा दृढ़ संकल्प है कि आज मुझे हरेक के विशेष
गुणों को ही देखना है। मेरी दृष्टि में हर आत्मा
श्रेष्ठ है।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर
पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में
भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की
स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके
विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश
दूँगा।