मम्मा मुरली मधुबन
परमात्मा और धर्मात्मा में अंतर और उनका कर्तव्य
रिकॉर्ड –
मेरा छोटा सा देखो ये संसार है.....बेहद के बाप ने अभी बुद्धि में यह नॉलेज दिया है, जो है ही नॉलेज फुल, उसने ही बैठ करके समझाया है कि तुम आत्माएं, वह आत्माओं से बात करता है कि तुम आत्माएं असल में क्या थी, इसका मतलब हो गया की अभी कुछ और हो गई हो । तो आत्माओं की भी स्टेजिस बदलती है, ऐसे नहीं कहेंगे की आत्मा सदा से एक ही स्टेज में है, आत्मा भले अनादि है परंतु उसकी स्टेज बदलती है। स्टेज का मतलब ही है, जैसे जैसे समय बीतता जाता है तो उनकी स्थिति बदलती जाती है। तो आत्मा की स्थिति जरूर बदलती है लेकिन वैसे आत्मा अविनाशी, अनादि हैं, बाकी ऐसे नहीं कहेंगे कि उसकी स्थिति भी अविनाशी अनादि है, नहीं! बदलती है, क्योंकि अभी बदली कौन है? आत्मा बदली है। ऐसे नहीं कहेंगे कि शरीर बदला है, नहीं! शरीर का आधार भी तो आत्मा से है ना इसीलिए आत्मा जैसा कर्म करती है, वैसा पाती है तो करने वाली रिस्पांसिबल वह है। तो अभी बाप उनसे बात करते हैं, यह तो अभी बुद्धि में सब की है कि हां! अपने आत्मा का पिता परम पिता है। उनको कहते भी है परमपिता, परम आत्मा । तो पिता जो कहते हैं तो जरूर हम उनके पुत्र ठहरे । ऐसे नहीं है वह पिता हम भी पिता, नहीं! आत्मा अगर परमात्मा कही जाए तो फिर आत्मा ही परम पिता भी कहें, परंतु नहीं! पिता कहा जाता है तो पिता माना पिता और पुत्र के रिलेशन में पिता कहने में आता है । हम अगर सब पिताएं हैं तो फिर पिता भी कहें क्यों, जरूर पिता और पुत्र दो चीज, पिता कहने का संबंध भी पुत्र से बनता है और पुत्र के संबंध में ही पिता का संबंध आता है । उनको कहा ही जाता है परमपिता परमात्मा तो अभी वह बाप बैठकर के समझाते हैं, कि अभी तुम्हारी जो स्थिति है और जो पहले स्थिति थी, उसमें फर्क है, अभी मैं आया हुआ हूँ उसी फर्क को फिर मिटाने के लिए । ऐसे नहीं है कि आत्मा को बनाने के लिए तुम्हारे में जो फर्क आया है तुम्हारी स्थिति जो बदली है उसको फिर बदलने के लिए, तो वो बैठकर के बाप अभी नॉलेज देते हैं कि वह कैसे बदलेगा, समझ से, वो समझ देकर के समझाते हैं कि तुम्हारी असूल जो ओरिजिनल स्टेज थी, अभी उसी को पकड़ । कैसे पकड़, वो पकड़ाने का ज्ञान भी दे रहे हैं, बल भी दे रहे हैं कि मुझे याद कर तो तुम्हारे को श्रेष्ठ कर्म करने का बल आएगा, नहीं तो तुम्हारे से कर्म श्रेष्ठ नहीं रहेंगे । कई है ना, जो कहते हैं कि हम चाहते हैं कि यह अच्छा काम करें, लेकिन पता नहीं फिर क्या है, कि हमारा मन फिर उस तरफ लग जाता है, अच्छे तरफ लगता नहीं है क्योंकि हमारे में अच्छे कर्म करने का बल नहीं है, हमारी स्थिति अभी तमोप्रधान होने के कारण वह तमो का अभी प्रभाव जोर से है इसीलिए वो हमको दबाता है तो इसीलिए उस तरफ जल्दी बुद्धि चली जाती है और अच्छे तरफ बुद्धि जाने में रुकावट आती है । तो इसीलिए बाप कहते हैं कि बच्चे अभी वो रुकावट तेरी दूर होवे, वह कैसे होवे, उसी के लिए कहते हैं अभी मेरे से योग अथवा मेरी याद रख और मेरी इस नॉलेज की समझ से, जो मैं समझ देता हूँ, उसी आधार से यह अपना जो पाप का भी बोझा है और जो बंधन है, जो तुमको रूकावटे आती हैं उससे अपना रास्ता साफ़ करते चलो तो फिर तुम्हारे श्रेष्ठ कर्म करते चलने से तुम्हारी वह सतों प्रधानता की पावर रहेगी और उसके आधार से फिर तुम उस स्थिति को प्राप्त करेंगे जो तुम्हारी असुल है तो अभी यह नॉलेज उन्हों की बुद्धि में है जो रोज आते हैं की अभी हम उस बेहद के बाप से क्या प्राप्ति करते हैं और उस प्राप्ति के आधार से ही फिर जैसी आत्मा वैसा शरीर फिर जैसा शरीर और आत्मा यानी मनुष्य वैसा फिर संसार भी होता ही है । तो यह सभी चीज बुद्धि में रखने की है कि अभी ऐसा संसार, एक दो आदमी की बात नहीं है, ऐसा संसार अभी वह परमपिता परमात्मा बनाते हैं । वह है ही, गाया भी जाता है ना, उसको कहा भी जाता है क्रिएटर और कहा भी जाता है वर्ल्ड क्रिएटर यानि दुनिया का रचता परंतु ऐसा नहीं है कि दुनिया कभी है ही नहीं, जो बैठकर के बनाते हैं, लेकिन ऐसी और इस तरीके से दुनिया बनाता है तो वो दुनिया का मालिक है ना, उनका है ही एक्ट दुनिया बनाने का पार्ट । दूसरे कोई का भी ये पार्ट नहीं है जैसे क्राइस्ट आया तो ऐसे नहीं कहेंगे उसने कोई दुनिया बनाई, वह धर्म बनाने वाला, उसने अपना नया धर्म स्थापन किया । बुद्ध आया तो भी उसने अपना नया धर्म स्थापन किया इसी दुनिया में लेकिन दुनिया को बदलना और दुनिया बनाना यह हो गया काम उसका जिसको वर्ल्ड क्रिएटर, वर्ल्ड ऑलमाइटी अथॉरिटी उसको कहा जाता है तो यह भी समझना है कि उनका कर्तव्य और उनका जो करना है, वह सभी आत्माओं से भिन्न है लेकिन काम वैसे ही है, जैसे आत्माएं भी अपना अपना कर्तव्य आ करके करती हैं, वैसे ही परमात्मा भी अपना कर्तव्य एक बार इस मनुष्य सृष्टि में आकर के एक्ट करते हैं तो उसका भी एक्ट है एक बार का, बाकी तो हर एक आत्मा का अपना एक्ट चलता है, ऐसे नहीं कहेंगे कि यह सभी परमात्मा का एक्ट चलता है, यह हर एक आत्मा का अपना अपना कर्म का खाता चलता, जो करती हैं सो पाती हैं, उसमें फिर कई अच्छी आत्माएं भी हैं जैसे भाई क्राइस्ट, बुद्ध और इस्लामी धर्म स्थापन करने वाले या और जो - जो भी अच्छे आए उन्होंने फिर अपना अपना धर्म स्थापन किया, भाई गांधी आया, फलाना आया तो वह भी अपने अपने काम कर्तव्य करने का अपना पार्ट प्ले करते हैं इसी तरह से सब, हर एक । जैसे आपका । आपका भी बहुत जन्मों का यानि जितने भी जन्म हुए, तो वह जन्मों का आत्मा का अपना पार्ट है एक शरीर छोड़ा दूसरा लिया, दूसरा छोड़ा, तीसरा लिया, जितने भी जन्मों का हिसाब होगा, हर एक का अपने-अपने जन्मों का जो हिसाब होगा वो आत्मा पार्ट बजाती है ये आत्मा में सारा रिकॉर्ड भरा हुआ है अनेक जन्मों का जो वह प्ले करती है, तो यह है प्ले करने का स्थान इसीलिए इसको नाटक भी कहते है ड्रामा भी कहते हैं, इसमें एक बार परमात्मा का भी एक्ट है इसीलिए उसके एक्ट की महिमा सबसे ऊंची है । इसी नाटक में, उसका जो एक्ट है यहां, वह सबसे ऊंचा होता है । ऊंचा किसमें है कि वह आकर के हमारी दुनिया को बदलते हैं लेकिन किस युक्ति से बदलते है, आत्माओं को कैसे फिर बदलाते हैं जिसके आधार से ही शरीर और फिर शरीर और आत्मा के आधार से फिर सारी सृष्टि का परिवर्तन होता है , सब चीजें समझाते हैं । यह है उसका काम इसीलिए इसको कहा ही जाता है कर्मक्षेत्र ये है ही कर्म का क्षेत्र जिसमें हर एक मनुष्य आत्मा अपना अपना पार्ट प्ले करती है, परंतु मेरा पार्ट सबसे भिन्न है । मैं कोई आ कर के मनुष्यों के मुआफिक अपने कर्म के हिसाब से पार्ट नहीं बजाता हूँ, लेकिन मेरा फिर हिसाब ऐसा है, है तो मेरा भी पर मेरा इस आधार पर है कि मैं आत्माओं के सदृश्य जनम मरण में आऊँ या मैं आत्माओं के सदृश्य कर्म का खाता उल्टा बनाऊं, नहीं! मेरा पार्ट ही ऐसा है जिसमें सिर्फ आ करके मैं आत्माओं को लिब्रेट करता हूँ इसलिए नुझे लिब्रेटर भी कहते हैं, बंधन से छुड़ाने वाला, तो कैसे छोड़ता हूँ किस तरह से इसको फिर गति सद्गति , मोक्ष आदि ये नाम दे दिए हैं । तो कहते हैं मैं आ करके छुड़ाता हूँ, तो देखो यह छुडाते हैं न माया की बोंडेज से, माया का बंधन जो चढ़ा है, उससे बैठकर के प्यूरीफाइड बनाते हैं और कहते हैं मेरा काम यह है कि आत्माओं को माया की बोंडेज से छुड़ाकर फिर ले जाना । तो यह भी सारी सृष्टि के जो आनादि नियम और कायदे हैं वह भी तो समझना है ना ये किस तरह से हैं और हमको सृष्टि से भी दिखाई पड़ता है । सृष्टि की संख्या भी हमको दिखाती हैं कि यह मनुष्य सृष्टि की वृद्धि ऐसी भी नहीं है कि बढ़ती है तो फिर बढ़ती चलती है फिर वह भी टाइम जरूर है कि जब यह कम होती है । तो यह सभी चीजें ऐसे नहीं कि बढ़ती है तो बढ़ती ही है, नहीं! फिर इसका स्टेज आता है जो फिर कम होती है । तो इस सृष्टि में हर चीज का नियम है जैसे देखो यह मकान है, पहले भाई बना होगा तो उसको कहेंगे ना नया, तो नया है तो ऐसे भी नहीं की फिर झट से बस एकदम जल्दी से पुराना हो जाएग, नहीं! पुराने होने में समय लगता है । पहले नया है फिर पीछे बहुत धीमे - धीमे नयापन थोड़ा छूटता जाएगा, फिर जब पुराने की भी कंडीशन शुरू होगी फिर ऐसे नहीं झट से , नहीं! धीरे-धीरे पुराना होते- होते बिल्कुल जड़जड़ीभूत अवस्था अपने टाइम पर हो जाएगी । तो हर चीज को, अपने जीवन से भी देखो, जीवन का भी नियम है शरीर का, भई पहले बाल, ऐसे नहीं कि बाल से झठ वृद्ध हो जाएगा, नहीं! पहले बाल, फिर किशोर अवस्था वो होता है न बल से थोड़ा बड़ा, तो किशोर, फिर युवा अवस्था, फिर युवा की भी स्टेज बढ़ेगी, फिर वृद्ध , फिर वृद्ध भी जल्दी नहीं फिर वृद्ध भी होते होते फिर बिचारे जड़जड़ीभूत । तो यह सभी चीजों का भी हर बात का बढ़ना और उसकी एंड होना, यह भी सभी नियम हैं ना । इसी तरह से यह सृष्टि की भी जो जनरेशंस हैं न, उनका भी ऐसा नियम है । हर चीज बढ़ती है, फिर कैसे घटती है इसी तरह से यह भी हमारी, यह तो हुआ एक शरीर का लेकिन यह फिर हमारे अनेक जन्मों का भी ऐसा है । पहले हमारे जन्म अच्छे रहेंगे जो भी आत्मा आती है, देखो क्राइस्ट आया तो पहले उनका पावर जो था वो ऊंचा था फिर पीछे वह भी आत्मा जन्म लेती गई, ऐसे नहीं वह आत्मा चली गई नहीं! वो आत्मा फिर जन्म ल्रती ल्रती फिर उसका दूसरा जन्म फिर तीसरा जन्म फिर चौथा फिर जहां तक भी क्रिशच्येनिटी है वह जन्म में है, वह जन्म लेते लेते लेते लेते फिर उसकी भी स्टेज है न कम होती जाती है, इसी तरह से यह जन्मों की भी फिर स्टेज है, एक जीवन की भी स्टेज है तो फिर जन्मों की भी स्टेज है, वह फिर जेनरेशंस भी जो चली, इसी तरह से सभी धर्मों का भी फिर स्टेज है, पहला जो धर्म है सबसे ताकत वाला, फिर पीछे आस्ते आस्ते जो आते हैं कम - कम - कम - कम ताकत, क्योंकि इसी तरीके से ये धर्मों की भी फिर वृद्धि होती है । तो हर चीज में अपना अपना नियम है- धर्मों का बढ़ना, धर्मों का चलना, जेनरेशंस में हरेक का चलना, हर एक बात का कैसे नियमों से चलते हैं इन्हीं सभी बातों को भी समझना है तो इसी हिसाब से फिर यह सभी बातों का भी एक बार बाप कहता है मेरा भी उसमें पार्ट है जो मैं आ कर के फिर सबको, क्योंकि वो फिर पावरफुल सोल चाहिए ना बस मैं भी वो सोल हूँ, मैं भी कोई गॉड कोई दूसरी चीज नहीं हूँ, मैं भी तो सोल ही हूँ परंतु मेरा काम जो है ना बहुत बड़ा और ऊंचा है इसीलिए मुझे गॉड कहते हैं या मुझे लिब्रेटर कहते हैं, देखो लिब्रेटर कोई मनुष्य नहीं हो सकता है, मनुष्य आते हैं, भले दूसरा भी, जैसे क्राइस्ट आया तो अपनी जनसंख्या को भी ले आया, जिससे फिर क्रिश्चियनिटी बढ़ी यह संख्या बढ़ी ना, तो उनका काम है ले आना, बाकी वापस ले जाना ये फिर उनका काम नहीं है इसीलिए यह है उस सुप्रीम सोल का काम, तो उसका भी सोल का काम है ना, इसीलिए कहते हैं मेरा जो काम है तो मैं भी गॉड, कोई दूसरी चीज नहीं हूँ लेकिन मेरा कर्तव्य दूसरा है, मेरा काम दूसरा है इसीलिए मेरे कर्तव्य के ऊपर मैं गॉड हूँ । गॉड वैसे कोई दूसरी चीज नहीं है । जैसे ही तुम आत्मा हो वैसे मैं भी हूँ। जैसे आपका बच्चा है, वह भी तो मनुष्य ही है, आप भी तो मनुष्य हो, उसमें तो कोई फर्क नहीं है ना । मनुष्य का भी बच्चा भी मनुष्य ही होगा ना । तो वह परम आत्मा यानी आत्मा ही हूँ, तो जैसी मैं हूँ वो भी वैसा ही है उसमें कोई फर्क नहीं है लेकिन हां, कर्तव्य में बहुत बड़ा भारी फर्क है इसीलिए कहते हैं मेरा जो कर्तव्य है वह सब से भिन्न है, इसीलिए धर्मस्थापक जो धर्म स्थापन करने वाले पिताएं हैं जैसे क्राइस्ट बुद्ध इन धर्म पिताओं से भी, परमपिता, मुझे कहते ही हैं परमपिता परमात्मा, वह हो गए धर्म पिताएं यानी धर्म के स्थापक । मैं धर्म का स्थापक नहीं हूँ । मैं कोई हद का एक धर्म आकर के स्थापन करूं वह नहीं हूँ । मैं आकर के धर्म स्थापना की दुनिया स्थापन करता हूँ तो मेरा काम सबसे बड़ा हो गया ना, मैं दुनिया का क्रिएटर हो गया ना । यानी वह हो गए धर्म के क्रिएटर, जैसे क्राइस्ट को कहेंगे धर्म का क्रिएटर, क्रिश्चियनिटी का क्रिएटर तो क्रिश्चियनिटी धर्म का क्रिएटर क्राइस्ट और बुध धर्म का क्रिएटर बुद्ध इसी तरह से हुआ न । गुरु नानक देव सिख धर्म का क्रिएटर, ऐसे कह सकते हैं लेकिन एक हद का धर्म हुआ लेकिन वह हो गया दुनिया । दुनिया का क्रिएटर क्योंकि सारी दुनिया को चेंज में अथवा किस तरीके से वह लाते हैं तो उसका भी काम हो गया ना जैसे वह आत्माएं अपना काम अपने समय पर करती हैं, वैसे ही परमात्मा बाकी कहते है मैं भी आत्मा ही हूँ, मैं गॉड कोई और चीज हूँ या परमात्मा कोई दूसरी चीज है लेकिन नहीं! मैं भी आत्मा ही हूँ लेकिन मेरा कर्तव्य विशाल है, मेरा कर्तव्य महान है, मेरा कर्तव्य जो है सबसे भिन्न है निराला है इसीलिए फिर कहते हैं ना, तेरे काम निराले, तो निराले कैसे की जो भी धर्म स्थापक हैं, जो भी काम करने वाले हैं उन सब से काम से मेरे फर्क है इसीलिए मुझे गॉड कहते हैं कि भाई तेरा तो काम अथॉरिटी का है कि हाँ तुम कैसे दुनिया को बदलते हो तो उसका भी काम है । तो यह सभी चीजों को भी समझना है इसीलिए उसको गॉड कहते हैं और उसका शक्तिशाली काम है इसीलिए उनको सर्वशक्तिमान कहते हैं । शक्तिशाली क्यों उनका काम है - तो यह काम की सभी आत्माओं को लिब्रेट करना, माया की बॉन्डेज से छुड़ाना और फिर नई दुनिया का बैठ कर के सेपलिंग लगाना और यह परिवर्तन लाना, यह सब करना इसीलिए उस को अंग्रेजी में भी कहते हैं हवेनली गॉडफादर । देखो कहते हैं ना तो हेवेन स्थापक । वो जैसे क्राइस्ट को कहेंगे क्रिश्चियनिटी का फादर, गॉडफादर नहीं करेंगे उसको कहेंगे क्रिश्चियनिटी का फादर । उसको कहा जाता है हवेली गॉडफादर, क्यों कहते हैं क्योंकि हेवेन का स्थापक वह है तो हेवेन वर्ल्ड हो गई ना । हेवेन को एक धर्म तो नहीं है ना । हैवल हो गई वर्ल्ड, हेल है वर्ल्ड तो वह वर्ल्ड का स्थापक हो गया और वर्ल्ड में एक धर्म एक राज्य था । तो वर्ल्ड यानी सारी वर्ल्ड तत्व आदि सब चेंज में आ गए ना इसीलिए बाप कहते हैं वह है हवेली गॉडफादर अंग्रेजी में भी कहते हैं, बाकी ऐसे नहीं हेवेन में रहता है । कई ऐसे समझते हैं उसको हेवेनली गॉडफादर इसीलिए कहते हैं कि वह हैवेन में बैठा है । बैठा है तो क्या है? बैठा है तो बैठने दो, उसके बैठने से हमारी महत्वता या उनकी महत्वता क्या हुई, वह बैठा है तो वो बैठा है ना, हमारा क्या किया? हम क्यों उसको कहते हैवेनली गॉडफादर । अरे! तू बैठा है और हम यहाँ हैल में पड़े हैं, तू बैठा है तो क्या बड़ाई की? नहीं! उसने हमारे इस हेल को हेवेन बनाया है इसलिए हम उसकी महिमा करते हैं । तो उसकी महिमा भी हमारे पास क्यों है, यहां महिमा है ना तो इधर महिमा क्यों है, इधर उसकी उपमा क्यों होती है इसीलिए होती है क्योंकि यहां उसने कुछ काम किया है और महिमा हमेशा उसकी होती है जिन्होंने कुछ काम किया है । भाई गांधी ने हमारे देश के लिए हमारी जनता के लिए हमारे लिए कुछ काम किया । जो जो भी हिस्ट्री आती है, जिन्हों के भी हिस्ट्री में नाम है काम के ऊपर है, अगर उन्होंने कोई काम नहीं किया होता तो वह हिस्ट्री में नाम नहीं आते कि भाई इसने ऐसा किया, इसने ऐसा किया, इसने देश को ऐसे किया, उसने यह राजाई ली, फलाना फलाना जो भी हिस्ट्री रही है । तो हिस्ट्री बनती ही है उनके कर्तव्य पर । तो भगवान की भी हम जिसको भगवान कहते हैं – परमात्मा, उसकी भी जो हिस्ट्री आती है, वह भी उसकी कर्तव्य के ऊपर है, परंतु उसका कर्तव्य जरूर कोई सबसे इतना ऊंचा है इसीलिए तो उसको गॉड, क्रिएटर, हेवेनली गॉडफादर, अंग्रेजी की भाषा वाली अंग्रेजी में भी उसकी महिमा करते हैं और सब उसकी महिमा करते हैं । खुद धर्म स्थापक भी जो है न, उन्होंने भी उसकी महिमा की करी । तो यह सभी चीजें भी समझने की है उसके कर्तव्य काम की महानता सबने गाई है । खुद जो धर्म स्थापन करने वाले क्रिश्चियनिटी के, बुद्धिज्म के सबने उसकी महिमा गाई है । फिर भले किसने कह दिया बस जैसे बुद्ध ने कहा की सत्य ही परमात्मा है जिसको जिस तरह से आया, परंतु कोई चीज आगे रखी ना, परंतु वो बिचारे यथार्थ बात को सभी तो जान नहीं सके ना कि यथार्थ बात क्या है, इसीलिए बाप कहते हैं कि यथार्थ हूँ क्या, मैं सत्य हूँ, गॉड इज ट्रुथ है तो ट्रुथ क्या चीज, ट्रुथ किसमें हूँ, तो वह भी समझने की बात है कि गॉड इज ट्रुथ क्या है । बाकी ऐसा नहीं है कई जैसे समझते हैं कि गॉड इज ट्रुथ माना जो सच बोलते हैं न वही गॉड है इसीलिए वह समझते हैं कि सच बोलना बस यही गॉड है, गॉड कोई और चीज नहीं है, परंतु सच बोलना ही गॉड है । परन्तु नहीं! गॉड इज ट्रुथ का मतलब ही है की गॉड ने हीं आ करके इन बातों की सच्चाई जो है वह बताई है, इसीलिए कहते हैं गॉड इज ट्रुथ यानी गॉड ही ट्रुथ बतलाता है आकर के, उसने ही सच्चाई बताई इसीलिए देखो उसके अक्षरों में भी आता है नॉलेज फुल, तो फुल तो जरूर है कि कोई नॉलेज का फुल है ना उसके पास । देखो कहा जाता है ओशियन ऑफ नॉलेज, ओशियन ऑफ ब्लिस । देखो, उसकी महिमा में अंग्रेजी में भी तो ऐसे ही आता है, कभी भी कोई कॉमन बात भी होती है तो कहते हैं गॉड नोज, कि ईश्वर जानता है तो उसकी माना उसके कुछ जानने की बात है ना, जो ऐसी कोई बात होती है जो हम नहीं जानते हैं तो कहते हैं गॉड नोज तो उसकी माना कोई जानकारी, जानकारी जानने वाली चीज है । तो यह भी समझने की बात है वो कौन सी जानकारी है । ये नहीं है कि हाँ भाई उसने चोरी की तो गॉड नोज । भले वह जानता सब कुछ भी है, परंतु उसकी महिमा जो है ना वह हमारे उसी पर है कि हमारी दुनिया में हम ऊंचे कैसे थे और यह दुनिया में नीचे कैसे गिरे, कैसे अब चढ़े, इन सब बातों का, हमारे सारे सृष्टि चक्र का यह जो हम नीचे हो गए हैं, अब ऊंचे कैसे होंगे ये सभी बातों को वह जानता है इसीलिए कहते हैं यह सब बात गॉड नोज, मनुष्य नहीं, मनुष्य की थोड़ी बात आती है कि मनुष्य नोज, नहीं! गॉड नोज, गॉड के लिए कहते हैं तो जरूर है कि उनके पास जानकारी सबसे ज्यादा है । मनुष्य वह चीजें नहीं बता सकते हैं जो उनको बतानी है इसलिए तो उनको कहते हैं गॉड नोज ऐसे थोड़ी कहते हैं मनुष्य के लिए, तो यह सभी चीजें इसी परमात्मा की महिमा जो आती है न उसी ढ़ंग से आती है उसी तरीके से आती है जो मनुष्य से भिन्न है, क्योंकि उनका सबसे जाननां भी भिन्न है, मनुष्य हद की चीजों की जानकारी रख सकता है, ऐसे हिंदी में भी कहते हैं कि मनुष्य अल्पज्ञ है और परमात्मा को कहा जाता है सर्वज्ञ, जिसको अंग्रेजी में नॉलेजफुल कहते हैं यानी फुल, सब जानता है और हिंदी में कहेंगे सर्वज्ञ यानी सर्व का ज्ञाता अथवा जानने वाला । तो वह सब जानता है और मनुष्य के लिए कहेंगे अल्पज्ञ यानी हद की तो यह सभी चीजें मनुष्य के लिए अल्पज्ञ हो गया उनको थोड़ी कहेंगे कि वह ट्रुथ को जानते हैं, नहीं! जो सर्वज्ञ है वही ट्रुथ को जान सकता है क्योंकि वह सब जानता है इसीलिए यथार्थ बातों की नॉलेज जिसके पास होगी तो देगा भी तो वही ना, खाली उसको अपने जानने के लिए है क्या, कि खुद बैठ कर के जाने । खुद जाने तो हमारा क्या हुआ उसमें । खुद जानता हो अपने लिए तो हमारा क्या है उसमें, जानने दो । नहीं! परंतु उसके जानकारी से हमें कोई फायदा मिला है । हमारे ऊपर उसके जानने का, उसका जो भी महिमा है, कुछ काम किया हुआ है, उसकी क्वालिफिकेशंस ने हमारे पर कुछ काम किया है, तभी तो हम उस की क्वालिफिकेशन गाते हैं ना । कोई मनुष्य के गुण है जैसे हमारे लिए अभी देखो भाई फलाना है, यह गुप्ता जी है, अच्छा आदमी है, हमारे लिए कुछ भी, किसके लिए भी, या अपने बच्चों लिए या जिसके भी लिए ये - ये अच्छे - अच्छे काम किये, तो किये हैं किसके प्रति, तभी तो उसकी महिमा होती है ना, तो भगवान की भी जो इतनी महिमा गाते हैं उसने भी तो कुछ हमारे लिए, हमारे प्रति कुछ किया होगा तब ना । बाकी उसकी अपने लिए ही महिमा है, जानता है अपने लिए, गॉड है अपने लिए, फलाना है अपने लिए, तो अपने लिए है तो हमारा क्या जाए? हम क्यों उसको गाते हैं? हम क्यों महिमा करते हैं और उसके पीछे पड़ते हैं? जब भी कुछ हमको होता है तो उसके लिए ही तो कहते हैं कि हे भगवान अभी तू यह कर, कहते हैं ना - अभी खैर कर, रहम कर, अभी यह मेरा दु:ख दूर कर, तो हम मांगते हैं ना, तो उसकी माना हमारे लिए करने के लिए उसके साथ कोई संबंध, कोई हमारा रिलेशन तो है ना, तो हम याद उसको इस तरीके करते हैं की जैसे उसने कभी कोई हमारे पर एहसान किया है, अगर कभी किया ही नहीं हुआ होता अपने लिए ही सब कुछ होता तो हम खाली पीली क्यों उसके लिए इतना माथा कुटी और उसके लिए इतना सब करते । तो हमारे दिल में जो आता है और वो दिखलाते भी हैं की जभी कोई मनुष्य किसी के प्रति कुछ करता है ना, किसी के प्रति, कभी कोई मुसीबत के समय कोई मदद करता है या कोई ऐसी जरुरत पर साथ देता है तो उसके लिए दिल में आता है ना कि इसने मेरे साथ ऐसी मुसीबत के समय पर मेरी हेल्प की थी । तो उस हेल्प का कितना रहता है कि इसने मेरे समय पर मेरी बड़ी सहायता की थी, समय पर मेरी रक्षा की, समय पर इसने मेरी बहुत मदद की तो उसका दिल में प्रेम रहता है तो परमात्मा के प्रति भी ऐसा ही प्रेम आता है कि उसने हमारी समय पर कोई ऐसी मदद की है, जभी होता है की चलो हमारे लिए बैठा तो है न, चलो दूसरा कोई न होगा परमात्मा तो बैठा है न , दिल मैं ऐसा आत़ा है तो जरूर है की उसने हमारे ऐसे समय पर कोई सहायता की है, तो की ना । हमारे रिलेशन में उसका कुछ ऐसा काम चला हुआ है , ऐसा दिल में लगता है तो यह भी बातें समझने की है कि उसने कब किया, ऐसे नहीं है कि ऐसे कॉमन उसका कभी किसका कुछ अच्छा हो गया तो ये भगवान् ने किया, भगवान् ऐसा ही करता रहता है । नहीं! उसका बड़ा काम है, वर्ल्ड का काम है, वह कहते भी हैं मैं दुनिया को ऐसा बनाया । उसको कहते भी हैं हवेनली गॉडफादर, तो दुनिया के संबंध की बात है न, क्रियेटर भी जब कहा जाता है तो दुनिया के संबंध में आता है ना । बाकी ये थोड़ी है की छोटा-छोटा जो कुछ हुआ तो ये हमारा भगवान ने किया, अच्छा हमको थोड़ा पैसा मिल गया यह हमारे लिए भगवान ने किया, ये तो हम भी जो अपने अच्छे करम करते हैं तो उसका भी तो मिल जाता है बाकी हमारे अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब कैसे चलता है, हम जो बुरा करते हैं तो कहते हैं न की ये बुरे का फल है, तो अच्छा भी करते हैं , चलो भाई ये धनवान बना, कैसे बना ? भाई अपना अच्छा कर्म किया होगा, इसका फल है, तो अच्छे का भी तो फल है न । तो हमारे अच्छे बुरे कर्म का भी हम पाते रहते हैं न लेकिन परमात्मा ने आ करके जो हमको कर्म सिखाया उसका जो फल है ना, वह फल अलग है इसीलिए कहते हैं वो ये है, जो मैं बैठ करके तुमको वो नई दुनिया जिसमें तुम सदा सुखी रहेंगे । यह तो तुम्हारा अल्पकाल का सुख है ना । यह तो तुम अल्पकाल के सुख के लिए, मनुष्य बुद्धि से ये जो कुछ करते हो उसका पाते हो । परंतु वो जो मैं तुमको आ कर के नॉलेज देता हूँ, वह उसी चीज के लिए जिससे तुम सदा सुख पाओ तो मेरा काम जो है न, वो भिन्न हो गया, इसीलिए कहते हैं कि मैं ही आकर के कर्म की भी जो यथार्थ नॉलेज है न वो मैं सिखलाता हूँ इसीलिए जो मैं आकर के कर्म सिखलाता हूँ, जिसको कहा है कर्मयोग श्रेष्ठ है, क्योंकि मैं आकर के कर्म की पूरी नॉलेज बतलाता हूँ की कर्म को छोड़ने का नहीं है, घर बार गृहस्थ में रहते सिर्फ तुम अपने कर्मों को पवित्र कैसे बनाओ, उसी का में आकर के नॉलेज देता हूँ । तो कर्म को पवित्र बनाना है कर्म नहीं छोड़ना है, कर्म तो अनादि चीज है ही । यह कर्म क्षेत्र अनादि है मनुष्य है तो कर्म भी है । परंतु उस कर्म को तुम किस खाते में लाओ, वह कैसे श्रेष्ठ बनाओ, वह आकर के सिखाता हूँ, जिससे फिर तुम्हारे कर्म का खाता अकर्म रहता है । अकर्म का मतलब है कोई बुरा खाता नहीं बनता है । इसीलिए देवताओं का खाता क्या कहेंगे, अकर्म । यानी उनको कोई सत्कर्म करने की भी दरकार नहीं है । सत्य है असत्य के ऊपर । अभी हम सत्य कर्म करते हैं । फिर इसकी प्रारब्ध में हमारा कोई भी कर्म का खाता नहीं रहेगा । हम इसकी प्रालब्ध पाएंगे, उसको कहेंगे अकर्म । लेकिन इसके पहले क्या करते थे विकर्म । यानी विकारों के संबंध में तो विकर्म अनादि हैं विक्रम तो बाप बैठकर के समझाते हैं, कर्म तो चलता ही है फिर चाहे कर्म को विकर्म बनाओ यानी विकारी संबंध में कर्म करो, चाहे अभी जो मैं सत्कर्म अथवा श्रेष्ठ कर्म या यह पवित्र कर्म करना सीखलाता हूँ उसको कर करके फिर अपने कर्म को अकर्म करो अर्थात विकारी खाते से छूटे रहो । तुम्हारा कोई भी विकारी खाता नहीं बनता है क्योंकि वहाँ कोई विकार की बात ही नहीं है, तो यह सभी चीजें बाप बैठ कर समझाते हैं । यह कर्म की गति जो है, बाप कहते हैं इसको मैं जानता हूँ तो उसकी यथार्थ नॉलेज भी मैं दूंगा ना । ऐसे नहीं है कि जानूंगा मैं, देंगे मनुष्य, नहीं! मनुष्य नहीं दे सकते हैं, इसीलिए यह मैं जानता हूँ, मैं भी सोल हूँ न, मैं जो जानता हूँ वो आकर के बोल भी सकता हूँ, मैं भी आत्मा हूँ जैसे तुम भी आत्मा शरीर के आधार से बोलती हो न तो क्या परमात्मा नहीं बोल सकते । आत्मा बोल सकती है तो परमात्मा क्यों नहीं बोल सकते हैं वह तो और ही अथॉरिटी हैं, इसीलिए कहते हैं जब तुम भी आत्मा शरीर में आती हो । तो बोलती हो तो तुम भी शरीर ले करके बोल सकती हो तो आत्मा ही तो बोलती है ना अभी उसमें से आत्मा निकल जाए तो बोलेगी ? नहीं! ये डेड बॉडी पड़ी है, नहीं बोल सकेगी न । उसकी आत्मा बोलने वाली नहीं है, तो नहीं बोलेगी । परंतु आत्मा शरीर लेती है तो फिर बोलती है ना । तो अगर आत्मा बोल सकती है शरीर ले करके तो फिर परमात्मा क्यों नहीं बोल सकते, बोलेंगे । इसीलिए कहते हैं मेरे भी बोलने के लिए शरीर लेता हूँ, लेकिन मैं अपने कर्मों के हिसाब से शरीर नहीं लेता हूँ । तुम सब आत्माएं शरीर लेती हो कर्मों के हिसाब से, यह तुम्हारे हिसाब का शरीर है परन्तु ये एक शरीर ही नहीं , ऐसे शरीर तुमने बहुत लिए हैं ओर वह तुम्हारे अपने अपने कर्मों के हिसाब का है । मैं ऐसा नहीं लेता हूँ, जिसमें मैं दुःख सुख भोगूं । इसीलिए बाप कहते हैं कि मैं आता हूँ, और वो गीता में भी है कि मैं प्रकृति का आधार ले करके आता हूँ या प्रकृति को अधीन करता हूँ । । ऐसे नहीं उसके अधीन होकर के या कर्म के वश आकर के शरीर लेता हूँ तो प्रकृति को अपने अधीन यानी उसका टेंपरेरी आधार लेकर आता हूँ । उसको कहेंगे टेंपरेरी अपने कोई कर्म के हिसाब का शरीर नहीं है । सिर्फ मुझे उससे बोलने का है इसीलिए कहते हैं कि मैं भी आकर के वो नॉलेज देने का कार्य करता हूँ, बोल तो सकता हूँ । तो मेरा काम मेरा कर्तव्य भी अपने टाइम के लिए है, ऐसे नहीं जैसे क्राइस्ट का काम अपने टाइम पर है । भाई क्राइस्ट फिर कब आएगा, तो कहेंगे अभी 2000 वर्ष में इसकी क्रिश्चियेनिटी पूरी होगी फिर 5000 वर्ष के इस चक्र के हिसाब से फिर 3000 वर्ष के बाद फिर आएगा क्राइस्ट । फिर यही क्रिश्चियेनिटी स्थापन करेगा । तो देखो अपन अभी समझते हैं. की क्राइस्ट अभी फिर कब आएगा, अभी आए हुए उसको 1965 वर्ष हुए । अभी भी कोई ना कोई जन्म में है, इसका अभी 2000 वर्ष तक है । पीछे यह क्रिश्चियनिटी की एंड होगी फिर क्राइस्ट आएगा अपने टाइम पर । कब आएगा, फिर जब क्राइस्ट का टाइम आएगा, 3000 वर्ष के बाद फिर होगा तब आएगा । तो हर एक सोल का अपना –अपना इस चक्र में पार्ट है । इसी तरह से परमात्मा का भी मुकर्रर टाइम है, मुकर्रर पार्ट है, इसमें ये नहीं है कि परमात्मा कोई हद में आ गया या परमात्मा कोई बंधन में आ गया नहीं! यह ड्रामा का अपना-अपना फिक्स्ड, हर एक आत्मा का अपना-अपना पार्ट है । इसमें फिर परमात्मा का भी हमारे लिए पार्ट है कि हम आत्माओं को माया की बांडेड से छुड़ाना । तो छुड़ाएंगे भी तब ना जब हम बॉन्डेज में आएंगे । जब आते हैं बोंडेज में तभी उसका फिर छुड़ाने का भी काम हो सकता है । तो हमारा बोंडेज में आना और फिर उसका आ करके हमें उस बोंडेज से छुड़ाना तो उसका पार्ट छुड़ाने के टाइम पर हुआ, तो उसका टाइम मुकर्रर हुआ ना, कि भाई किस टाइम पर आएगा, जब हम माया कि बॉन्डेज में बंध जाएंगे बिल्कुल एकदम, तब फिर वह आएंगे हम सब को छुड़ाने के लिए । वह लिब्रेटर है तो लिब्रेटर का टाइम हो गया ना । ऐसे थोड़ी सदा छुड़ाता रहेगा, इसका माना हम सदा बने रहे हैं । नहीं! हमको माया जब कीचड़ में फेंकती है फिर उससे दुखी जब होते हैं तब ही मैं फिर आकर के उससे छुड़ाता हूँ । तो यह सिलसिला जो हम संसार का देखते हैं, उससे भी समझ सकते हैं कि हर एक का पार्ट है । क्राइस्ट का अपना पार्ट है, उनका अपना पार्ट है । तो पार्ट है और कॉमन भी ये कहते हैं कि यह जो संसार है वह एक नाटक है और हम सब उसके एक्टर्स हैं । तो एक्टर्स है ना यानी आते हैं कहाँ से पार्ट बजाने के लिए । यह स्टेज है, तो स्टेज पर सबको पार्ट बजाना होगा ना । तो परमात्मा की भी जो महिमा है वह भी तो उसके पार्ट के ऊपर है ना । उसकी कोई थोड़ी ऐसी मुफ्त की महिमा है, नहीं! उसका भी पार्ट है लेकिन उसका पार्ट सबसे बड़ा अच्छा पार्ट है इसीलिए उनके मुख्य पार्ट की महिमा करते हैं तो उनका पार्ट मुख्य है । तो सभी एक्टर का पार्ट जानना चाहिए ना कि उसका कैसे होता है । वह आ करके हमारे लिए क्या करते हैं, वो आकर के सब एक्टर्स को माया की बोंडेज से छुडाते है तो ये सभी चीजों को समझना है की उसको भी सुप्रीम सोल है, वह गॉड कोई और चीज नहीं है । गॉड भी सोल को कहा जाए लेकिन गॉड नाम है उनके कर्तव्य के ऊपर की । भाई अथॉरिटी है, भाई गॉड क्यों कहा जाता है, क्योंकि वह अथॉरिटी है सबकी । तो सबकी अथॉरिटी होने के कारण उसको गॉड कहते हैं । गॉड माना ऐसे नहीं की कोई बड़ी चीज है, एकदम । वह समझते हैं न गॉड कोई बहुत बड़ा बड़ा बड़ा है, जैसे वह पांडवों को बड़ा-बड़ा कहते हैं उसके बुत जो पुतले बनाए हैं बहुत बड़े बड़े बनाएं है । वो देखा है ना सिलिकॉन में बड़े बड़े, वो समझते हैं इस शरीर में बड़े परन्तु नहीं, उनकी लाइफ में, उनकी जीवन में, उनकी जीवन बड़ी थी । भाई देवताओं, पांडव जिन्होंने बैठकर के परमात्मा से यह लिया था, उन्हों की जीवन बड़ी थी, बाकी ऐसे नहीं की शरीर बड़ा था । उन्होंने बड़ा बड़ा कह दिया है, वो भल समझते हैं कि उनके शरीर बहुत बड़े-बड़े थे । जिस तरह से परमात्मा को भी समझते हैं वह बड़ा है न, कर्तव्य में महान हैं, कर्तव्य में बड़ा है इसीलिए वो समझते हैं कि वह बहुत बड़ा है, फैला हुआ है शायद । तो उसको बड़ा इसी में ले गए हैं परन्तु ऐसा बड़ा नहीं है । वह बड़ा अपने कर्तव्य से है । मनुष्य अपने कर्तव्य में बड़ा होता है । है तो गांधी भी तो मनुष्य था ना । कौन था ? ऐसे थोड़ी की बहुत बड़ा, बहुत ह्यूज था, बड़ा लंबा आदमी था, नहीं! आदमी था ना, मनुष्य था, लेकिन उसका कर्तव्य बड़ा था इसीलिए वह कर्तव्य में महान था, तो इसीलिए उनको कहते हैं कि तुमने यह क्या किया । तो कर्तव्य के ऊपर है ना सभी का । इसी तरह परमात्मा को भी गॉड, वर्ल्ड ऑलमाइटी अथॉरिटी आदि जो भी महिमा है यह सभी उनके कर्तव्य के ऊपर है । लेकिन कर्तव्य हमारा कैसा है वो भी तो हमें मालूम होना चाहिए ना, बाकी ये कॉमन जो हम कुछ अच्छे –अच्छे कुछ हैं, बस यही परमात्मा का कर्तव्य है तो वो अच्छाई क्या है । नहीं! अच्छाई उसकी है उसको गाते ही है ऐसे हैं हेवेनली गॉड फादर, अंग्रेजी में भी देखो ऐसे-ऐसे नाम देते हैं भाई हेवेनली गॉड फादर, हेवेन का स्थापक, जैसे वो क्रिश्चियनिटी का फादर, वह बुद्धिज्म का फादर, वो इस्लामी धर्म का फादर तो यह है हेवेन का फादर, यानि हेवेन का क्रिएटर । बाकी ऐसे नहीं कि वो हेवेन में बैठा है और हम हेल में पड़े हैं, तो वह फादर बैठा है हेवेन में और हम पड़े हैं हेल में वाह!, यह नहीं है । वह कहते हैं हेवेन भी तेरे लिए है, हेल भी तेरे लिए हैं । मैं तो हेवेन में बैठता ही नहीं हूँ । मैं तो हेवेन एंड हेल से अलग हूँ । मेरे लिए तो फिर साइलेंस वर्ल्ड है, जहां से तुम आत्माएं आती हो पहले-पहले, परन्तु यह हेवन एंड हेल ये दुनिया का स्टेज का है इसीलिए पहले ये हेवेन हुआ है पीछे ये हेल हुआ है, हेवन में भी तुम आते हो, हेल में भी तुम जाते हो, बाकी मैं तो न हेवेन का न हेल का । न हेवेन में आता हूँ न हेल में । मैं तो आता हूँ सिर्फ तुमको हेवेन बनाने की हेल्प करने के लिए । तुम्हारे कर्मों को ऊंचा करने के लिए, वो भी टेंपरेरी ऐसा नहीं की यहाँ कोई मेरा ठिकाना है, मैं सिर्फ आ करके तेरा काम करके जाता हूँ इस तरह । तो मैं आता हूँ सिर्फ, कोई मेरा घर नहीं है ये, यहां बैठने का नहीं हूँ । मैं आता हूँ केवल तुम आत्माओं की हेल्प करने के लिए, तुम आत्माएं जो माया की बॉन्डेज में बंध गई हो ना, उससे छुड़ाने के लिए । वो मैं हेल्प करने के लिए आता हूँ इसीलिए मैं आ करके तुमको यह हेल्प दे करके तुम्हारी दुनिया को हैवेन बना कर जाता हूँ तो यह है मेरा काम, तो मैंने काम किया है ना । जैसे क्राइस्ट भी आया है न, उसने भी यहां काम किया है न । ऐसे थोड़ी की ऊपर बैठकर काम किया है । जिन्हों- जिन्हों ने काम किया है, वो यहां किया है तो मैं ऊपर बैठकर काम करूंगा क्या । नहीं! मैं भी यहाँ आकर के काम करूंगा तो मैं भी कैसे काम करता हूँ, उन्हीं सभी बातों को भी समझने का है ना । ऐसे नहीं है की मैं ऊपर बैठे करूँगा । ऊपर बैठे तो क्या किसने और क्या, ऊपर किसने देखा क्या काम किया । नहीं! मेरा भी काम, जैसे मनुष्य आत्माएं भी काम करके सबको सुख देती हैं तो तुम उनको गाती हो तो मेरा काम सबसे महान रहा, परंतु कहते हैं की जब जब मैं आता हूँ ना वो टाइम नहीं जानते हैं क्योंकि मेरा काम ऐसे तरीके का है, बड़ा गुप्त, बड़ा साधारण क्योंकि करूंगा तो मनुष्य के ही नमूने से ना । मनुष्य सृष्टि है ना तो दूसरा क्या नमूना ले आऊंगा, क्या करूं स्पेशल और क्या करूं । नहीं! करूंगा तो उसी नमूने से ना तो भगवान् सुना है न बहुत बड़ा है तो वो समझते हैं कि इसको ऐसे काम करने की क्या पड़ी है । कहते भगवान होता तो पता नहीं आज दुनिया में क्या हो जाता बिजली चमक जाती, सभी ढेर के ढेर यहां इकट्ठे हो जाते । तो वह कहते हैं नहीं! यह चीज ही ऐसी है तो मैं जानता हूँ ना, अगर ढेर के ढेर आ जावे यहां, सारी दुनिया यहां आ जावे तो फिर तो सारी दुनिया को मुझे उसका फायदा भी देना पड़े । यानी उसका मतलब है कि जो हेवेन स्थापन करता हूँ, परंतु नहीं! वहां संख्या ही थोड़ी है इसीलिए मैं जानता हूँ । बाकी इतनी संख्या का फायदा सबका करता हूँ, ऐसे नहीं, कहते हैं सभी मेरे बच्चे हैं फायदा सबका देता हूँ, परन्तु उनका फायदा फिर जो यह ज्ञान लेते हैं उनका फायदा दूसरा है । और उनका फायदा फिर यही है की उन्हों को माया की बोंडेज से सजाओं के जरिए छुड़ा करके, उनको फिर साइलेंस वर्ल्ड में बिठा देता हूँ । तो फायदा तो उनका वह भी चाहते हैं न कि हम आए नहीं यहाँ पर आएं ही नहीं, वहां ही बैठे रहें, वहाँ तेरे पास, चलो तुम मेरे पास बैठे रहो, ऐसे ही समझो । मैं फिर जीवनमुक्त, यानि उन्हों को फिर यहां सुखी करता हूँ । यह दुनिया तो चलनी है न, तो इधर भी सुखी, उधर सुख-दुख से न्यारे फायदा तो सबको देता हूँ ना, जिसको मुक्ति और जीवन मुक्ति कहते हैं । मैं हूँ सबका देने वाला दाता । सबको लिबरेट करता हूँ तो सबका फायदा हुआ न । वो कह्ते हैं बच्चे मेरे तो सभी हैं न, परन्तु वो इनडायरेक्ट है , न जानते हैं तो उनको इनडायरेक्ट वे का फायदा देता हूँ और जो मुझे डायरेक्ट जानते हैं और डायरेक्ट मेरे से रिलेशन रख के डायरेक्ट अपना पुरुषार्थ रखते हैं, उनको डायरेक्ट दुनिया का फायदा देता हूँ । तो डायरेक्ट का डायरेक्ट फायदा और इनडायरेक्ट का इनडायरेक्ट फायदा लेकिन देता हूँ फायदा, इसलिए तो मुझे सब कहते हैं ना गॉड, पिता यह सब कहते हैं क्योंकि यह सब का काम करता हूँ और कैसे करता हूँ वह करने का भी मेरा तरीका समझो । बाप कहते हैं तुमने मेरा तरीका दूसरा समझा है की सबका जो थोड़ा बहुत होता रहता है ना, कुछ भी थोड़ा होगा तो माना यह भगवान ने किया है, भगवान ने किया है, कोई को कुछ होगा तो भगवान् बचाएगा, भगवान् ने किया है या कोई का धन जाएगा तो रोएगा पिटेगा कहेगा भगवान् ने किया है, अच्छा या कोई मर जाएगा तो भी रोएगा पिटेगा कहेगा भगवान् ने किया है । अरे! भगवान ने भला क्या किया, भगवान अगर सब करता है तो फिर सब में रखो, फिर बैठ के बुरे में अच्छे में सबमे भगवान्, ये क्या सब में भगवान, परंतु ऐसे थोड़ी ही ऐसी बात है की भगवान ने किया, फिर भगवान को गाली भी देते हैं । नहीं! फिर यह तो बात नहीं है ना । यह तो हमारे कर्मों की है अच्छा हुआ तो हम कुछ हम अपने अच्छे भी तो बनाते हैं ना । ऐसे थोड़ी है कि बुरे ही बनाते हैं नहीं! अच्छे बुरे सब उसका भी थोड़ा अच्छा मिलता है लेकिन कहते हैं ये अच्छा बुरा जो तेरा है न ये मैंने नहीं बनाई । मैं तेरी दूसरी अच्छाई बनाता हूँ । वह दूसरे किस्म की अच्छाई है, वह कौन सी है कि वह दुनिया ही नई थी, जिसमें तुम्हारा कभी अकाले मृत्यु नहीं होती थी, ऐसे नहीं की जन्में तो खुश होएं और फिर मरे तो रोए, ऐसा नहीं मैं करता हूँ । मैं तुम्हारे को ऐसा देता हूँ जिसमें कोई अकाले मरे ना । कोई रोगी होय ना, तेरा जन्म मरण में ऐसा बनाता हूँ, तो वो ठीक न । मैं तेरा जन्मना तेरा मरना दूसरे ढंग का बनाता हूँ । ढंग का मतलब क्या है, जिसमें तुम कोइ अकाले नहीं मरेंगे, मरेंगे क्योंकि शरीर तो देवताएं भी छोड़ेंगे ना, बाकी ऐसे थोड़ी छोड़ेंगे नहीं, वृद्ध होंगे तो क्या रखा रहेगा क्या छोड़ा शरीर, नहीं! शरीर तो छोड़ेंगे, परंतु वह अकाले नहीं छोड़ेंगे । वह अपने टाइम, समय पर मालिक हो करके । तो कहते हैं वह जन्मना वह शरीर छोड़ना, उसको फिर अमर कहा जाता है, उनको मृत्यु नहीं कहा जाता । तो वो कहते मैं तेरा और ढंग से बनाता हूँ, तो मेरा काम भी समझो ना । इसीलिए मेरे काम की मुसाफत, मनुष्य के काम से मत करो । यह अभी इसी दुनिया में मेरा काम इसी तरीके से जो मैं करता हूँ आकर के डायरेक्ट, फिर वो इनडायरेक्ट तो सभी फिर करने वाला है क्योंकि भावना तो फिर भी ईश्वर तरफ रखते हैं ना । कहते हैं मैं मनोकामना फिर अल्पकाल के लिए भी पूर्ण करने वाला मैं हूँ, परंतु यह डायरेक्ट जो मेरा काम है, एक्ट आकर के करता हूँ प्रेक्टिकल जिसकी महिमा है वह मेरा यह काम है । उसका तुम्हारे को फायदा भी मेरा अलग है ना तो मेरा फायदा तुम अलग समझो । कोन सा? मैं जरूर कोई बड़ा काम किया है ना तुम्हारा, तो बड़ा यह है जो तुम्हारे जीवन में इतना फायदा दिया है, सदा सुखी, कभी रोग नहीं, कभी अकाले मृत्यु नहीं, कभी कोई नहीं तो यह किसने दिया? ऐसी दुनिया किसने बनाई भला, ये कई समझते हैं, ऐसी कोई दुनिया है ही नहीं इसीलिए समझते हैं दुनिया तो ऐसी ही होगी ना, उसमें मरना भी होगा जन्मना भी होगा, वहां रोग भी होंगे, करके कुछ कम होंगे पहले, अभी करके बहुत हैं बस, इतना फर्क परंतु नहीं! वह भी टाइम था, जब था ही नहीं तो जो था ही नहीं वो किसने बनाया, वो हमारे कौन से कर्म थे तो वह भी कोई कर्म का फल था ना, तो जरूर दुनिया थी ऐसी, ऐसी नहीं एक दो आदमी की बात है, परंतु यह समझना चाहिए बात । कई शायद इनको नहीं समझते हैं कि ऐसी कभी दुनिया हुई होगी, जिसमें दुनिया, एक दो आदमी की बात नहीं है दुनिया ऐसी थी, सब सुखी थे । अरे! जनावर, पशु, पक्षी भी कभी रोगी नहीं होते थे । कभी वह भी झगड़ते नहीं थे । जब जनावर ऐसे थे, तो मनुष्य क्या होगा । सब सुखी थे, कोई भी मनुष्य अकाले नहीं मरता था । लॉ था, जैसे अभी मरते हैं ना, जैसे यह अभी नियम हो गया है, लॉ हो गया है एक कि भाई ऐसे ही मरना है । कहते हैं न इस दुनिया में ऐसे तो मरना होता ही है । ऐसे ही सबको मरना है परंतु वहां सतयुग में फिर सबको ऐसे नहीं मरना है । वहां ऐसे अकाले मृत्यु होता ही नहीं है, किसी का भी सुनेंगे नहीं कि फलाना ऐसे अकाले मर गया । टाइम पर, समय पर, इधर तो देखो सुनते हैं ना, देखते भी हैं, सुनते भी हैं, भाई फलाने का हार्ट फेल हुआ, यह हुआ, एक्सीडेंट हुआ, यहां बैठे ही मर गया मतलब बैठे-बैठे मर गए, यह सभी चीजें होती हैं । वहां ऐसे नहीं है, वहां सब टाइम पर । कभी ऐसे सुनेंगे नहीं कि फलाना ऐसे मरा । नहीं! वो टाइम पर, समय पर, परन्तु कई शायद बिलीव नहीं करते कि शायद कभी ऐसा संसार था ही नहीं । क्यों नहीं बिलीव करते हैं, इसका भी कारण है क्योंकि कई शास्त्रों में जो हमारा पहले के संसार की कुछ चिन्ह है ना, उसकी बायोग्राफी में ऐसी ऐसी बातें लगा दी हैं । राम के साथ में भी लड़ाई लगा दी रावण की । उसकी सीता चुराई गई, ऐसी ऐसी बातें उन्हों के हिस्ट्री में लगा दी है, जैसे कोई बिलीव नहीं करते भाई उनके जमाने में भी ऐसा होता था । वह समझते हैं उन्हों के जमाने में भी ऐसा होता था इसीलिए समझते हैं कि कोई जमाना ऐसा होगा ही नहीं जिसमें कभी कोई लड़ाई ना हो झगड़े ना हो, कभी अकाले मृत्यु ना हो । ऐसे हो ही नहीं सकता है क्योंकि उन्होंने बायोग्राफी में कुछ बातें में मिक्स कर दी हैं । देवताओं का नाम रखा है परंतु उनके कर्तव्य में कैसी कैसी बातें डाल दी जो बिचारे मनुष्य मूंझ पड़े हैं, वह समझते हैं कि किसी भी जमाने में कभी ऐसा हुआ ही नहीं है । यह भी इमपॉसिबल है तो यह सभी चीजों को भी अच्छी तरह से समझना है कि नहीं लाइफ की कुछ स्टेज है और वह स्टेज किसने बनाई है उसके काम करने वाला भी कोई है, ऐसे ही नहीं । भले नेचर है , यह यह सब चक्कर चलता है, यह भी लाइफ है, कई समझते हैं नहीं! यह तो चक्र है, चलो ऐसा भी होगा दुनिया कोई अपने टाइम पर आपे ही बनेगी, परंतु आपे ही नहीं, जैसे क्राइस्ट की क्रिश्चियनिटी आपे ही बनी निमित्त था ना, भले क्राइस्ट कोई कहे आपे ही आया, चलो पर आया ना, नाम तो उसका हुआ ना काम किया उसने, भले वह भी ऑटोमेटिक में था भाई क्राइस्ट को आना था, काम करना था, चलो कोई ऐसे भी समझे, परंतु फिर भी तो वह आया न तो परमात्मा भी ऑटोमेटिक में आएगा । चलो ऑटोमेटिक ही समझो, परंतु आएगा, करेगा वह । तो करेंगे ना, जैसे क्राइस्ट भी ऑटोमेटिक में आया, वो भाई उसकी क्या महिमा है? वह आया भाई क्रिश्चियनिटी उसके नाम पर हुई, बुद्ध आया फिर भी आया ना इसी तरह से परमात्मा भी ऑटोमेटिक में ही समझो, परंतु आएगा, तो वह कहते हैं मेरा भी टाइम है ना, समय है, सब का टाइम । देखो टाइम ही है सबकी स्टेज में, क्राइस्ट का टाइम है, 1965 बरस हुए, बुद्ध का भी टाइम है अपना बतलाते हैं, इस्लामी धर्म वाले भी बदलाते हैं अपना टाइम । टाइम सबका है वह परमात्मा का भी टाइम है ना, टाइम के अंदर की बात है इसीलिए उसको कहेंगे उसके लिए कोई टाइम ही नहीं है उनको हम हद में लाते हैं यह । नहीं! यह हद नहीं है, उनके कर्तव्य की समझ है, इसको हद नहीं कहेंगे । उसको कोई हम हद में नहीं लाते हैं, लेकिन उसका टाइम, उसका कर्तव्य तभी है, उसकी समझ है उसको कोई हद में थोड़ी लाते हैं । हद और बेहद का भी अर्थ समझना है । वह समझते हैं हम उसको हद में लाते हैं, श्रीमत में या हद में कि भाई इसका मुकर्रर टाइम है वह तो महान, विशाल, बेहद जब चाहे, जिधर चाहे, जिधर करें काम, परंतु वह कहते हैं मेरे भी काम होने का समय चाहिए ना । मेरा समय जब होता है तो वो एक ही टाइम है मैं आता हूँ एक ही बार । यही तो सर्वशक्तिमान हूँ कि एक ही टाइम में सारा काम कर लेता हूँ विनाश का स्थापना का पालना का तीनों काम एक ही बार करता हूँ डिस्ट्रक्शन कंस्ट्रक्शन और फिर जो कंस्ट्रक्शन करता हूँ उसकी पालना बैठ करके यह सब फिर मैं चलाता हूँ, कैसे कराता हूँ, देखो पालना लायक बनाता हूँ तो मैं आ करके एक ही बार में ये सारा करता हूँ । इसी में ही तो मैं शक्तिमान हूँ न, बड़ा काम करता हूँ एक ही बार में । तो मेरी शक्ति का गायन उसी बात पर है की एक ही बार आकर के बड़ा काम करता हूँ । बाकी ऐसे नहीं है कि मेरा काम चलता ही रहता है इसीलिए मैं शक्ति या महान या बड़ा या विशाल या बेहद हूँ । मैं कोई हद में एक ही का थोड़ी करता हूँ । एक की तो बात ही नहीं है सबका, यह तो और ही हद हो गई भाई कभी किसका काम करता है, कभी किसका काम करता है, कभी किसकी तो हद हो गई कभी किसका कभी किसका । बाप कहते हैं मैं आता हूँ तो धक से, एक बार सबका काम कर लेता हूँ धक् से इसीलिए तो बाप कहते हैं तुम भी मेरे धक से बनो झाट्कू बनो, मैं भी झाट्कू की तरह से काम करता हूँ तुम भी झाट्कू की तरह से काम करो । ऐसे नहीं धीमे-धीमे आस्ते-आस्ते थोड़ा थोड़ा, नहीं! वह कहते हैं मैं भी एक बार आकर करके डिस्ट्रक्शन, कंस्ट्रक्शन और जो भी काम है धक से कर लेता हूँ तुम भी अपना काम फिर ऐसे ही करो इसीलिए कहते हैं यही जन्म है अंतिम इसका अर्थ ही है लास्ट जन्म है काम करने का । यही अभी है टाइम , तो देखो टाइम भी अभी है ना, क्योंकि ये अभी यह वर्ल्ड के डिस्ट्रक्शन की टाइम है । वह कहते हैं मैं वर्ल्ड के डिस्ट्रक्शन के टाइम पर काम करता हूँ जभी हो न टाइम अभी डिस्ट्रक्शन का टाइम ही ना होंगा तो अभी बीच मैं आ कर के क्या करूंगा । अच्छा यह सभी बातों को भी अच्छी तरह से समझने का है, इसीलिए बाप कहते हैं मेरा काम निराला और कहते भी हैं तुम्हारी गत, तुम्हारी मत तुम ही जानो । ऐसे नहीं है तुम्हरी गत, तुम्हरी मत हम जाने, नहीं! तुम ही जानो । देखो कहा न गत भी तुम्हारी, मत भी तुम्हारी, यानी तुम्हारी गति सद्गति करने की जो मत है, नॉलेज वह भी तुम ही जानो । तुम ही जानो, तुम्हरी गत, मत तुम ही जानो, ऐसे नहीं तुम्हारी गत मत हमारे वेद, शास्त्र, विद्वान, पंडित जाने, नहीं! तुम ही जानो, तो जो जानेगा वही तो सुनाएगा ना इसीलिए कहते हैं गॉड नोज, कोई मनुष्य नहीं । अच्छा कैसे हो, सब बैठे हो अपने बेहद बाप की याद में और उसकी फरमान और आज्ञा की पालना करते रहना है । बहुत अच्छी उसकी आज्ञा है मीठी- मीठी । मीठी नहीं लगती है उसकी आज्ञा? जो हमको मीठा बनाती हैं, जो हमारी लाइफ को क्या बनाती है । गुप्ता जी? कहाँ हो? अच्छा है । इन विचारों में रहना अच्छा है । इसे विचार सागर मंथन भी कहते हैं ना, विचार सागर मंथन उसका देखो शास्त्र है । तो इस मंथन को करने का भी महत्व है । फिर कभी उससे रतन निकल आएंगे । कभी पत्थर निकलते हैं कभी रतन निकलते हैं । अभी रतन निकलते हैं । इतना समय तो बेचारे जो पीछे- पीछे जितनी हद की बुद्धि थी मनुष्यों की करते आए परंतु उससे कोई वह चीज मिली नहीं । अभी बाप कहते हैं वह तो मेरे द्वारा मिलेगी । मुझे कोई विचार सागर मंथन करने की दरकार नहीं, यह मनुष्य के लिए । बाप कहते हैं भले अभी मैं देता हूँ, भले विचार करो । मनुष्यों की भी सुनी, अब मेरी भी सुनो, पीछे जज योर सेल्फ, व्हाट इज राइट, व्हाट इज रॉन्ग । मनुष्यों की सुनते आए हो अब मैं जो सुनाता हूँ वह भी सुनो । अब दोनों को विचार में लाओ । पीछे जज योर सेल्फ । अच्छा कैसे हैं हमारे किसके नाम ले, कितने लें, हमारे रामचंद्र, जीवनलाल । यह मोहन, मोहन बहुत दिन के बाद दिखाई पड़ रहा है, बीमार थे? अच्छा! बीमार होते हैं ना, तो लिख कर के भेज देना चाहिए कि सिक लीव पर, ताकि पता चले फिर आपके पास कोई को भेजें जो मुरली आकर के सुनावे । जो कुछ रोग आदि का है नहीं तो कैसे पता पड़े बीमार है या कोई बाहर चला गया, क्या हुआ, किधर है । कैसे पता चले, तो जो स्टूडेंट होता है ना, जैसे की स्कूल में भी होता है कि भाई खबर दे देते हैं, एक पोस्टकार्ड भी डाल दो ना, तो पता चलेगा, नहीं आ सकते, थोड़ा तबीयत खराब है । ऐसा तो होगा कि दो अक्षर लिख सकूं, ऐसा तो नहीं या किसी से लिखवाओ, खुद ना लिख सको तो की भाई तबीयत कैसी है, किसी को कहो मेरा यह दो अक्षर कार्ड में लिख दो, तो कोई काम भी तो कर सकता है तो पता चले स्टूडेंट तो फिर ऐसा होना चाहिए ना । हम तो इंतजार करते रहे, कहीं बाहर गया, क्या हुआ, किधर गया या माया खा गई, ख्याल तो रहता है ना । माया नहीं खाएगी, वह तो बहुत अच्छा सुनाया, आपके मुख में गुलाब कि माया आपको कभी नहीं खाएगी । बहुत अच्छी बात सुनाई, परंतु फिर भी ख्याल तो रहेगा ना, क्योंकि हम देखते हैं बहुत अच्छे बच्चों को भी माया खा जाती है । बहुत अच्छे-अच्छे कहते हैं ना महारथी, बड़े अच्छे बीस-बीस बरस रह कर भी के भी माया खा जाती है । आप तो अभी पता नहीं कितने समय के हो ? पाँच मास, चलो आठ मास, मास के ही हैं न, यह मास के, लेकिन यहां हमारे पास आठ-दस बरस वाले भी टूट पड़ते हैं । बीस-बीस, अठारह-अठारह वर्ष, तो ख्याल रहता है अच्छा टोली मिली? अच्छा ऐसा बाप ऐसा दादा, बापदादा और माँ की मीठी मीठी बहुत अच्छे समझदार बच्चों के प्रति याद प्यार और गुड मॉर्निंग ।