25 मई, 2015
स्मृति
मीठे बच्चे, स्वयं
से पूछो: हम बाप को कितना याद करते हैं? कितना हम
स्वदर्शन चक्रधारी बने हैं? कितने पाप कटते जा रहे
हैं? कितना पुण्य किया? मुख्य है याद। मुझ बाप को
बहुत प्रेम से याद करो।
मीठे बाबा, आज पूरे
दिन मैं इस स्मृति की पुष्टि करता रहूँगा कि यह
सहज राजयोग है। मैं स्वदर्शन चक्र फिराता रहूँगा।
आपको याद करना कितना सहज है। आप इतने मीठे हो ! आप
प्रेम के सागर हो। यह आपकी कमाल है कि: अगर मैं
आपको याद करता हूँ तो मैं 21 जन्मों के लिए कभी भी
बीमार नहीं पड़ूँगा। आप मुझे यह गारंटी देते हो।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से
प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर
सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती
आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा
रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी
स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस
परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य
करता हूँ।
मनोवृत्ति
बाबा आत्मा से:
श्रीमत बहुत सहज है। मैं आकर भारत को श्रीमत दे
श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनाता हूँ। बाप रोज़ रोज़ समझाते
रहते हैं- बच्चो, श्रीमत पर चलना भूलो मत। ब्रहमा
की तो बात ही नहीं। उनकी बात समझो। वही इन द्वारा
मत देते हैं।
स्वीकारने की वृत्ति
को अपनाने का मेरा दृढ़ संकल्प है। बाबा, जो कुछ भी
आप मुझे कहेंगे उसे मैं स्वीकार करूँगा। मैं अपने
भीतर यह देखूंगा कि: मैं सतोप्रधान बनने के लिए
श्रीतम काक कितना स्वीकारता हूँ और कितना फॉलो करता
हूँ?
दृष्टि
बाबा आत्मा से:
जहान के नूर बन भक्तों को नज़र से निहाल करने वाले
दर्शनीय मूर्त भव !
मैं यह याद रखूंगा
कि सारा विश्व हम जहान के आंखों की दृष्टि लेने के
लिए इंतज़ार में है। बाबा ने मुझे बार बार कहा है
कि मैं जहान का नूर हूँ। जब मैं जहान का नूर अपनी
सम्पूर्ण स्टेज तक पहुँचुंगा तब एक सेकंड में
विश्व परिवर्तन होगा। तब मैं आत्माओं को नज़रों से
निहाल कर सकूंगा और दर्शनीय मूर्त बन सकूंगा।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के
योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की
सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा
सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और
दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर
मैं पूरे विश्व को सकाश दूँगा।