मम्मा मुरली मधुबन           

 026. Vinaash Se Pahale Poora Varsha Lane Kee
Vidhi And Bhagwan Ki Srimat Kye Hai
 


 

सतगुरु के मत पर। धन के बच्चे हैं ना, अब धनी मिला है आगे तो निधनके थे । धनी के बिना बुद्धि भटकती थी तो सबकुछ भटकता था ना । अभी तो नॉलेज है, रोशनी है बुद्धि धन की है अभी । अभी मालूम है धनी कौन है, किसको याद करने का है। तो अभी धनी के तरफ बुद्धि को रखने का है और धनी के आर्डर पर, हुकुम पर, कहते हैं ना "हुकुमी हुकुम चला रहा" अभी चलाता है, अभी उसके हुकुम पर चलते हैं । इसके पहले नहीं थे हुकुमी हुकुम चला रहा है। वह तो कहते हैं पत्ता भी हिलता है ना उसके हुकुम से हिलता है। वो पत्ते को हुकुम करने वाला थोड़ी ही है, पत्ते को तो हवा चलाती है, पत्ते को कोई वो थोड़ी कहेगा भत्ता हिलो, भगवान का काम यही है पत्ता हिलो, फलाना ये करो, यह करो, यह करो वह थोड़ी बैठ करके यह आर्डर करेंगे, फिर तो चोर को कहेगा चोरी करो तो वह भी आर्डर उसका हो जाएगा। नहीं, यह ऑर्डर्स नहीं है उसके, उसका आर्डर अभी यह जो हमको मत मिलती है अभी कि कैसे अपने को पवित्र रखो और किस तरह से अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनाओ यह है उसका हुकुम तो अभी हुकुम हुकुम चला रहा है, अभी वह बुक अपना हुकुम दे रहा है और हमको कैरी आउट करना है, उसके मत पर रहना है और मत पर चलना है । तो अभी बाप कहते हैं कि अभी मेरा हुकुम जो है उसको मानो और अभी के लिए क्योंकि अभी दुनिया का अंत है और नई दुनिया बनाता हूं उसके लिए अपना ये अभी फाउंडेशन डालो तो अभी फाउंडेशन डालने का टाइम है ना तो अभी उसमें अपने इस प्योरिटी को धारण करने का अच्छा ख्याल रखो और प्रैक्टिकल में। तो इसीलिए बाप का जो मत मिल रही है और जो भी उसकी फरमान है उसी पर रहकरके बाप कहते हैं फरमान है मुझे याद करो और अपने कर्म को पवित्र रखो अथवा विकारों के संग में कोई काम मत करो तो इसका भी पालन करो और फिर भी कहते हैं पिछला तुम्हारा खाता तुमको कहां-कहां रुकावट डालेंगे कोई कर्म बंधन के रूप में तो भी कहते हैं तुम्हारे को भी अपना ज्ञान योग तो मिला है उसके आधार से उसको, रास्ते को साफ करते आगे बढ़ते चलो परंतु कहां मूंझो तो फिर भी मैं बैठा हूं ना , अभी हूं हाजरा हजूर हूं अभी। अभी वह ओमनीप्रेजेंट, ऐसे नहीं है ओमनीप्रेजेंट है ही है , नहीं अभी हुआ हूं , अभी प्रेजेंट हूं। तू अभी जब मैं प्रजेंट हूं तो मेरी हाजिरी में अभी मेरे से तुम राय भी ले सकते हो । अभी आता हूं, मैं बोलता हूं मैं देखो मैंने तुम्हारे लिए ये लोन लिया है, किराए पर मकान लिया है, इसको बहुत किराया देता हूं। ऐसा नहीं है मुफ्त में, तुम बच्चों के लिए मैंने किराए पर मकान लिया है, मनुष्य का तन लिया है तो उसको मैं किराया देता हूं बहुत भारी, देखो कितना किराया दिया है, ऐसा बनाया है उसको यह कम किराया थोड़े ही है। वैकुंठ का महाराजा उसको बनाया भले उसका अपना भी पुरुषार्थ रहा, परंतु हां मैं आया हुआ हूं पुरुषार्थ भी तो तभी रहा ना । मैं तो कहूंगा ना देखो उनको क्या मिला तो बाप कहते हैं बच्चे इसीलिए मैं कोई मुफ्त में नहीं आया हुआ हूं मैं बहुत किराया देता हूं । सारे विश्व का मालिक बनाता हूं तुम बच्चों को इसीलिए उसके लिए मैंने तन लिया है तो फिर तुम बच्चों के लिए ही तो सही ना फिर कोई भी राय है कोई भी सलाह है पूछ सकते हो कोई उसमें नहीं । भले दूर हो कोई कहां है कोई कहां है तो चिट्ठी पत्र के जरिए भी हो सकता है और कोई ऐसी बातें भी होती हैं तो देखो कोई लंदन में काम चलते हैं कभी कोई ऐसी बात होती है समझते हैं इससे नुकसान पड़ेगा चढ़ जाएंगे । तो यह भारी नुकसान है ना हमारे जीवन का कुछ नीचा ऊंचा हो और हमारे इतने जन्मों की कमाई चली जाए यह सबसे बड़े नुकसान ना हुआ? सबसे बड़ा नुकसान हुआ, तो देखे कोई ऐसी बात है तो चढ़ भी आ जाना चाहिए परंतु हां कोई ऐसी बात पड़ती नहीं है जो चढ़ आओ क्योंकि यह तो अपना ज्ञान ऐसा है जिससे समझ इतनी मिली है कि हमको करना क्या है कि वह हम अपने बुद्धि से भी समझ सकते हैं क्योंकि बुद्धि मिली है ना अभी। तो अभी बाप कहते हैं इतना अपनी संभाल रखनी चाहिए, इन बातों में गफलत नहीं रखना चाहिए कुछ नीचे ऊंचे हुआ तो होने दो, नहीं । यह अपने को संभालते और अपना पुरुषार्थ आगे रखो, जितना जितना रखेंगे अच्छा ही है और अच्छी तरह सभी बातें बुद्धि में रखो। यह नॉट्स लेते हैं कोई कोई यह भी अच्छा ही है । नोट्स रहेगा, याद रहेगा, उसमें नोट करेंगे फिर हां जिस समय बैठेंगे , फिर खोल कर देखेंगे रिमाइंड रहेगा, याद रहेगा तो यह पॉइंट्स लेना, नोट करना यह सब पढ़ाने वाले जो स्टूडेंट तीखे होते हैं ना वह सारा अपना पढ़ाई में अटेंशन, वह समझेंगे यह पॉइंट अच्छी है, दूसरे किसी को समझाने के लिए अच्छी है नोट करेगा, फिर अपनी भी बुद्धि में रखेगा अपने भी समझने के लिए दूसरों को भी इस तरीके के से, ये तरीके हैं, भिन्न-भिन्न तरीके होते हैं ना, आज यह तरीका समझाने का बहुत अच्छा रहा, बाबा की मुरली में यह पॉइंट अच्छी थी इस तरीके से, मम्मा की मुरली में ऐसी पॉइंट अच्छी थी दूसरे को इस तरीके से समझाने के लिए तो यह भिन्न-भिन्न तरीके होते हैं तो जो अच्छे होंगे वह पकड़ेंगे, वह समझेंगे मिस नहीं करें । कभी भी मुरली मिस नहीं करेंगे क्योंकि मुरली में भले पॉइंट्स रोज तो वही आती है परंतु यह कई कई तरीके नए होते हैं ना, कोई ना कोई तरीका नया रोज, जरूर रोज की मुरली में से मिलेगा जो अटेंशन से सुनेंगे । तो कोई तो समझेंगे की बातें तो वही है इन्हों का मतलब यही है कि निर्विकारी रहो और परमात्मा को याद करो बस। वह दो अक्षर पकड़ लेते हैं बी होली बी योगी बस इनका मतलब यही है ना। वह तो अभी हम घर बैठे भी कर सकते हैं परंतु नहीं, यह जो यह रोज जो पढ़ाई मिलती है उसमें तरीके मिलते हैं कई अच्छी तरीके से। अपनी बुद्धि में भी कभी वह बात अच्छे तरह से बैठ जाती है । पहले भले सुनी होगी परंतु कोई दिन ऐसा होगा कहेंगे आज मेरी बुद्धि में यह बैठी है यह पॉइंट ऐसी है हां तो ऐसे बैठेगा और फिर दूसरे को समझाने के भी कई तरीके मिलते हैं । तो जो पूरा अच्छा नॉलेज के ऊपर अटेंशन देने वाले हैं वह सुनने में और सुनाने में पूरा ध्यान देंगे । देखो हम भी अभी अठाईस बरस हो गए हैं, हम भी अभी बाबा की टेप नहीं सुनते हैं? मुरली सुनते हैं, अटेंशन क्योंकि कभी कोई पॉइंट ऐसी अच्छी मिल जाती है जो दूसरों को समझाने के लिए काम में आती है क्योंकि कई प्रकार के मनुष्य है ना , संस्कार है । कभी किसको कैसी बात जांचेंगी लगेगी तो तीर मारने का है ना। तो जो तीर प्रैक्टिस करते हैं ना देखो वो गन लिया था न तो यह प्रैक्टिस होती है भाई कहां निशाना लगाना है तो कैसे वह निशाना पर लगेगा तो यह भी निशान मारना है कि इसके संस्कार में यह मेरा ज्ञान का कैसे निशान लगेगा। जिसको तीर लग गई ना तो तीर लगाने की भी प्रेक्टिस चाहिए ना । अगर हमको प्रेक्टिस नहीं होगा , हम मारेंगे तो उधर गोली चली जाएगी , उधर के बदले उधर चली जाएगी। नहीं, जिसको प्रैक्टिस होगी वह पूरा तीर मारेंगे, निशान मारेंगे तो निशान मारने की भी प्रेक्टिस चाहिए न, तो हमारा भी ये निशान मारना है ना । दूसरे को कोई भी पॉइंट जंचाना तो यह भी प्रेक्टिस चाहिए। तो जितना जितना इस ज्ञान में चलेंगे तो दूसरे को प्वाइंट समझाने का वो आएगा कि यह आदमी इस प्रकार का है, इसको इसी रग से पकड़ना चाहिए क्योंकि हमको तो कल्याण करना है ना, हमको किसी को पकड़ करके कुछ और थोड़ी और करना है । हम समझते हैं बिचारी आत्मा का कल्याण हो जाए, नहीं तो बेचारा समझेगा कि नहीं, कुछ नहीं आया बुद्धि में, कहेंगे कुछ नहीं, कुछ नहीं हां चला जाएगा। हमारा काम तो है ना जहां तक हमसे हो सके उसको निशान मारना तो हम अपने तन मन धन से हर हालत में कोशिश करेंगे तो कोशिश करना अपना धर्म है बाकी तो जिसका जितना तकदीर होगा वह तो अपना अपना हर एक बनाएगा लेकिन हमारा तो काम है ना। हमारी मेहनत तो पूरी होनी चाहिए न, नहीं तो हमारा क्या है आप लोगों से माथा खोटी करने की। हमको कहे कि हमको बनना है ना, अच्छा हम बाबा की याद में बैठ जाते हैं, हम अपना जीवन पवित्र रखें बाकी इन्हों की माथा खोटी हम क्यों करें, बैठ जाए परंतु नहीं ड्यूटी है, फर्ज है, मिली है चीज तो दूसरों को दान करना है,यह भी दान करना है ना । मनुष्य दान क्यों करते हैं? नहीं, वो कहें बस हम ही बस खाते रहें, नहीं ये भी दान करना है ना दूसरों को तो यह भी शौक होना चाहिए कि दूसरे आत्मा को बनाए इसीलिए बाबा हमेशा मुरली में कहते हैं ना कि हां शौक रखो, रोज पांच सात को यह कथा सुनाओ। यह भी प्रैक्टिस होनी चाहिए पांच सात को कथा सुनाओ, जैसे ब्राह्मण लोग होते हैं ना, जाएंगे पांच सात घर में कथा करेंगे तो यह भी हमको रोज पांच सात, कम से कम एक तो भला रोज करो । कम से कम एक को कथा जरूर सुनाओ रोज यानी एक को अपना बनाओ । तो ऐसा भी अगर कोई नियम रखे ना जैसे सुबह को रोज कोई नियमी होते हैं ना भक्ति मार्ग में पाठ करते हैं, कोई पूजन करते हैं, करते हैं ना, तो अपना भी पाठ कौन सा है यह पाठ है ना , जो हम सुन रहे हैं यही पाठ दूसरों को पढ़ाना है। बाकी ये पुस्तक,ये शास्त्र लेकरके बड़े-बड़े आवाजों से खाली बैठकर के पढ़ने की थोड़ी ही बात है। नहीं, यह है कि सच्चा बच्चा किसको सत्यनारायण की कथा सुना करके उनको सच-सच नर से नारायण बनाना तो सबसे श्रेष्ठ खता हो गई ना । प्रैक्टिकल में किसी को नर से नारायण बनाना, किसी नारी को लक्ष्मी बनाना, उस स्टेटस में ले आना यह सबसे ऊंचा सच्ची कथा । कथा हो गई न प्रेक्टिकल में किसी नर को नारायण बनाना, किसी नारी को लक्ष्मी बनाना उस स्टेटस में ले आना यह सबसे ऊंचा सच्ची कथा तो यह रोज कम से कम एक को तो सुना नहीं चाहिए और बनाना चाहिए तो ऐसी कोशिश रखने की चाहिए ,यह भी शौक है । तो ऐसे करने वाले अपना भी उन्नति करेंगे दूसरों का भी उन्नति करेंगे तो यह अपना रखो। और अभी देखेंगे बैंगलोर वाले देखो अच्छे-अच्छे हमारे पास अभी बुजुर्ग जैसे हमारा यह राजगोपाल है, भाई नाम तो बहुत है, थोड़े नहीं है। यह हमारा कृष्णमूर्ति है, बुजुर्ग बुजुर्ग हैं, दूसरे यह हमारे इसका क्या नाम था हमारे पुरुषोत्तम... देखो नाम देखो कितना अच्छा है । अभी वह भी दूसरे आ रहे हैं कुछ अच्छे-अच्छे रिटायर्ड है। यह हमारा इसका क्या नाम कल सुनाया था... (राजशेखर) हां राजशेखर तो देखो ऐसे ऐसे आए और तो फिर इन्हों को पुरुषार्थ में। यह भी कोई कोई आते हैं दूसरा यह भी अभी नए-नए.... आपका शुभ नाम क्या है? देवराज? वाह! हां यह भी हमारे बुजुर्ग बुजुर्ग और दूसरे भी देखो यंग भी हैं, यह अच्छे-अच्छे यह भी जवान पट्ठे ऐसे काम कर सकते हैं । तो हां सबको अपना-अपना जो जो कुछ है बल, लगाओ । लगाओ का मतलब है लड़ना नहीं है, नहीं यह समझाना है और अच्छी तरह से कोशिश रखने की है । तो अच्छा है किसको अटेंशन है ऐसे दूसरों को बनाने पर परंतु ऐसा पुरुषार्थ रखना है इसीलिए ऐसे पुरुषार्थ रखते और अपने को आगे बढ़ाते रहो । कैसा धर्मराज? अच्छा, बहुत अच्छा । कैसा है पपैया? ठीक है ना? हां, यह भी अच्छा है पपैया। अपनी भाषाओं में आप लोगों को बहुत अच्छी तरह से क्योंकी भाषा जानते हो आप लोग। अपनी भाषा से बहुत अच्छी सर्विस कर सकते हैं। तो अभी हम लोग तो इतनी अच्छी भाषा तो नहीं बोल सकते इसीलिए भाषा के कारण भी बिचारे बहुत नहीं आते हैं तो आप लोगों को खड़े हो जाना चाहिए। आप लोगों को भी समझाने का रखना चाहिए ऐसे नहीं खाली बहने। भले माताओं को आधा रखा है बाप ने इसीलिए क्योंकि माताओं के सामने कोई इतना बोल नहीं सकेगा। पुरुष पुरुष में है ना तो कभी टक्कर खा लेंगे इसीलिए जरा माताओं को फिर भी रिस्पेक्ट रखते हैं ना तो इसीलिए । परंतु फिर भी कहा ना कहा कुछ कम से कम उसको रेफरेंस तो दे सकते हो ना कि भाई हमारा जीवन का अच्छा ऐसा अनुभव है, हमने कहां से पाया है, आप भी चलो, आपको भी वहां समझाया जाएगा, आपकी जीवन अच्छी हो जाए की तो उसको जगाना चाहिए । कुछ तो देनी चाहिए ना रोशनी । तो कम से कम इतना अपने अनुभव से भी उनको जागृति दे सकते हो ना। तो ऐसी ऐसी बातों से दूसरे को जागृति देना यह भी महापुण्य का काम है, सच्ची राह पर किसको लगाना तो ऐसा अपना पुरुषार्थ करो अच्छी तरह से। अच्छा, अभी लास्ट दिन है आज हम भी खिला दें। कहेंगे हां कहेंगे कोई दिन तो हमें भी । आज लास्ट दिन है, हां कल भी विदाई का है, कल तो विदाई का हो जाएगा ना। आज तो खिला दे हम , कल तो विदाई का रहेगा । बैठे रहो , बैठे रहो, आप बैठे रहो । बच्चों को तो, हां दादा से शुरू, यह हमारा अनुभव , यह शांत स्वरूप है । यह हमारी धनलक्ष्मी कैसा? आप तो आएंगे ना आबू में । यह तो हमारे मीठे, यह तो तैयार है ना? हां , यह हमारा जयकिशन । आज हमारी लक्ष्मी नहीं दिखाई पड़ती कहां है? मम्मा जा भी रही है तो भी नहीं दिखाई पड़ती। हां, देखा है परमधाम? परमधाम में हो ना, लगता है ना। अच्छा , यह हमारा रामकृष्ण। यह दोनों नाम रख दिया है । वह तो राम त्रेतावशी और कृष्ण सूर्यवंशी यह तो दोनों ही नाम लगा दिया, देखो तो सही। देखो पहला राम रखा पीछे कृष्ण, पहले सूर्यवंशी पीछे त्रेतावंशी। क्या करें, सतयुग में तो अकेले-अकेले कलयुग में तो दोनों ही नाम। कैसा पपैया? याद है ना, अच्छा है बच्चा यह भी । ये श्री राम, बहुत अच्छे होंगे तो अपना अच्छा बनाएंगे। यह हमारे... इधर पुरुषोत्तम। हां पुरुषोत्तम को भी देंगे, किसी को भूलेंगे नहीं। भूलेंगे नहीं, तुम ना छोड़ना, हम तो नहीं छोड़ेंगे। अच्छा, अच्छा यह हमारा राजगोपाल, यह भी अच्छा है। यह तो है ही धर्मराज, कैसा है ? यह श्याम , देखा तो है मेरे ख्याल में, अच्छा इसको यह चांस दिया क्या? बेंगलुरु में यह मम्मा को ले आएगा। ओहो। कैसा है नागराज, ऐसा बैठा हुआ है ना। अच्छा । ठीक है? ठीक है ना ? अच्छे रहना अभी। ऐसे नहीं हम जाएं आप गुल हो जाओ। हां जागे हो तो चलते ही रहना, यह बहुत कमाई अच्छी है यह कमाई तो करते ही रहना। फिर कैंटोंमेंट भी अभी रहेगा, आप कैंटोंमेंट रहते हो ना ? उधर ही क्लास होगा फिर उधर ही जाना जहां आपको नजदीक पड़े परंतु हां अच्छी तरह से इन बातों का ध्यान रखना। हां कैसे हैं? चलते हो ना? हां, चलने का फिर इससे सारा चार्ट वार्ट पूछते रहना । अभी हां सबकी संभाल रखना दादी । ऐसे ना हो कि हमारे बच्चों को फिर माता खा जाए। संभाल रखना। मम्मा का बच्चा गुम हो जावे, गुम नहीं करना, इनकी संभाल करना। अगर कोई गुम हो जाए, माया खा जावे तो उसका कान पकड़कर बुलाना । उनको बच्चों को जगाना कि कहां हो , किधर सोए पड़े हो। सुलाने नहीं देना है । कैसा? हां पक्का पक्का । यह हमारे इंजीनियर जी । समझते अपने को चलाते रहना बहुत अच्छे ऐसे लाइफ अच्छी बनेगी । पीछे आप कहेंगे ओहो हम कहां थे अभी क्या मिल गया है आपको ऐसा लगेगा। आप अपनी लाइफ में महसूस करेंगे हम क्या थे अभी क्या बन गए हैं । ऐसा महसूस होगा, यह हम अपने अनुभव के आधार पर आप को कहते हैं तो हमारा फर्ज है ना आपको बतला देना। तरुण आज आप बैठा है। बेचारा बैठा है आज। बहुत अच्छा है जो रोज रोज मिस करता है उसका ख्याल किया । आज डबल खाया तो फिर ....रोज लेता है वो फिर, जो रोज मिस करता है। अच्छा, यह भी अच्छा है। इस बच्चे को भी संभालना, इसकी पालना तो यह इम्तिहान देवे तो फिर इसका कुछ सर्विस वरविस का, यहां देखो तो इसको थोड़ा हेल्प करना । थोड़ा अच्छा बच्चा है बेचारे को कोई इसका..... मम्मा ही मां है इसकी, दूसरी बिचारे की लौकिक में नहीं है, ये ही मां है । (एक साल पूरा रह कर जाना ) लो, यह सीताराम की है। सबको देते हैं। यह भी अच्छी है उसकी राम की । दुर्गा , हैं दुर्गा का रखा है अष्ट भुजाओं की, हां अच्छा। यह हमारी पार्वती , हां अच्छे । यह हमारी ज्ञानेश्वर आओ, कैसा? ज्ञान के उसमें खुशबू होती है ना तो अभी ज्ञान की खुशबू भरनी है । अच्छा , इसको मालती का दिया? मालती बेबी का ? वो बेबी हमको याद पड़ती है ना। इनको माताजी का दो। हां माताजी हीरालाल का। देखो हमें भले आप भूल जाओ, मम्मा भूलती है? न। हीरालाल और हीरालाल की माता जी का। क्या करें हमें एकली बड़ी गुजराती नहीं आवे छे । थोड़ी-थोड़ी आवे छे इसीलिए हम आटे थोड़ी थोड़ी बात करे छे। देखो मम्मा को भी प्रेम के आंसू आते हैं। यह भी तो देखो शुद्ध मोह है ना । नहीं, बेंगलुरु वाले बहुत मीठे हैं ना। अच्छा बाप दादा और मां के मीठे मीठे बहुत अच्छे सपूत बच्चों प्रति याद प्यार और गुड मॉर्निंग, गुड डे गुड इवनिंग एवरी टाइम गुड रखना क्योंकि बेड माया बैठी है इसीलिए जरा संभल के रहना। वहां भी बैठी है, बढ़िया बनाने की कोशिश करती है। अच्छा आपका शुभ नाम क्या है? अच्छा यह भी अच्छा है कुछ हां अच्छी तरह से उठाते , समझाते और सबकी अभी संभाल रखनी है । बड़ी दिल, छोटी कहे की, हम तो बड़े बाप की बड़े बड़े हैं ना । रिकॉर्ड : रुक जा रात ठहर जा रे चंदा।