मनसा सेवा की शक्तिशाली विधि - 65


मनसा सेवा से साक्षात्कार

स्मरण रहे : - जो मन में संकल्प चलते हैं वही हाव-भाव हमारे चेहरे पर प्रदर्शित होते हैं इसलिए बापदादा को प्रत्यक्ष करने अथवा साक्षात्कारमूर्त बनने के लिए निरन्तर निम्नलिखित संकल्प चलते रहने चाहिए।

1. फरिश्ते स्वरूप का साक्षात्कार -
मैं बाप समान परम पवित्र विश्वकल्याणकारी फरिश्ता हूं..., डबल लाईट हूं..., आत्मा भी लाईट और शरीर भी लाईट..., मेरे चारों ओर पवित्रता की लाईट-माईट फैल रही है..., मेरे सिर के ऊपर बापदादा का वरदानी हाथ है..., मैं फरिश्ता विश्व ग्लोब पर बैठ पांचों तत्वों सहित सारे संसार को पवित्रता के वायब्रेशन दे रहा हूं...। सर्व आत्माएं पवित्रता, सुख, शान्ति से संपन्न होती जा रही हैं....। संसार की सभी आत्माओं को मुझ फरिश्ते का साक्षात्कार हो रहा है....।

2. देवता स्वरूप का साक्षात्कार :-
मैं सर्वगुण संपन्न, सोलह कला सम्पूर्ण..., सम्पूर्ण निर्विकारी चलता-फिरता चैतन्य देवता हूं..., स्वर्णिम युग में विचरण कर रहा हूं..., चारों ओर पुष्पक विमान उड़ रहे हैं..., मैं मोरमुकुटधारी श्रीकृष्ण के साथ खेल रहा हूं..., और भी छोटे-छोटे बाल-गोपाल, देवी-देवताएं खेल पाल कर रहे हैं...चित्रकला, पेन्टिग कर रहे हैं, सब खुश मौज में हैं..., चारों ओर खुशियां ही खुशियां हैं, हर घर में दीवाली जैसी जगमग हो रही है.., मेरे पूज्य रूप से मेरे सामने आने वाले को मुझ देवता से यह सारा साक्षात्कार हो रहा है..।

3. लाईट का साक्षात्कार :-
मैं आत्मा एक लाईट हूं, एक माईट हूं...,सर्वशक्तिमान बाप की सर्वशक्तियों की रोशनी से मेरा संपूर्ण शरीर लाईट का हो गया है..., मेरे चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश है..., रोशनी ही रोशनी है.., सुप्रीमसोल मुझ लाईट से कम्बाइंड है.., जो भी मेरे सामने आ रहा है उसे लाईट ही लाईट का साक्षात्कार हो रहा है.., उस लाईट के सम्मुख आ रही आत्माएं अपनी देह को भूल स्वयं भी लाईट का अनुभव कर रही हैं....।

4. अल्लाह लोग का साक्षात्कार :-
मैं आत्मा अल्लाह लोग हूं.., भगवान का बच्चा हूं... मेरे में अल्लाह के संस्कार समा गए हैं.., गुणों के सागर अल्लाह के सभी गुण समा गए हैं.., सर्वशक्तिमान की सर्व शक्तियों की प्रचण्ड ताकत मुझ आत्मा में समा गई है... मेरा मस्तक जगमगा उठा है.., मस्तक से अल्लाह का दीदार हो रहा है...।

5. विश्वरक्षक का साक्षात्कार :-
मैं विश्वरक्षक सहारेदाता आत्मा हूं, स्थूल शरीर व सूक्ष्म शरीर के साथ जहां से भी मैं आत्मा गुजरती हूं वहां-वहां सभी को सुरक्षा की अनुभूति होती है, सम्बन्ध-सम्पर्क में आने वाली आत्माओं का भय समाप्त हो जाता है, वे स्वयं को महफूज अनुभव करती हैं..., मैं दुःखहर्ता सुखकर्ता आत्मा हूं..., सभी आत्माओं का दुःखदर्द समाप्त हो रहा है.., चारों ओर खुशियों के वायब्रेशन फैल रहे हैं....।

6. बाप का साक्षात्कार :-
मैं शिव पिता समान संस्कारवान आत्मा हूं..., मेरे में संपूर्ण रूप से वही संस्कार हैं जो बाप में हैं..., मेरे में बाप समान देखने, बोलने, सबको सुख देने के संस्कार हैं..., मेरे से भगवान की छवि दिखाई दे रही है अर्थात् मेरी हर एक्टिविटी से सबको भगवान की याद आ रही है...भगवान नजर आ रहा है...।

7. ज्योतिबिन्दू का साक्षात्कार :-
मैं परमधाम निवासी महातेजस्वी ज्योतिबिन्दू आत्मा हूं... शिव बाबा के साथ कम्बाइंड हूं..., मुझ आत्मा से सर्वशक्तियों की असंख्य रंगबिरंगी किरणें निकल रही हैं..., मणियों के संसार में मणियां ही मणिंया नजर आ रही हैं...। मैं निरन्तर अपने असली स्वरूप में स्थित हूं..., मेरे चारों ओर भी विश्वकल्याणकारी मणियां हैं... स्वयं मणियों का पितामह शिव बाबा मेरे समक्ष है.. मैं शिव बाबा के अन्दर में समाई हुई हूं...., मेरे से सर्व आत्माओं को ज्योतिबिन्दू का ही साक्षात्कार हो रहा है....।